Attahiyat in Hindi | अत्तहियात हिंदी में तर्जुमा के साथ
Har namaz attahiyat (अत्तहियात) yani tashahhud ke baghair adhuri hai. Ye kya hai aur iski fazilat kya hai to chaliye jante aur samjhte hai attahiyat/tashahhud in Hindi (अत्तहियात हिंदी में)|
Har namaz attahiyat yani tashahhud ke baghair adhuri hai. ALLAH paak aur uske rasool ﷺ ke bich ki huyi khubsurat guftugu hai attahiyat. To chaliye jante aur samjhte hai attahiyat/tashahhud in hindi.
हर नमाज़ अत्तहिय्यात यानी तशह्हुद के बग़ैर अधूरी है। ये कोई सूरत नहीं है बल्कि दुआ है| अल्लाह पाक और उसके रसूल ﷺ के बीच की हुई खूबसूरत गुफ़्तुगू है अत्ताहियात। तो चलिए जानते और समझते है अत्ताहियात/तशह्हुद हिंदी में।
Attahiyat/Tashahhud Kya Hai? अत्तहियात/तशह्हुद क्या है?
- किसी भी दो (2) रक्अत नमाज़ में दूसरी रक्अत में दोनों सजदो के बाद;
- 3 वित्र वाजिब में तीसरी (3) रक्अत में दोनों सजदो के बाद;
- या फिर किसी भी चार (4) रक्अत नमाज़ में चौथी रक्अत में दोनों सजदो के बाद;
तशह्हुद या अत्तहिय्यात को पढ़ते हैं|
इसके बाद दुरूद-इ-इब्राहीमी पढ़ते हैं और फिर इसके बाद दुआ-ए-मासूरा पढ़ी जाती है| उसके बाद सलाम के लिए गर्दन फेर ली जाती है| यानि नमाज़ मुकम्मल कर ली जाती है|
यहाँ→Namaz Ke Baad Ki Dua देखिए|
तशह्हुद या अत्तहिय्यात पढ़ने का दुरुस्त तरीक़ा क्या है?
हदीस
अब्दुल्लाह बिन मस’उद ने फरमाया:
“तशह्हुद को खामोशी के साथ पढ़ना सुन्नत है।”
जामि’अ अत-तिर्मिज़ी न. 291, हदीस न. 143
क्या अत्तहिय्यात और तशह्हुद एक ही है?
जी हाँ, अत्ताहियात और तशह्हुद एक ही है।
अत्तहिय्यात और तशह्हुद का मतलब होता है ईमान की गवाही देना जिसे आम तौर पर अत्तहिय्यात कहते है।
नमाज़ में जब दूसरी, चौथी वित्र में तीसरी रक्अत में क़िब्ले यानी पश्चिम की तरफ मुँह कर के बैठते है।
अल्लाह की तारीफ बयान करते है। नबी करीम ﷺ और अल्लाह के नेक बंदो पर सलाम पेश करते है। और दो दफा गवाहियाँ देते है, उसे ही अत्तहिय्यात या तशह्हुद कहा जाता है। यहाँ→Durood Sharif in Hindi देखिए|
Attahiyat/Tashahhud Ki Hindi Mein
अत्ताहियात/तशह्हुद हिंदी में
अत्तहिय्यात क़ुरआन पाक की सूरह नहीं है। लेकिन एक हदीस का मफहूम है के,
हदीस
इब्न मस‘ऊद र.अ. से रिवायत है:
“रसूल अल्लाह ﷺ ने अपने मुबारक हाथों के दरमियाँ मेरा हाथ पकड़ कर मुझे तशह्हुद सिखाया, बिल्कुल वैसे ही जैसे आप ﷺ मुझे क़ुरआन पाक की सुरह सिखाया करते थे।
साहीह मुस्लिम न. 403 बुक न. 4, हदीस न. 65
Attahiyat/Tashahhud Dua In Arabic
“التَّحِيَّاتُ لِلّٰهِ، وَالصَّلَوْاتُ، وَالطَّيِّباتُ، السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ، السَّلاَمُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللّٰهِ الصَّالِحِيْنَ، أَشْهَدُ أَنْ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللّٰهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّداً عَبْدُهُ وَرَسُوْلُهُ”
अत्तहिय्यात/तशह्हुद की दुआ हिंदी में तर्जुमा के साथ
अत्तहियातु लिल्लाहि वस-स-ल-वातु वत्तय्यिबातु
तमाम बोल से अदा होने वाली और बदन से अदा होने वाली तमाम इबादते अल्लाह के लिए है
अस्सलामु ‘अलयका अय्यु हन-नबिय्यु वर’ह-मतुल्लाही व-ब-र-कातुहू
सलामती हो तुम पर या नबी, और रहम और बरकत हो
अस्सलामु ‘अलैयना व-‘अला ‘इबादिल्लाहि-स्सालिहीन
सलामती हो हम पर और अल्लाह आपके नेक बंदों पर
अश-हदु अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहु
हम गवाही देते है की, अल्लाह के सिवाह कोई इबादत के लायक नही है,
व-अश-हदु अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहू व-रसूलुहू
और हम गवाही देते है की, हज़रत मुहम्मद ﷺ अल्लाह के नेक बन्दे और रसूल है|
यहाँ→Nabeez Benefits in Hindi देखिए|
Attahiyat/Tashahhud In English Roman
“Attahiyyaatu Lillahi Wa-Ssalawaatu Wa-Ttayyibaatu
As-Salamu ‘Alayka Ayyuhan-Nabiyyu Wa-Ra’hmatullahi Wabarakaatuhu
As-Salamu ‘Alayna Wa-‘Ala ‘Ibadillahi-Ssaaleheen
Ash-Hadu Anlla-Ilaha Illallahu
Wa-Ash-Hadu Anna Mu’hammadan ‘Abduhu Wa-Rasooluhu”
यहाँ→ इंग्लिश में अत्तहियात पढ़िये देखिए|
अत्ताहियात और तशह्हुद दुआ कब पढ़ी जाती है?
जब आप कोई भी नमाज़ अदा करें चाहे वो फर्ज़, निफ्ल, सुन्नत या फिर वित्र हो। हर तरह की नमाज़ में क़ायदाह की हालत में बैठते हुए तशह्हुद यानी अत्ताहियात की दुआ लाज़मी पढ़ी जाती है। इसके बग़ैर हर नमाज़ अधूरी है।
Attahiyat Ke Liye Kab Baithte Hai?
4 रक’अत नमाज़ में जब पहली तशह्हुद के लिए बैठते है यानी दो रक’अत पूरी करके जब नमाज़ी बैठता है तब अत्तहियात यानी तशह्हुद पढ़ कर, तीसरी रक’अत के लिए खड़े हो जाते है।
और फिर चौथी रक’अत पूरी कर के जब दुबारा अत्तहियात के लिए बैठते है और अत्तहियात की दुआ पढ़ कर दुरूद-इ-इब्राहीमी फिर दुआ-ए-मासूरा पढ़ी जाती है। तब सलाम फेर कर दुआ के लिए हाथ उठाई जाती है।
लेकिन अगर दो रक’अत पढ़नी हो तो दो रक’अत पूरी पढ़कर अत्ताहियात पढ़कर दुरूद पाक फिर दुआ ए मासुरा पढ़ कर सलाम फेरते है। फिर दुआ की जाती है।
मतलब
- दो रक’अत में सिर्फ एक दफा अत्तहियात पढ़ी जाती है।
- और चार रक’अत में दो दफा अत्तहियात पढ़ी जाती है।
- यानी दो-दो रक’अत में अत्तहियात पढ़ना लाज़मी है।
यहाँ→Surah Kahf in Hindi देखिए|
Attahiyat/Tashahhud Me Kab Ungli Uthana Hai?
अत्ताहियात/तशह्हुद कब उंगली उठाते है?
नमाज़ में अत्तहिय्यात पढ़ने का सही तरीका भी जानना बहुत ज़रूरी है। सही तरीके की नमाज़ के लिए शहादत उंगली कब उठानी है, कब नीचे करनी है? इसका मालूम होना लाज़मी है।
हदीस
आमिर बिन अब्दुल्लाह बिन आज़-ज़ुबैर अपने वालिद से रिवायत करते हैं,
“जब रसूल अल्लाह ﷺ तशह्हुद पढ़ने के लिए बैठते, तो आप ﷺ अपना दायाँ हाथ अपनी दायीं रान मुबारक पर रखते और अंगुष्त-ए-शहादत (कलिमे वाली उंगली) से इशारा करते, और आप ﷺ अपनी नज़र उस उंगली के आगे ना डालते जिससे इशारा कर रहे होते थे।”
दर्जा: सहीह (दरुस्सलाम) | सुनन अन-नसा’ई न. 1275
हदीस
इब्न ‘उमर र.अ ने
“जब अल्लाह के रसूल ﷺ अत-तशह्हुद के लिए बैठते, तो आप ﷺ अपना बायाँ हाथ बाएँ गुटने पर रखते, और दायाँ हाथ दाएँ गुटने पर रखते| फिर दाएँ हाथ की उंगलियों को मोड़ते (बंद करते) हुए शहादत वाली उंगली से इशारा करते|”
मुस्लिम शरीफ
तशह्हुद में लफ्ज़ ला पर कलिमे की उंगली (अंगूठे की बगल वाली उंगली) उठाए।
यानी अशहदु अंल्ला (ला) पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली उठाना है और बाकी सारी उंगलियों को बंद कर लेना है।
यानी
“अश-हदु अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहु
व-अश-हदु अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहू व-रसूलुहू”
पढ़ते हुए उंगली को उपर रखना है और “रसूलुहू” पढ़ कर गिरा देना है।
फिर सारी उंगलियों को फौरन सीधी कर लेना है।
अगर दो रक’अत वाली नमाज़ पढ़ रहे है, तो अत्तहिय्यात के बाद दुरूद शरीफ़ और दुआ ए मासुरा पढकर सलाम फेर लेना है।
और अगर तीन या चार रक’अत वाली नमाज़ पढ़ रहे है तो अत्तहिय्यात की दुआ के बाद अल्लाहु अकबर कहकर खड़ा हो जा जाना है।
यहाँ→Zina Se Bachne Ki Dua देखिए|
Kya Attahiyat Aur Tashahhud Ki Shuruat Shab e Meraj Se Huyi Thi?
क्या अत्तहियात या तशह्हुद की दुआ की शुरूआत शब-ए-मे’अराज से हुई?
क्या अत्ताहियात और तशह्हुद की शुरुवात शब ए मेराज से हुई थी?
इंटरनेट पर बिना हदीस के हवाले से अत्तहियात् और तशह्हुद की दुआ के बारे मे आपको बहुत सारी जानकारी मिलेंगी।
कई जगहों पर तो ये तक लिखा है के:
जब हुज़ूर ﷺ शबे मेराज पर तशरीफ़ ले गये थे तब ये दुआ नाज़िल हुई थी।
लेकिन याद रहे इस वाक़िये के बारे में हदीस मे मुझे किसी भी तरह का कोई भी हवाला नही मिला है। और ना ही इस्लाम मे इसके बारे मे कोई पक्की बुनियाद पाई है।
लिहाज़ अत्तहियात दुआ से जुड़े इस वाक़िये को सही नहीं समझा जाना चाहिए| बल्कि हदीस में इस दुआ के बारे में जो दिया है उसे ही दारो मदार मानना चाहिए|
अल्लाह और उसके रसूल की प्यारी गुफ़्तुगू सबको बताईये!
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