Har namaz attahiyat yani tashahhud ke baghair adhuri hai. ALLAH paak aur uske rasool ﷺ ke bich ki huyi khubsurat guftugu hai attahiyat. To chaliye jante aur samjhte hai attahiyat/tashahhud in hindi.
हर नमाज़ अत्तहिय्यात यानी तशह्हुद के बग़ैर अधूरी है।अल्लाह पाक और उसके रसूल ﷺ के बीच की हुई खूबसूरत गुफ़्तुगू है अत्ताहियात। तो चलिए जानते और समझते है अत्ताहियात/तशह्हुद हिंदी में।
Attahiyat/Tashahhud Kya Hai? अत्ताहियात/तशह्हुद क्या है?
हदीस
अब्दुल्लाह बिन मस’उद ने फरमाया:
“तशह्हुद को खामोशी के साथ पढ़ना सुन्नत है।”
जामि’अ अत-तिर्मिज़ी न. 291, हदीस न. 143
जब नबी करीम ﷺ अल्लाह पाक से पहली बार सिर्फ एक पर्दे के आड़ में मिले।फिर जो भी बात-चित अल्लाह त’आला और आप ﷺ के बीच हुई उसे अत्ताहियात की दुआ कहते है।
जिसे हर तरह की नमाज़ में पढ़ी जाती है और इंशा अल्लाह ता-क़यामत तक पढ़ी जायेगी।
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क्या अत्तहिय्यात और तशह्हुद एक ही है?
जी हाँ, अत्ताहियात और तशह्हुद एक ही है।
अत्ताहियात और तशह्हुद का मतलब होता है ईमान की गवाही देना जिसे आम तौर पर अत्तहिय्यात कहते है।
नमाज़ में जब दूसरी या चौथी रक’अत में क़िब्ले यानी पश्चिम की तरफ मुँह कर के बैठते है।
अल्लाह की तारीफ बयान करते है। नबी करीम ﷺ और अल्लाह के नेक बंदो पर सलाम पेश करते है। और दो दफा गवाहियाँ देते है, उसे ही अत्तहिय्यात या तशह्हुद कहा जाता है।
हदीस का मफहूम
हज़रत ‘अब्दुल्लाह र.अ. से रिवायत है:
“रसूल अल्लाह ﷺ ने हमें नमाज़ के लिए और अल-हाजह यानी हाजत के लिए तशह्हुद पढ़ना सिखाया।
Attahiyat/Tashahhud Ki Surat Hindi Mein
अत्ताहियात/तशह्हुद की सूरत हिंदी में
अत्तहिय्यात क़ुरआन पाक की सूरह नहीं है। लेकिन एक हदीस का मफहूम है के,
हदीस
इब्न मस‘ऊद र.अ. से रिवायत है:
“रसूल अल्लाह ﷺ ने अपने मुबारक हाथों के दरमियाँ मेरा हाथ पकड़ कर मुझे तशह्हुद सिखाया, बिल्कुल वैसे ही जैसे आप ﷺ मुझे क़ुरआन पाक की सुरह सिखाया करते थे।
साहीह मुस्लिम न. 403 बुक न. 4, हदीस न. 65
Attahiyat/Tashahhud Dua In Arabic
“التَّحِيَّاتُ لِلّٰهِ، وَالصَّلَوْاتُ، وَالطَّيِّباتُ، السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ، السَّلاَمُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللّٰهِ الصَّالِحِيْنَ، أَشْهَدُ أَنْ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللّٰهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّداً عَبْدُهُ وَرَسُوْلُهُ”
अत्तहिय्यात/तशह्हुद की दुआ हिंदी में
“अत्तहियातु लिल्लाहि वस-स-ल-वातु वत्तय्यिबातु
अस्सलामु ‘अलयका अय्यु हन-नबिय्यु वर’ह-मतुल्लाही व-ब-र-कातुहू|
अस्सलामु ‘अलैयना व-‘अला ‘इबादिल्लाहि-स्सालिहीन|
अश-हदु अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहु
व-अश-हदु अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहू व-रसूलुहू”
Attahiyat/Tashahhud In Roman
“Attahiyyaatu Lillahi Wa-Ssalawaatu Wa-Ttayyibaatu
As-Salamu ‘Alayka Ayyuhan-Nabiyyu Wa-Ra’hmatullahi Wabarakaatuhu
As-Salamu ‘Alayna Wa-‘Ala ‘Ibadillahi-Ssaaleheen
Ash-Hadu Anlla-Ilaha Illallahu
Wa-Ash-Hadu Anna Mu’hammadan ‘Abduhu Wa-Rasooluhu”
अत्ताहियात और तशह्हुद दुआ कब पढ़ी जाती है?
जब आप कोई भी नमाज़ अदा करें चाहे वो फर्ज़, निफ्ल, सुन्नत या फिर वित्र हो। हर तरह की नमाज़ में क़ायदाह की हालत में बैठते हुए तशह्हुद यानी अत्ताहियात की दुआ लाज़मी पढ़ी जाती है। इसके बग़ैर हर नमाज़ अधूरी है।
Attahiyat Ke Liye Kab Baithte Hai?
4 रक’अत नमाज़ में जब पहली तशह्हुद के लिए बैठते है यानी दो रक’अत पूरी करके जब नमाज़ी बैठता है तब अत्ताहियात यानी तशह्हुद पढ़ कर, तीसरी रक’अत के लिए खड़े हो जाते है।
और फिर चौथी रक’अत पूरी कर के जब दुबारा अत्ताहियात के लिए बैठते है और अत्ताहियात की दुआ पढ़ कर दुरूद शरीफ फिर दुआ ए मासुरा पढ़ी जाती है। तब सलाम फेर कर दुआ के लिए हाथ उठाई जाती है।
लेकिन अगर दो रक’अत पढ़नी हो तो दो रक’अत पूरी पढ़कर अत्ताहियात पढ़कर दुरूद पाक फिर दुआ ए मासुरा पढ़ कर सलाम फेरते है। फिर दुआ की जाती है।
मतलब
दो रक’अत में सिर्फ एक दफा अत्ताहियात पढ़ी जाती है।
और चार रक’अत में दो दफा अत्ताहियात पढ़ी जाती है।
यानी दो-दो रक’अत में अत्ताहियात पढ़ना लाज़मी है।
Attahiyat/Tashahhud Me Kab Ungli Uthana Hai?
अत्ताहियात/तशह्हुद कब उंगली उठाते है?
नमाज़ में अत्तहिय्यात पढ़ने का सही तरीका भी जानना बहुत ज़रूरी है। सही तरीके की नमाज़ के लिए शहादत उंगली कब उठानी है, कब नीचे करनी है? इसका मालूम होना लाज़मी है।
हदीस
आमिर बिन अब्दुल्लाह बिन आज़-ज़ुबैर अपने वालिद से रिवायत करते हैं,
“जब रसूल अल्लाह ﷺ तशह्हुद पढ़ने के लिए बैठते, तो आप ﷺ अपना दायाँ हाथ अपनी दायीं रान मुबारक पर रखते और अंगुष्त-ए-शहादत (कलिमे वाली उंगली) से इशारा करते, और आप ﷺ अपनी नज़र उस उंगली के आगे ना डालते जिससे इशारा कर रहे होते थे।”
दर्जा: सहीह (दरुस्सलाम)
सुनन अन-नसा’ई न. 1275
हदीस
इब्न ‘उमर र.अ ने
“जब अल्लाह के रसूल ﷺ अत-तशह्हुद के लिए बैठते, तो आप ﷺ अपना बायाँ हाथ बाएँ गुटने पर रखते, और दायाँ हाथ दाएँ गुटने पर रखते| फिर दाएँ हाथ की उंगलियों को मोड़ते (बंद करते) हुए शहादत वाली उंगली से इशारा करते|”
मुस्लिम शरीफ
तशह्हुद में लफ्ज़ ला पर कलिमे की उंगली (अंगूठे की बगल वाली उंगली) उठाए।
यानी अशहदु अंल्ला (ला) पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली उठाना है और बाकी सारी उंगलियों को बंद कर लेना है।
यानी
“अश-हदु अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहु
व-अश-हदु अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहू व-रसूलुहू”
पढ़ते हुए उंगली को उपर रखना है और “रसूलुहू” पढ़ कर गिरा देना है।
फिर सारी उंगलियों को फौरन सीधी कर लेना है।
अगर दो रक’अत वाली नमाज़ पढ़ रहे है, तो अत्तहिय्यात के बाद दुरूद शरीफ़ और दुआ ए मासुरा पढकर सलाम फेर लेना है।
और अगर तीन या चार रक’अत वाली नमाज़ पढ़ रहे है तो अत्तहिय्यात की दुआ के बाद अल्लाहु अकबर कहकर खडा हो जा जाना है।
Attahiyat Kya Hai?
अत्तहिय्यात क्या है ?
शब ए मेराज के लिए जब आप ﷺ अल्लाह पाक से मिलने गए।
उसके बाद रसूल अल्लाह ﷺ के दरमियाँ की गुफ्तुगु यानी बात-चीत को ही अत्तहिय्यात कहा जाता है।
जब नबी करीम ﷺ की मुलाकात अल्लाह अज़्जवजल से मुलाकात हुई।
तब रसूल अल्लाह ﷺ ने अल्लाह सुभानहु को सलाम नही किया,क्योंकि हकीकतं हम अल्लाह पाक को सलाम पेश नही कर सकते।
क्योंकि तमाम सलामती अल्लाह त’आला की ही तरफ से है।
• तो आप ﷺ ने अल्लाह पाक से यह फरमाया:
“”अत्तहियातु लिल्लाहि वस-स-ल-वातु वत्तय्यिबातु”
“तमाम बोल से अदा होने वाली और बदन से अदा होने वाली तमाम इबादते अल्लाह के लिए है”
• फिर अल्लाह पाक ने जवाब में ये फरमाया:
“अस्सलामु ‘अलयका अय्यु हन-नबिय्यु वर’ह-मतुल्लाही व-ब-र-कातुहू”
“सलामती हो तूम पर या नबी, और रहम और बरकत हो”
• फिर आप ﷺ ने फरमाया:
“अस्सलामु ‘अलैयना व-‘अला ‘इबादिल्लाहि-स्सालिहीन”
“सलामती हो हम पर और अल्लाह आपके नेक बंदों पर”
यहाँ ग़ौर कीजिये, आप ﷺ ने सलामती हो सिर्फ मुझ पर, ऐसा नही कहा।
बल्की उन्होंने फरमाया सलामती हो “हम पर” यानी पूरी उम्मत पर, जो है, जो फौत यानी मर चुके और जो आने वाले है, सभी उम्मतियों पर।
• यह सब फरिश्तों ने सूनकर कहा:
अश-हदु अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहु
व-अश-हदु अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहू व-रसूलुहू”
“हम गवाही देते है की, अल्लाह के सिवाह कोई इबादत के लायक नही है, और हम गवाही देते है की, हज़रत मुहम्मद ﷺ अल्लाह के नेक बन्दे और रसूल है।
Kya Attahiyat Aur Tashahhud Ki Shuruat Shab e Meraj Se Huyi Thi?
क्या अत्ताहियात और तशह्हुद की शुरुवात शब ए मेराज से हुई थी?
इंटरनेट पर बिना हदीस के हवाले से अत्ताहियात् और तशह्हुद की दुआ के बारे मे आपको बहुत सारी जानकारी मिलेंगी।
तशह्हुद की दुआ की शुरूअत कहा से हुई?
जब हुज़ूर ﷺ शबे मेराज पर तशरीफ़ ले गये थे तब ये दुआ नाज़िल हुई थी। लेकिन इस वाक़िया के बारे में हदीस मे कोई ठोस हवाला नही मिल सका है। और ना ही इस्लाम मे इसके बारे मे कोई पक्की बुनियाद नही पाई है।
अल्लाह और उसके रसूल की प्यारी गुफ़्तुगू सबको बताईये!
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