Wazu Karne Ka Tarika in Hindi

Wazu Karne Ka Tarika in Hindi

Wuzu ke baghair namaz nahi aur Quran-e-pak ko parhne ki ijazat bhi nahi. Parhiye wazu karne ka tarika Hindi mein.

Wazu Karne Ka Tarika in Hindi | वजू करने का तरीका

इस्लाम मज़हब में मर्द हो या औरत दोनों को ही वजू करने का तरीका मालूम होना चाहिए। नमाज़ और क़ुरआन पाक पढने से पहले वज़ू के ज़रिये पाकी इख़्तियार करना ज़रूरी है। बग़ैर वुज़ू के नमाज़ और क़ुरआन पढ़ना गूनाह है। तो जानिए इस पोस्ट में वजू करने का सही तरीका।

वजू का अर्थ यानी मतलब क्या है?

इस्लामी तौर तरीके से मुँह, हाथ और पैर धोने को वज़ू कहा जाता है। वजू में बहुत से फराइज़ है। जिसे सही तरीके से करने पर ही दुरुस्त यानी अच्छी तरह वुज़ू हो पायेगा। यहाँ→चार क़ुल  देखिये|

वज़ू क्यों किया जाता है?

वुज़ू नमाज़ पढ़ने और क़ुरआन पाक पढ़ने या पकड़ने से पहले भी किया जाता है।इस्लाम में मर्द और औरत दोनों पर ही नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है।

दिन में पांच वक्त की नमाज़ पढ़ी जाती है।नमाज़ अदा करने से पहले वज़ू करना ज़रूरी है। फातेहा खानी, सवाब पहुचाने और जब दिल चाहे तब भी वज़ू किया जा सकता है। यहाँ→वुज़ू से पहले और बाद की दुआ देखिये|

हर मुसलमान को वजू करने का सही तरीका मालूम होना लाज़मी है। वजू के कुछ फ़राइज है जिनके बग़ैर वज़ू सही नही माना जायेगा।

वुज़ू के कितना फ़राइज़ है?

वुज़ू के चार फराइज़ यानी फर्ज है। जिनके बग़ैर वुज़ू वुज़ू नही माना जायेगा। यहाँ→सूरह बक़राह हिंदी में देखिये|

  1. चेहरा धोना,
  2. कोहनियों समेत दोनों हाथ धोना,
  3. चौथाई सर का मस्ह करना और
  4. टखनों समेत दोनों पाउं धोना।

वजू की नियत कैसे करते है?

नियत दिल के इरादे को कहते है। दिल में वजू करने की नियत करते हुए। ज़बान से भी मैं निय्यत करता हूँ वुज़ू करने की कह सकते है।

फिर ज़बान से वजू करने से पहले ये दुआ पढ़िये:

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

“बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम”

“शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम करने वाला”

फिर वुज़ू करना शुरू कर दीजिये। यहाँ→अक़ीकाह करने की दुआ देखिये|

हदीस

अबू हरैराह र. अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जिस शख्स ने वुज़ू नही किया उस की नमाज़ सही नही, और उस शख्स का वुज़ू सही नही जिस ने (शुरू में) अल्लाह का नाम ना लिया हो।”

सुनन इब्न दावूद न. 101

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जिस ने वुज़ू किया और अल्लाह का नाम लिया उस का सारा बदन पाक हो जाता है, लेकिन जिस ने वुज़ू किया और अल्लाह का नाम नही लिया वो सिर्फ उस जगह पाक है जहाँ तक वुज़ू हुआ।”

मिश्कात अल-सलिहीन न. 428

वजू करने का तरीका

  • तीन बार दोनो हाथों को खूब अच्छी तरह मल कर धोये।

वजू की सुन्नत क्या है?

रसूल अल्लाह ﷺ के की हुई हर चीज़ को आप ﷺ की सुन्नत कहा जाता है।

आप ﷺ हर वजू में मिस्वाक किया करते थे। और साथ ही अपनी उम्मत यानी हम मुसलमानों को भी मिस्वाक करने का मशवरा दिया है।

फिर मिस्वाक धो कर मिस्वाक से अपने उपर नीचे के दातों की खूब अच्छी तरह सफाई करें।

हदीस

अबु हुरेरा र. अ. बयान करते है के रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के अगर मुझे अपनी उम्मत या लोगो की तक़लीफ का ख़्याल न होता तो में हर नमाज़ के लिए उनको मिस्वाक का हुक्म दे देता।

सहीह बुखारी: #887

हदीस

हज़ाइफा र. आ. बयान करते है के नबी-ए-करीम ﷺ जब रात को तहज्जुद के लिए खड़े होते तो पहले अपना मुँह मिस्वाक से खूब साफ करते।

  • फिर एक बार मुँह में पानी डाल कर कुल्ली करे और उंगलियों से दातों को मलें।

फिर तीन बार मुँह मे पानी भी जर कुल्ली ग़रारह करे मुंह की तमाम जड़, दांतों की सब खिड़कीयों में पानी पहुँच जाए।

  • तीन बार दाएं हाथ से नाक की हड्डी तक पानी चढ़ायें।
    अब बाएँ हाथ की छोटी ऊँगली से नाक की छेद में अगर रिंठ यानी मैल लगी हो तो साफ करे।
  • अब चेहरे पर पानी डाल अच्छी तरह से मलकर तीन बार इस तरह से धोए के
    एक कान से दुसरे कान की लौ तक, पेशानी यानी माथे के ऊपर कुछ सर के हिस्से से ठोड़ी यानी दाढ़ी के नीचे तक हर हिस्से पर पानी बह जाए।

अगर दाढ़ी हो तो इस तरह खिलाल करिये:

दोनो हाथों की उंगलियों को पानी से भिगो कर गर्दन की तरफ से अंदर की तरफ ले जाए।

फिर हाथ सामने निकाले साथ ही दाढ़ी के बाल पर भी भीगे हाथों से खिलाल करें। यहाँ→ज़िना से बचने की दुआ  देखिये|

एक हाथ उंगलियों के उंगलियों को दूसरे हाथ की उंगलियों पर रख खिलाल करें यानी मलें। ऐसा दोनो हाथों की उंगलियों पर करें।

  • अब एक दफा दाहिना हाथ धोये, फिर तीन बार दाहिने हाथ पर पानी डालें के हथेलियों पर पानी ले कर उपर कोहनी की तरफ पानी गिर जाए।
  • ठीक इसी तरह बाएँ हाथ पर भी ऐसा ही करें।
  • सर का मस्सह करें।
    वुजू में सर का मस्सह करने का तरीका क्या है?

हदीस

हज़रत अली र. अ. ने वुज़ू में अपने सर का मस्सह किया यहाँ तक के वो तपकने लगा, आप ने फरमाया: मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को इसी तरह वुज़ू करते हुए देखा है।

मुसनद अहमद न. 873

  • दोनों हाथों के अंगूठे और कलमे की उंगली छोड़ दीजिये मतलब उपर कर लीजिये।
  • अब बाकी के दोनो हाथों की तीन-तीन उंगलियों को मिलाकर, पेशानी के बाल उगने की जगह पर रखिये।
  • ऊंगलीयो को आधे सर के ऊपरी हिस्से के गुद्दे पर रखिये।
  • उंगलियों से मसह करते हुए ऐसे ले जाए कि हथेलिया सर पर ना जाए।
  • हथेलियो से सर के दोनों तरफ के करवटो का मसह करिये और पेशानी तक वापस लाए।
  • फिर कलिमे की उंगलीयो से कान के अंदर के हिस्सा का मसह करिये।
  • अंगूठे से कान की बाहर की हिस्से का मसह करिये।
  • अब उन्ही तीन-तीन उंगलीयो की उपरी हिस्से से सिर्फ गर्दन का मसह करिये।
  • अब पहले दाएं पैर की उंगलियों के बीच बाएँ हाथ की छोटी उंगली से मस्सह करते हुए पानी गिरा कर धोये।
    इसी तरह सारी उंगलियों पर मस्सह करते हुए पानी गिरा कर धोते हुए। फिर पैर को तीन बार टखनों तक अच्छे से धोएं।
  • फिर बाएं पैर को ठीक दाहिने उंगलियों और पैर की तरह तीन बार धोएं।

वुज़ू के बाद की दुआ क्या है?

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने हर एक हिस्से को एक बार धो कर वुज़ू किया, आप ﷺ ने फरमाया:

“ये उस शख्स का वुज़ू है जिस की नमाज़ उसके बग़ैर कुबूल नही होती।”

फिर आप ﷺ ने हर हिस्से को दो-दो बार धो कर वुज़ू किया और फरमाया:

“ये वो वुज़ू है जिस की अल्लाह त’आला क़दर करता है।”

फिर आप ﷺ ने हर एक हिस्से को तीन बार धोते हुए वुज़ू किया और फरमाया:

“इस तरह वुज़ू ठीक होता है ये मेरा वुज़ू है और अल्लाह के क़रीबी दोस्त इब्राहीम का वुज़ू है, जो शख्स इस तरह वुज़ू करे उसे मुकम्मल करने पर कहे।

“अश हदु अन्ना ला इलाहा इलल्ललाह व अश हदु अना मुहम्मदा ‘अब-दहु व रसूल-हु”

“मैं गवाही देता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई म’अबूद बरहक़ नही और मैं गवाही देता हूँ के मुहम्मद उस के बंदे और उसके रसूल है।”

सुनन इब्न माजह न. 419

मकरूह का मतलब क्या है?

मकरूह वो चीज़ है जो अल्लाह त’आला और नबी करीम ﷺ के नज़दीक ना पसंदीदा अमल हैं। और जिनके करने से सवाब कम हो जाता है। वो चीज़ किसी भी तरह के इबादत या इबादतों की तैयारी को खराब कर देती है, उसे मकरूह हो जाना कहते है। हालांकि मकरूह गुनाह में शुमार नहीं होता|यहाँ→अस सलामु ‘अलैय कुम का मतलब हिन्दी में देखिये|

बहुत जगहों पर इसके करने से इबादत अधूरी रह जाती है। सुन्नत का छोड़ना मकरूह है इसी तरह हर मकरूह से बचना सुन्नत है।

वुज़ू के मकरूहात क्या है?

  • औरत के वुज़ू या ग़ुस्ल के बचे पानी से वुज़ू करना, वुज़ू को मकरूह करने वाली चीज़ है।

हदीस

हकीम बिन उमर र. अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने मर्द को औरत के वुज़ू के बचे हुए पानी से वुज़ू करने से मना फरमाया।

सुनन अन-निसाई न. 343

  • गंदी जगह पर बैठकर वुज़ू करना या फिर गंदी जगह पर वुज़ू का पानी गिराना, वुज़ू की बेअद्बि है बिल शुबा महरूह है।

हदीस

अबू हरैराह ने बयान किया के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

तुम में से कोई भी पानी में पेशाब ना करे, फिर उस से वुज़ू करे।”

जमी अत-तिर्मिज़ी न. 68

  • वुज़ू करते वक़्त, जिस्म के हिस्से से वुज़ू के पानी की छींटे दूसरों को पड़ना मकरूह माना जायेगा।
  • वुज़ू के पानी में नाक या थूक का पानी गिराना भी सही नही है।
  • क़िबले यानी पस्चिम की तरफ मुँह करके थूकना या कुल्ली करना भी यकीनन अल्लाह त’आला और उसके रसूल ﷺ के नज़दीक ना पसंद है।
  • वुज़ू करते वक़्त दुनिया की बातें करना भी गलत है। इधर उधर की बातों में नही ध्यान देश चाहिए।
  • वुज़ू में ज़्यादा पानी ख़र्च करना भी यकीनन गलत है। जब थोड़े-थोड़े पानी से वुज़ू किया जा सकता है।

हदीस

अनस बिन मालिक र. अ. रिवायत करते है के रसूल अल्लाह ﷺ अपने ब’आज़ साथियों के साथ एक सफर में निकले। वो चलते रहे यहाँ तक की नमाज़ का वक़्त हो गया, उन्होंने वुज़ू करने के लिए पानी नही मिला, उन में से एक चला गया और एक बरतन में थोड़ा सा पानी ले आया। रसूल अल्लाह ﷺ ने उसे ले कर वुज़ू किया, फिर अपने चार उंगलियाँ बरतन पर फैलाएं और लोगो से फरमाया के वुज़ू करने के लिया उठो, उन्होंने वुज़ू करना शुरू किया यहाँ तक के सब ने वुज़ू किया और उन के त’अदाद सत्तर या उससे ज़्यादा थी। यहाँ→शिर्क का मतलब हिन्दी में देखिये|

सहीह अल-बुखारी न. 3574

  • नबी ﷺ ने तीन दफा से ज़्यादा बदन के हिस्से वुज़ू के लिए नहीं धोऐ।

एक हदीस का मफ़हूम है:

“जिसने तीन से ज़्यादा बार धोया उसने बुरा और ज़ुल्म किया।”

  • ऐसा वुज़ू जिसमे बदन के ‘आज़ा ख़ुशक यानी शुखे रह गए हो।

यानी जहाँ-जहाँ वुज़ू के लिए बदन के हिस्से धोने का हुक्म है, उसे अच्छी तरह हाथ लगा करना धोना लाज़मी है।

हदीस

अब्दुल्लाह बिन उमरने कहा: रसूल अल्लाह ﷺ ने कुछ लोगों को वुज़ू करते हुए देखा और उन की एडियाँ ख़ुशक थी, आप ﷺ ने फरमाया:

“जहन्नम की आग की वजह से एडियाँ अच्छी तरह वुज़ू करो।

सुनन इब्न माजह न. 450

  • जिस्म के बाएँ तरफ से वुज़ू शुरू करना भी आप ﷺ ना पसंद था।

बाएँ हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना।

हदीस

आईशा र. अ. ने बयान किया के रसूल अल्लाह ﷺ कंघी करने और वुज़ू करने में जहाँ तक मुंकिन हो दाहिने तरफ से शुरू करना पसंद फरमाते थे।

सहीह अल-बुखारी न. 5926

  • ज़ोर से पानी मारकर वुज़ू करना जिससे बगल वाले को छीटे जाए।
  • मुँह धोते वक़्त फूँकना जिससे मुँह के छीटे बाहर आये, ये भी सही नही है।
  • एक हाथ से चेहरे पर पानी डालना, जिससे चेहरे के आधे हिस्से सूखे रह जाए।
  • सामने गले का मस्सह करना भी वुज़ू का गलत तरीका है।
  • दाहिने हाथ की उंगलियों से नाक साफ करना। बल्कि नाक की गंदगी को बाएँ हाथ से निकालना दुरुस्त है।
  • अपने वुज़ू के लिये वुज़ू का बरतन अलग कर लेना, और किसी को इस्तिमाल करने के लिए नही देना।
  • तीन दफा पानी लेकर तीन बार सिर का मस्सह करना।
    जबकि एक बार पानी लेकर ढाई मरतबा सिर का मस्सह होता है।
  • वुज़ू के बाद किसी ऐसे कपड़े से हाथ मुँह पोछना, जो गंदा हो या दूसरी चीजों को ख़ुशक करने के काम अति हो।

हदीस

आईशा र. अ. ने बयान किया के रसूल के पास एक कपड़ा था जिससे आप ﷺ वुज़ू के बाद खुश्क कर लेते थे।

जमी अत तिर्मिज़ी न. 53

आप ﷺ वुज़ू के पानी को पोछने के लिए अलग कपड़ा रखते थे

  • वुज़ू करते हैं होंठ और आँखें ऐसे बंद करना जिससे वो सोखे रह जाए।
  • सो कर उठने के बाद बग़ैर हाथ धोये वुज़ू के पानी में हाथ डालना भी गलत है।

हदीस

अबू हरैराह र. अ रिवायत करते है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जब तम में से कोई वुज़ू करे तो वो अपने नाक में पानी डाले फिर उस निकाल दे, और जो शख्स अपने शर्मगाह को पथ्थरो से साफ करे उसे ताक़ अ’दद से ग़ुस्ल करना चाहिए, उसके हाथ वुज़ू के लिए पानी में डालने से पहले धो ले, क्योंकि कोई नही जानता के उसके हाथ सोते में कहा थे।”

सहीह अल-बुखारी न. 162

  • पानी ना रहने पर दूध से वुज़ू करना।

हदीस

रिवायत है के ‘अताह ने दूध और नबीज़ से वुज़ू करना मंजूर नही किया और कहा

“तयम्मुम मुझे ज़्यादा पसंद है (दूध और नबीज़ से वुज़ू करने से)।”

सुनन इब्न दावूद न. 86

यहाँ→कूंडे की नियाज़ देखिये|

वुज़ू के मुस्तहब का अर्थ यानी मतलब क्या है?

मुस्तहब वो है जो इबादत के अमल को अच्छे तरीक़े से किया जाता है। जिससे नेकियों में इज़ाफह हो और मकरूह से बचा जाए।

वुज़ू के मुस्तहब्बात क्या है?

हदीस

अनस बिन मालिक र. अ ने बयान किया के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“मक़बूल वुज़ू दो तरी पानी से है।”

जमी अत तिर्मिज़ी न. 609

  • क़िब्ले की तरफ मुँह कर के बैठना लेकिन कुल्ली दूसरी तरफ फेकना।
  • ऊंची जगह बैठ कर वुजू करने से छीटें कम पड़ते है।
  • बैठ कर वुजू करना दुरुस्त है।
  • पानी बहाते वक्त आ’ज़ा पर हाथ फैरना
  • पूरे इत्मीनान और अच्छे से वुजू करना। अल्लाह पाक और नबी करीम ﷺ के नज़दीक खूबसूरत अमल है।

हदीस

वुज़ू करने के बाद उसमान र. अ. ने कहा के में आपको एक हदीस सुनाने जा रहा हूँ जो मैंने आपको नही बताया, अगर मुझे किसी आयत-ए-कारीमह से मजबूर ना किया जाता:

ये आयत है:

“बेशक जो लोग हमारी इन रौशन दलीलों और हिदायतों को जिन्हें हमने नाजि़ल किया उसके बाद छिपाते हैं जबकि हम किताब तौरैत में लोगों के सामने साफ़ साफ़ बयान कर चुके हैं तो यही लोग हैं जिन पर ख़ुदा भी लानत करता है और लानत करने वाले भी लानत करते हैं।”

सूरह बक़ारह, आयत न. 59

मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को फरमाते हुए सुना:

“जो आदमी अच्छी तरह वुज़ू करे और फिर बा-जमा’अत नमाज़ पढ़े तो अल्लाह त’आला उस नमाज़ और अगली नमाज़ के दरमियाँ के गुनाहों को मु’आफ कर देता है, जब तक के वो उसे ना पढ़े।”

सहीह अल-बुखारी न. 160

  • दाएं हाथ से कुल्ली करना वुज़ू का अच्छा तरीका है।
  • बगैर किसी मजबूरी के वुज़ू में किसी की मदद ना लेना।
  • दाएं यानी सीधे हाथ के अंगोठे और छोटी उंगली से नाक में पानी चढ़ाना।
  • उलटे हाथ यानी बाएँ हाथ की उंगलि नाक में डाल कर साफ करना।
  • उंगलियों के उपर के हिस्से से गरदन की पिछे के हिस्से का मसह करना।
  • कानों का मस्सह करते वक्त भीगी हुई उंगलियाँ कानों के सूराखों में डाल कर मस्सह करना।
  • नमाज़ के वक़्त से पहले वुज़ू कर लेना मस्तहब यानी दुरुस्त है।
  • अच्छी तरह से वुज़ू करना जिससे कोई जगह पानी बहने से रह न जाये।

यानी नाक, आंखों के दोनों कोने, टख़्नों, एड़ियों, तल्वों, एड़ियों के ऊपर के हिस्से, उंग्लियों के दरमियान वाली जगह और कोहनियों को अच्छी तरह धोये।

  • चेहरा धोते वक़्त पेशानी पर अच्छे से पानी डालना कि चेहरे और पेशानी का हर हिस्सा भीग जाए।
  • ग़ुस्ल करते वक़्त ही जनाबत यानी वुज़ू करना और पानी ले कर उंगलियों से बलों में हरकत करना मस्तहब है।

हदीस

हज़रत आईशा र. अ. बयान करती है के रसूल अल्लाह ﷺ ग़ुस्ल के बाद वुज़ू नही करते थे।

जमी अत-तिर्मिज़ी न. 107

हदीस

हज़रत आईशा र. अ. से रिवायत है के नबी करीम ﷺ जब जनाबत के बाद ग़ुस्ल करते, उसके बाद अपने उंगलिया पानी में डाल कर अपने बलों की जड़ों को हरकत देते और फिर पानी बहाते थे। यहाँ→मय्यत को ग़ुस्ल देने का तरीका देखिये|

सहीह अल-बुखारी न. 248

  • हाथ पैर धोने में उंगलियों से शुरू करना दुरुस्त और मस्तहब है।
  • वुज़ू मुकम्मल करने के बाद कपड़े से मुँह हाथ ख़ुशक् करके मस्जिद में जाना।

क्योंकि मस्जिद में वुज़ू के पानी के क़तरे गिराना मक्रूह है।

वुज़ू के फायदे क्या है?

  • वुज़ू के लिए किसी को पानी देना बहुत ही सवाब का काम है। इससे अल्लाह सुभानहु त’आला दीन की समझ आता करता है।

हदीस

अनस अब्बास र. अ. से रिवायत है के एक मरतबा रसूल अल्लाह ﷺ ग़ुस्ल ख़ाने में दाख़िल हूँ और मैंने आप को वुज़ू के लिए पानी रखा, आप ﷺ पूछा किसने रखा है?

मैंने बताया की मैंने पानी दिया तो आप ﷺ ने फरमाया:

“ऐ अल्लाह, इसे (इब्न अब्बास) को दीन-ए-इस्लाम का ‘आलिम बना।”

सहीह अल-बुखारी न. 143

  • हमेशा वुज़ू बक़ैदजी से वुज़ू करने वाले को क़यामत के दिन आला रुतबा दिया जायेगा।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“क़यामत के दिन मेरी उम्मत को वुज़ू के निशान से “अल-ग़ुर्र-उल मुहज्जलुन” कहा जायेगा और जो शख्स उसके रक़बे में इज़ाफ़ा कर सकता है, ऐसा करना चाहिए यानी बा-क़ैदगी (हमेशा) से वुज़ू करे।”

सहीह अल-बुखारी न. 136

  • रोज़-ए-क़यामत बक़ैदगी से वुज़ू करने वाले का चेहरा चमक उठेगा। उसी से उसकी पहचान भी होगी।

हदीस

अब्दुल्लाह बिन बसीर ने बयान किया है के, आप ﷺ ने फरमाया:
“क़यामत के दिन मेरी उम्मत सजदे सर चमकेगी और वुज़ू से चमक उठेगी।”

जमी अत-तिर्मिज़ी न. 607

  • वुज़ू में खाने की बरकत है यानी रिज़्क की कुशादगी वुज़ू में है।

हदीस

अबू सलमान ने कहा के मैंने तौरात में पढ़ा है के खाने की बरकत उसके बाद वुज़ू करने में है और जब उन्होंने उस का ज़िक्र नबी ﷺ से किया तो आप ने फरमाया:
खाने की बरकत उससे पहले वुज़ू और उसके बाद वुज़ू है।

जमी अत-तिर्मिज़ी
अबू दावूद
मिशकात अल-सालिहीन न. 4208

वजू किन चीजों से टूटता है?

कुछ चीजों के होने के बाद। वुज़ू में रहते पर कपडे पाक साफ होने के बावजूद नमाज़ और क़ुरआन पाक की तिलावत नहीं कर सकते। उसे वुज़ू का टूटना कहते है।

इनमें लापरवाही हमारी़ नमाज़ों और दूसरी इबादतों को ख़राब कर सकती है। जान बूझ कर छोड़ने या ध्यान ना देने पर बात कुफ़्र तक पहुँचा जाती है।

    1. हदस-ए-असग़र:

इसमे वुज़ू टूट जाता है। नमाज़ और दिगर इबादतों के लिये दुबारा वुज़ू करना लाज़िम हो जाता है।

हदस ए असग़र

  • पेशाब या पख़ाना के रास्ते से हवा मतलब पाद निकलने से, जिसे रियाह कहते हैं, वुज़ू टूट जाता है।
    हदीस

अबू हरैराह र. अ. से रिवायत करते है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“हदस (हवा छोड़ना) करने वाले की नमाज़ उस वक़्त तक कुबूल नही होती जब तक के वो वुज़ू ना करले।”

एक शख्स ने अबू हरैराह र. अ. से पूछा के हदस क्या है?

अबू हरैराह र. अ. ने जवाब दिया हदस से मुराद हवा का गुज़रना।”

सहीह अल-बुखारी न. 135

  • पेशाब और पख़ाना करने से वुज़ू खत्म यानी टूट जाता है।

हदीस

अबू हरैराह ने बयान किया के, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“फितरत के बोलावे (पिशाब और पख़ाना) के बाद वुज़ू है।”

जमी अत-तिर्मिज़ी, न. 20

  • धाद (लिकोरिया) के निकलने से वुज़ू टूट जाता है।
  • मर्द या औरत के पिशाब या पख़ाना के रास्ते से कुछ भी निकालने से।

हदीस

अली र. अ. ने बयान किया के में वो था जिसका गदूद बहता था।

फातिमा र. अ. की वजह से मुझे रसूल अल्लाह ﷺ से इस बारे में पूछने में शर्म अति थी।

चुनान्चे मेंने मक़दाद सर पूछा ब. असद और उसने आप ﷺ से दर्यफ्त किया।

आप ﷺ ने फरमाया: वो अपनी मर्दाना ‘आज़ू को धोये और वुज़ू करे।

सहीह मुस्लिम न. 303 अल्फ

  • मर्द हो या औरत शर्म-ग़ाह को छूने के बाद बग़ैर वुज़ू नमाज़ और कुरआन शरीफ ना पढ़े।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जिस ने अपनी ‘अज़ो तनासिल को हाथ लगाया तो वो उस वक़्त तक नमाज़ नही पढ़ेगा जब तक के वो वुज़ू ना करे।”

जमी अत-तिर्मिज़ी न. 82

  • कट जाने के बाद या ऐसे ही कही ज़ख़्म से ख़ून, पीप या पीला पानी निकल कर बहने से वुज़ू नही रहता।
  • ज़ख़्म या फुन्सी के दबाने पर ख़ून के बहने से वुज़ू टूटता है।
  • दंत या थूक में से ख़ून निकले तो वुज़ू टूट जायेगा वरना नहीं।
  • नींद से सो जाने से वुज़ू टूट जाता है।
  • नमाज़ में अगर जान बूझ कर सो गए तो वुज़ू भी टूट गया और नमाज़ भी गई। तो वुज़ू करके दोबारा पढ़ना दुरुस्त है।
  • अगर अनजाने में नींद पड़ गयी तो वुज़ू टूट गया लेकिन नमाज़ नहीं गई।
  • दुबारा वुज़ू करके जिस रक’अत में नींद पड़ी थी वहाँ से अदा कर सकते है।
  • लेकिन नमाज़ का दोबारा पढ़ना बेहतर होगा।
  • ज़ोर से हँसने और इधर उधर की बात करने से वुज़ू टूट जाता है।
  • मुँह भर के उल्टी करने से वुज़ू टूट जाता है।
  • ना मेहरम से मिलना बिला वजह बातें करने पर वुज़ू नहीं रहता।
  • दर्द करती आ़ँख से पानी बहने पर और आँखों से गंदगी निकालने पर वुज़ू टूट जाता है।
  • आँख जिस में दर्द हो जिससे आँसू बह रहा हो। नजिस है, इससे वु़ज़ू टूट जाता है।
    1. हदस-ए-अकबर:

वह हालतें जिनसे ग़ुस्ल यानी नहाना ज़रूरी और फर्ज़ हो जाता है।

  • मर्द के शर्मग़ाह से मानी (इसपर्म) निकालने ग़ुस्ल फर्ज़ हो जाता है।
  • कपड़ो पर पेसाब-पख़ाना ऐसे लगना के बदन में भी लग गया हो।
  • औरत के शर्मग़ाह से पिला पानी निकलना।
  • ख्वाब में हमबिस्तारी करते हैं देखना।

यहाँ→सूरह यासीन हिंदी में देखिये|

हदीस

अनस बिन मलिक ने रिवायत किया, एक औरत ने रसूल अल्लाह ﷺ से पूछा जो अपने ख्वाब में वही देखती जो मर्द अपने ख्वाब में देखता (हमबिस्तारी)। आप ﷺ ने फरमाया:

“अगर उस वही तजुर्बा हो जो मर्द को होता है तो उसे ग़ुस्ल करना चाहिए।”

सहीह मुस्लिम न. 312

वो क्या है जिससे वुज़ू नही टूटता?

  • हदस हवा यानी पाद का ऐसे गुज़रना के पता ही नही चला। जिससे कोई बदबो नही हुई और ना ही आवाज़ आई। इससे वुज़ू नही टूटता।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ से एक ऐसे शख्स के बारे में पूछा जिसने नमाज़ में हवा के गुज़रने का तसव्वुर किया, आप ﷺ ने फरमाया:

“उस वक़्त तक नमाज़ ना छोड़े जब तक के वो आवाज़ ना सुने या कुछ सोंग्हे।”

सहीह अल-बुखारी न. 137

हदीस

अबू हरैराह ने बयान किया के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“आवाज़ और बदबू के अलावह कोई वुज़ू नही है।”

जमी अत-तिर्मिज़ी न. 74

  • मर्द और औरत तब तक एक साथ वुज़ू कर सकते है, जब तक वो अपनी निगाहें और ज़ेहन पाक रखें।

हदीस

अब्दुल्लाह बिन उमर र. अ. बयान करते है के रसूल अल्लाह ﷺ के ज़माने में मर्द और औरत एक साथ वुज़ू किया करते थे।

सहीह अल-बुखारी न. 193

  • वुज़ू में रह कर इस बात का ख़्याल रखें के कोई ऐसा काम ना हो जिसे तहारत यानी वुज़ू टूटे।

जैसे गंदी बातें सोचना, गाने गाना या गुनगुनाना, ज़ोर से हसना बात करना, बेपरदगी करना, कपड़े उतारना वग़ैरह। यहाँ→दुआ-ए-हिज़बुल बहर की फ़ज़ीलत देखिये|

क्या आँख झपने पर वुज़ू नही टूट जाता है?

जी नही, आँख झपने पर वुज़ू नही टूटता।

हदीस

अनस बिन मालिक ने बयान किया:

“रसूल अल्लाह ﷺ के सहाबी सोते, फिर नमाज़ के लिए खड़े होते, वुज़ू नही करते थे।”

जमी अत-तिर्मिज़ी न. 78

अनस र. अ. कहते है के रसूल अल्लाह ﷺ हर नमाज़ के लिए वुज़ू करते थे, लेकिन उन्होंने न वुज़ू को उस वक़्त तक फ़र्ज़ किया जब तक के उन्होंने कोई ऐसा काम ना किया जिससे रसमे तहारत की हालत खराब हो।

दारीमि ने इसे मुंतक़िल किया।

मिश्कात अल-सलिहीन न. 425

क्या एक वुज़ू में दूसरी नमाज़ पढ़ सकते है?

जी हाँ, एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ भी उसी वुज़ू में पढ़ सकते है।

अनस बिन मालिक र. अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ हर नमाज़ के लिए वुज़ू करते थे और तमाम नमाज़ी एक वुज़ू से पढ़ते थे।”

सुनन इब्न माजह न. 509

क्या बीवी को चूमने से वुज़ू टूट जाता है?

जी नही, बल्कि ऐसा करना तो सुन्नत-ए-नबी है।

हदीस

हज़रत आईशा र. अ. की रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ वुज़ू करते, फिर बोसा देते, फिर बग़ैर वुज़ू के नमाज़ पढ़ते, और कभी मेरे साथ ऐसा करते।

सुनन इब्न माजह न. 503

हदीस

हज़रत आईशा र. अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ और वो नमाज़ के लिए एकटठे वुज़ू करते थे।

सुनन इब्न माजह न. 383

वुज़ू करने के बाद बग़ैर किसी से बात किये तहियातुल वुज़ू की नमाज़ भी अदा कर सकते है।
यहाँ→ तहियतुल की नमाज़ देखिये

बा-वुज़ू रहें, नकियाँ कमाए!

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