तहज्जुद के नमाज़ के बाद मांगी हुई दुआ, जो तहज्जजुद की दुआ (Tahajjud Ki Dua) भी कहलाती है इंशा अल्लाह ज़रूर कुबूल होती है और अर्श तक जाती है। क़ुरआन और हदीस के हवाले से तहज्जुद की दुआ हिंदी में (Tahajjud ki dua in hindi) देखते है। तहज्जुद पढ़ने वालों के लिए अल्लाह त’आला पहले आसमान में आ जाता है।
Kya Tahajjud Ki Azan Hoti Hai? | क्या तहज्जुद की अज़ान होती है?
नमाज़ ए तहज्जुद में अज़ान और इक़ामत नही होती है। इस नमाज़ के लिए अल्लाह पाक जिसे चाहता है उसे उठाता है।
बल्कि इंसान अगर उठ भी जाए तब भी अल्लाह पाक जिसे चाहे वही इस नमाज़ को अदा कर पता है। यहाँ→How to Pray Salatul Hajat Namaz-Tarika देखिए|
Quran Shareef Mein Namaz E Tahajjud Ki Dua Ka Badla | क़ुरआन शरीफ में नमाज़ ए तहज्जुद की दुआ का बदला
تَتَجَافٰى جُنُوۡبُهُمۡ عَنِ الۡمَضَاجِعِ يَدۡعُوۡنَ رَبَّهُمۡ خَوۡفًا وَّطَمَعًا وَّمِمَّا رَزَقۡنٰهُمۡ يُنۡفِقُوۡنَ فَلَا تَعۡلَمُ نَفۡسٌ مَّاۤ اُخۡفِىَ لَهُمۡ مِّنۡ قُرَّةِ اَعۡيُنٍ ۚ جَزَآءًۢ بِمَا كَانُوۡا يَعۡمَلُوۡنَ
तर्जुमा:
(सजदा) (रात) के वक़्त उनके पहलू बिस्तरों से आशना नहीं होते और (अज़ाब के) ख़ौफ और (रहमत की) उम्मीद पर अपने परवरदिगार की इबादत करते हैं और हमने जो कुछ उन्हें अता किया है उसमें से (ख़ु़दा की) राह में ख़र्च करते हैं
सूरह सजदा, आयत न. 16
उन लोगों की कारगुज़ारियों के बदले में कैसी कैसी आँखों की ठन्डक उनके लिए ढकी छिपी रखी है उसको कोई शख़्स जानता ही नहीं
सूरह सजदा, आयत न. 17
यहाँ→Surah Kahf in Hindi देखिए|
Namaz E Tahajjud Ki Dua Ki Fazilat | नमाज़ ए तहज्जुद की दुआ की फज़ीलत
तहज्जुद की नमाज़ में मांगी हुई दुआ की बड़ी फ़जीलत हदीस में बताई गई है।
- आपकी ज़िंगदी में पढ़ी हुई तहज्जुद की नमाज़ आपकी पूरी जिंदगी बदलने की ताक़त रखती है।
- बंदा तहज्जुद की दुआ के ज़रिए अल्लाह पाक से अपनी हर जाइज़ दुआ को कुबूल करवा सकता है।
- नमाज़-ए-तहज्जुद की दुआ के ज़रिये दुनिया की बड़ी से बड़ी परेशानी या मुश्किल से निजात मिल जाती है। इंशा अल्लाह
- जब सारी दुनिया सो रही होती है। उस वक़्त अल्लाह पाक अपने उन बंदों के इंतज़ार में होता है। जो अपनी बातें उनसे बता कर अपनी बिगड़ी किस्मत को सवारना चाहते है।
- तहज्जुद की नमाज़ और दुआ की फज़िलतों में सबसे बड़ी फ़ज़ीलत ये है, के अल्लाह त’आला जिनसे मुहब्बत करता है उन्हे ही इस रात की इबादत का शर्फ हासिल करवाता है।
- तहज्जुद के वक़्त मांगी दुआ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त कभी रद नही फरमाता है। तहज्जुद की दुआ पूरी होकर ही रहती है। अगर पूरी ना भी हो तो उस बदले उससे बहतर चीज़ अल्लाह त’आला अता फरमा देता है।
- नसीब वालो को ही रात के इस वक़्त हाथ उठाकर अल्लाह से मांगने का मौका मिलता है।
- हदीस ए मुबारिका से साबित है के 5 वक़्त की फ़र्ज़ नमाज़ के बाद तहज्जुद की नमाज़ सबसे अफ़ज़ल है।
यहाँ→Char Qul in Hindi Tarjuma देखिए|
हदीस
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
फ़र्ज़ नमाज़ के बाद सबसे अफ़ज़ल नमाज़, तहज्जुद की नमाज़ है।
मुस्लिम हदीस न. 1163
9. तहज्जुद के वक़्त खुद अल्लाह पाक आखरी आसमान पर आ जाता है। और अपने मेहबूब बंदो की बातें सुनता और क़ुबूल फरमाता है।
हदीस
अबु हुरैरा र.अ. से रिवायत है के
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“हमारा परवरदिगार बुलंद बरकत वाला है। हर रात को उस वक़्त आसमान-ए-दुनिया पर आता है, जब रात का आख़री तिहाई हिस्सा रह जाता है, वो कहता है।
है कोई मुझसे दुआ मांगने वाला? की में उसकी दुआ क़ुबूल करूं। है कोई मुझसे मांगने वाला? की में उसे अता करूं। है कोई मुझसे बख़्शीश तलब करने वाला? की में उसको बख़्श दूं?”
सहीह अल-बुख़ारी न. 1145
यहाँ→Mayyat Ko Ghusl Dene Ka Tarika देखिए|
10. तहज्जुद की नमाज़ नफिल इबादत तो है ही साथ मे नबी-ए-कारीम ﷺ की प्यारी सुन्नत भी है। इसलिए इसके पढ़ने वालों को सुन्नत ए नबी को पर करने का भी सवाब हासिल होगा।
11. नमाज़ ए तहज्जुद की दुआ का सवाब तब बढ़ जाता है, जब बंदा मिस्वाक कर के नबी पाक ﷺ की दूसरी सुन्नत पर चलता है।
यानी मिस्वाक करने के बाद जो भी इबादत और नमाज़ पढ़ी जाती है उसका सवाब बढ़-चढ़ कर मिलता है।
हदीस
नबी-ए-करीम ﷺ जब तहज्जुद के लिए उठते तो, मिस्वाक से मुंह साफ़ किया करते थे।
सहीह अल-बुख़ारी न. 1136
12. सलातुल तहज्जुद की वजह से इंसान का चेहरा नूरानी हो जाता है।
एक मरतबा एक इंसान ने इमाम हसन अल-बसरी से पूछा, की तहज्जुद की नमाज़ अदा करने वालों के चेहरे दूसरे लोगो के मुक़ाबले ज़्यादा नूरानी क्यों होते हैं?
इमाम हसन अल-बसरी ने फरमाया:
“जब एक शख़्स रात के अंधेरे और तन्हाई में अपने रब की इबादत करता है। तो अल्लाह रब्बुल ’इज़्ज़त अपने नूर से उस बंदे को एक नूर का लिबास अता कर देता है। इसलिए तहज्जुद पढ़ने वालों के चेहरे ज़्यादा नूरानी होते हैं।”
अल-मुराक़बा वल-मुहासबाह
यहाँ→Dua Mangne Ka Tarika in Hindi देखिए|
Tahajjud Ki Dua In Hindi | तहज्जुद की दुआ इन हिंदी
जो इंसान तहज्जुद के वक़्त उठ कर ये दुआ पढ़ कर दुआ करे। तो इंशा अल्लाह उसकी दुआ कुबूल होगी। और चाहे तो नमाज़ अदा करे तो उसकी नमाज़ और दुआ दोनो कुबूल होगी।
हदीस
नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
अगर कोई शख़्स रात को नींद से बेदार होकर (उठ) कर यह दुआ पढ़े:
لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ،
لَهُ الْمُلْكُ، وَلَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ.
الْحَمْدُ لِلَّهِ، وَسُبْحَانَ اللَّهِ، وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ،
وَاللَّهُ أَكْبَرُ، وَلاَ حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلاَّ بِاللَّهِ
और दुआ करे, तो उसकी दुआ क़ुबूल होगी। और अगर वुज़ू करके नमाज़ अदा करे तो उसकी नमाज़ कुबूल होगी।
सहीह अल-बुख़ारी न. 1154
Tahajjud Ki Dua No. 2 In Hindi | तहज्जुद की दुआ न. 2 इन हिंदी
यहाँ→Miswak Ke 70 Fayde देखिए|
हदीस
इब्न अब्बास र.अ. से रिवायत है,
हज़रत मुहम्मद ﷺ रात को उठ कर तहज्जुद की नमाज़ अदा करते और ये दुआ पढ़ते:
” अलाहुम्मा लकल-हम्द। अंता क़ई-इमुस- समावाती वल-अर्द वा मन फिहिन्ना। व लकल- हम्द, लका मुल्कुस-समावाती वल-अर्द व मन फिहिन्ना। व-लकल-हम्द, अंता नूरुस-समावाती वल-अर्द। व लकल-हम्द, अंत-ल हक़ व वा’दुकल-हक़, व लिक़ा’उका हक़, व क़ौलुका हक़, वल-जन्नातु हन वन-नरु हक़ वन-नबीयूना हक़। व मुहम्मदुन, सल्लल-लहु’अलैहि वसल्लम, हक़, वस-सा’अतु हक़। अलाहुम्मा असल्मतु लका वबिका अमंतु, व ‘अलैका तवाक्कलतु, व इलैका अनबतु व बिका खासमतु, व इलैका हकमतु फ़गफिर ली मा क़द-दमतु वमा अख-खरतु वमा अस-ररतु वमा’अ लनतु, अंतल – मुक़ददिम व अंत-ल-मु अख-खिर, ला इलाहा इल्ला अंता (ला इलाहा गैरुका)
सहीह अल-बुखारी न. 1120
Tahajjud Ki Dua No. 2 In Arabic | तहज्जुद की दुआ न. 2 अरबी में
” اللَّهُمَّ لَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ قَيِّمُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ وَلَكَ الْحَمْدُ، لَكَ مُلْكُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ، وَلَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ نُورُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ، وَلَكَ الْحَمْدُ أَنْتَ الْحَقُّ، وَوَعْدُكَ الْحَقُّ، وَلِقَاؤُكَ حَقٌّ، وَقَوْلُكَ حَقٌّ، وَالْجَنَّةُ حَقٌّ، وَالنَّارُ حَقٌّ، وَالنَّبِيُّونَ حَقٌّ، وَمُحَمَّدٌ صلى الله عليه وسلم حَقٌّ، وَالسَّاعَةُ حَقٌّ، اللَّهُمَّ لَكَ أَسْلَمْتُ، وَبِكَ آمَنْتُ وَعَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ، وَإِلَيْكَ أَنَبْتُ، وَبِكَ خَاصَمْتُ، وَإِلَيْكَ حَاكَمْتُ، فَاغْفِرْ لِي مَا قَدَّمْتُ وَمَا أَخَّرْتُ، وَمَا أَسْرَرْتُ وَمَا أَعْلَنْتُ، أَنْتَ الْمُقَدِّمُ وَأَنْتَ الْمُؤَخِّرُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ ـ أَوْ لاَ إِلَهَ غَيْرُكَ”
Sahih Al-bukhari No. 1120
Tahajjud Ki Dua No. 2 In English | तहज्जुद की दुआ न. 2 इंग्लिश में
Ibn ‘Abbas se riwayat hai,
Hazrat Muhammad ﷺ raat ke waqt uth kar namaz e tahajjud ada karte aur ye dua padhte:
“Allahumma lakal-hamd. Anta qaiyyimus-samawati wal-ard wa man fihinna. Walakal-hamd, Laka mulkus-samawati wal-ard wa man fihinna. Walakal-hamd, anta nurus-samawati wal-ard. Wa lakal-hamd, anta-l-haq wa wa’duka-lhaq, wa liqa’uka Haq, wa qauluka Haq, wal-jannatu Han wan-naru Haq wannabiyuna Haq. Wa Muhammadun, sallal-lahu’alaihi wasallam, Haq, was-sa’atu Haq. Allahumma aslamtu Laka wabika amantu, wa ‘Alaika tawakkaltu, wa ilaika anabtu wa bika khasamtu, wa ilaika hakamtu faghfir li ma qaddamtu wama akh-khartu wama as-rartu wama’a lantu, anta-l-muqaddim wa anta-l-mu akh-khir, la ilaha illa anta (or la ilaha ghairuka)”
Sahih Al-Bukhari No. 1120
यहाँ→Nakhun Katne Ka Sunnat Tarika देखिए|
Tahajjud Ki Dua No. 2 Ka Tarjuma | तहज्जुद की दुआ न. 2 का तजुर्मा
इलाही तेरे लिए हम्द (तारीफ) आसमान व जमीन और जो कुछ इनमें मौजूद सब का तू कायम रखने वाला और तेरे लिए हम्द (तारीफ) है तू ही नूर सब का जो भी आसमान और जमीन पर मौजूद है सब तेरे लिए हम्द (तारीफ) है। तू सब का बादशाह है और तेरे लिए सब हम्द (तारीफ) है। तू और तेरा वादा और तेरा कौल हक है, और तुझ से मिलना यानी क़यामत भी हक़ है।
दोज़ख, अम्बिया और मोहम्मद ﷺ हक़ हैं। ऐ अल्लाह तेरे लिए इस्लाम लाया और तुझ पर इमान लाया और तुझ पर ही तवक्कुल किया और तेरी तरफ रुजु किया और तेरी मदद से खुसूमत की और तेरी ही तरफ फैसला लाया।
तू बख्श दे मेरे लिए वह गुनाह जो मैंने पहले और पीछे किया या फिर छिपा कर किया और दिखा कर किया और वो गुनाह जो तू मुझ से ज़्यादा जानता है। तू ही आगे बढ़ाने और पीछे हटाने वाला है तेरे सिवा कोई म’अबुद नहीं
तर्जुमा हवाला: किताब बहार-ए-शरीयत
Tahajjud Ki Namaz Kya Hai? | तहज्जुद की नमाज़ क्या है?
तहज्जुद वो नमाज़ है जो हमारे नबी ﷺ रोज़ाना रात के आधे पहर नींद और बिस्तर को छोड़ कर पढ़ा करते थे उसे ही तहज्जुद की नमाज़ कहते है।
Tahajjud Ki Namaz Sunnat Hai Ya Nafil? | तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफील?
तहज्जुद की नमाज़ एक ऐसी नफिल नमाज़ है जो रसूल अल्लाह ﷺ की सुन्नत भी है।
हदीस ए मुबारिका से साबित है के फ़र्ज़ नमाज़ के बाद तहज्जुद की नमाज़ सबसे अफ़ज़ल और बरकतों वाला है।
Kya Tahajjud Ki Namaz Aur Dua Ke Liye Sona Zaruri Hai? | क्या तहज्जुद की नमाज़ के लिए सोना ज़रूरी है?
तहज्जुद का असल वक़्त रात का वो एक तिहाई हिस्सा है, जिसमें इंसान को बहुत ही प्यारी नींद आती है। तो तहज्जुद का सबसे अफ़ज़ल घडी वो है जिसमे इंसान ईशा की नमाज़ के बाद सो जाए। फिर आधी रात को उठकर तहज्जुद की नमाज़ अदा करे और दुआ करे।
ऐसा इसलिए क्योंकि इंसान अपनी प्यारी नींद को छोड़ कर अल्लाह पाक से उम्मीद लगता है। अल्लाह पाक से खौफ खा कर अपनी गुनाहों खताहों की माफी तलब करता है।
अपनी दुआओं की क़ुबूलियत की उम्मीद भी लगाता है। इसलिए इस वक़्त इस नमाज़ का अजर और सवाब उम्मीद से बढ़ कर मिलता है।
लेकिन अगर किसी शख़्स को रात में नींद ही नहीं आ रही हो। तो वो बग़ैर सोए तहज्जुद की नमाज़ पढ़ कर दुआ कर सकता है।
ग़ौर कीजिये: लेकिन हमेशा ऐसा करना दुरुस्त नही माना जायेगा। इसे अपनी आदत नही बनानी चाहिए। यहाँ→Doodh Peene Ki Dua देखिए|
बल्कि तहज्जुद के लिए सही वक़्त यानी रात के आधे पहर उठना उस वक़्त इबादत करना ही बहतर माना जायेगा।
Tahajjud Ka Waqt Kab Shuru Hota Hai? | तहज्जुद का वक़्त कब शुरू होता है?
ईशा की नमाज़ के बाद तहज्जुद का वक़्त शुरू होता है। लेकिन सही और अफ़ज़ल वक़्त रात एक तिहाई हिस्सा है जिसे आम तौर पर आधी रात कहते है।
Tahajjud Ka Waqt Kab Tak Rehta Hai? | तहज्जुद का वक़्त कब तक रहता है?
फ़ज्र से कुछ देर पहले उठे और ऐसा लगे के अब फजर हो जायेगी लेकिन अभी अज़ान नही हुई है। तो ऐसे में सिर्फ दो रकात तहज्जुद की नमाज़ अदा कर के दुआ मांग सकते है। उसके बाद अज़ान सुन कर फजर अदा कर सकते है। यहाँ→Roza Kholne ki Dua देखिए|
हदीस
एक शख़्स ने रसूल अल्लाह ﷺ से पूछा,
“या रसूल अल्लाह ﷺ रात की नमाज़ किस तरह पढ़ी जाए?”
नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
“दो-दो रक’अत करके इस तरह पढ़े और जब तुलु सुबह होने का अंदेशा हो तो एक रक’अत वित्र पढ़के अपनी नमाज़ को ताक़ बना ले।”
सहीह अल-बुख़ारी न. 1137
Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika Kya Hai? | तहज्जुद की नमाज़ का तरीक़ा क्या है?
1. ईशा की नमाज़ अदा करने के बाद सो जाए।
2. फिर आधी रात को फजर से पहले उठ कर सबसे पहले मिस्वाक करें। मिस्वाक करना फ़र्ज़ नही लेकिन सुन्नत है।
नबी करीम ﷺ बग़ैर मिस्वाक किये कोई इबादत नही करते थे। इसलिए मिस्वाक के बाद करने वाली इबादत का सवाब बढ़ जाता है।
3. फिर बहुत ही अच्छे से वुज़ू कर लीजिये।
4. उसके बाद नमाज़ की निय्यत कीजिये जैसे हर नमाज़ निय्यत कि जाती है।
Tahajjud Ki Namaz Ki Niyyat Kaise Hoti Hai? | तहज्जुद की नमाज़ की निय्यत कैसे होती है?
जैसे बाकी फ़र्ज़, सुन्नत और नफिल नमाज़ की निय्यत होती है बिल्कुल उसी तरह तहज्जुद की नमाज़ की निय्यत होती है।
जैसे: निय्यत करता हूँ मैं दो रकात नफिल सलातुल तहज्जुद की सुन्नत रसूल-ए-पाक की, वास्ते अल्लाह त’आला के मुँह मेरा क़ाबा शरीफ के तरफ, अल्लाहु अकबर।
5. फिर जिस तरह सारी नमाज़ पढ़ते है।उसी तरह तहज्जुद की नमाज़ भी पढ़िये।
यहाँ→Safar Ki Dua in Hindi Urdu Arabic English-Images देखिए|
Tahajjud Mein Konsi Surah Padhni Chahiye? | तहज्जुद में कौनसी सूरह पढ़नी चाहिए?
जिस तरह बाकी नमाज़ों में सूरह फातिहा के बाद कोई भी एक सूरह पढ़ते।
ठीक उसी तरह तहज्जुद की नमाज़ में भी कोई भी एक सूरह जो आपको याद हो वो पढ़ सकते है।
हमारे नबी-ए-करीम ﷺ तहज्जुद की नमाज़ में सूरह फातिहा के बाद बड़ी सूरह पढ़ते थे। लेकिन अगर आपको बड़ी सूरह याद नही है। तो कोई भी सूरह पढ़ सकते है। जो एक शख़्स को आसान लगे।
6. Tahajjud Ki Namaz Ki Ketni Rakat Hoti Hai? | तहज्जुद की नमाज़ में कितने रकात होती है?
नमाज़ ए तहज्जुद निफ्लि इबादत है। कम वक़्त है तो दो रकात और ज़्यादा वक़्त है तो आठ रकात पढ़ सकते है। अलबत्ता पढ़ने वाले की मर्ज़ी वो 2 रकात, 4 रकात, 6 रकात या 8 रकात पढ़े।
लेकिन पढ़ने का तरीका ये होगा के, नमाज़ ए तहज्जुद दो-दो रकात कर के पढ़ी जाए और हर दो रकात के बाद सलाम फेर ली जाए।
हदीस
हज़रत ’आईशा र. अ. से रिवायत है:
नबी-ए-करीम ﷺ रात को तेरह (13) रकातें पढ़ते थे। वित्र और फज़्र की दो (2) सुन्नत रक’अतें इसी में होतीं।
सहीह अल-बुख़ारी न. 1140
इस हदीस मुताबिक आप ﷺ तहज्जुद की नमाज़ में 8 रकात पढ़ते थे। जिनमें 3 रकात ईशा के वित्र की और 2 रकात फजर की सुन्नत भी शामिल होती थी।
यहाँ→Khana Khane Ki Dua देखिए|
हदीस
हज़रत ’आईशा र.अ. से रिवायत है:
नबी-ए-करीम ﷺ रात में 7 या 9 या फिर 11 रकातें पढ़ा करते थे। फ़ज्र की 2 सुन्नतें छोड़कर।”
सहीह अल-बुख़ारी न. 1139
इस हदीस से पता चलता है नबी-ए-करीम ﷺ तहज्जुद में
- कभी तहज्जुद की 4 + वित्र की 3= 7 रकात,
- कभी तहज्जुद 6 + वित्र की 3= 9
- और कभी तहज्जुद 8 + वित्र की 3= 11 रकात अदा करते था
उम्मीद है आपको इस हिसाब से अम्मा आएशा र.अ. की हदीस समझ आ गयी होगी।
Kya Tahajjud Ke Liye Isha Mein Witr Chhodna Zaruri Hai? | क्या तहज्जुद के लिए ईशा में वित्र छोड़ना ज़रूरी है?
तहज्जुद की नमाज़ के लिए ईशा में वित्र छोड़ छोड़ना सुन्नत है। लेकिन अगर आपको ऐसा अंदेशा हो की तहज्जुद में नींद नही खोलेगी तो वित्र भी छोट जायेगी। तो ऐसी सूरत में वित्र की 3 रकात को ईशा के वक़्त ही पढ़ना सही होगा।
तहज्जुद की दुआ सबको बताएं।
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