सूरह तौबा की आख़िरी आयत | Surah Tauba Ki Akhri Ayat
सूरह अत-तौबह आख़िरी आयत (Surah Tauba Ki Akhri Ayat) 129वी आयत है| ये क़ुरआन शरीफ की 9वि सूरत है। ये 10वे पारे में है। इसमें 129 आयतें और 16 रुकुअ है |
सूरह अत-तौबह (Surah Al-Taubah) मदीना मनव्वरा में नाज़िल हुई थी। इसलिए ये मदनी सूरत कहलाती है। सूरह तौबा क़ुरआन-ए-करीम की वाहिद एक ऐसी सूरह है जिसकी शुरुआत बग़ैर “बिस्मिल्लाह” के होती है। यहाँ→Surah Rahman In Hindi Translation देखिए|
ध्यान दीजिये: अगर आप पहले से क़ुरआन पाक की तिलावत कर रहे है और पढ़ते-पढ़ते फिर सूरह तौबा आती है। तो आप बग़ैर बिस्मिल्लह के इसे पढ़ना शुरु करेंगे।
लेकिन अगर तिलावत की शुरुआत ही आप सूरह तौबा से कर रहें है यानी सबसे पहले ही आप सुरह तौबा पढ़ने जा रहे है। तो “ताउज़” और “तस्मिया” दोनो पढ़ कर इस सूरह की तिलावत शुरु करेंगे।
Tauz Aur Tasmiya Kise Kahte Hai? | ताउज़ और तस्मिया किसे कहते है?
ताउज़: आ ‘ऊज़ू बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
तस्मिया: “बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम”
सूरह तौबा (Surah Tauba) के दो नाम है। पहला है “सूरह अत-तौबह” (Surah At-Tauba) और दूसरा है “सूरह अल बरा’अत” (Surah Al-Bara’at)।
इस सूरह का पहला नाम “सूरह अत तौबह” है, क्योंकि ये तौबा की नियत को बयाँ करता है और क़बूलियत की शराइत का ज़िक्र भी इसमें है।
और दूसरा नाम “सूरह अल-बरा’अत” इसे इस सूरह के पहले लफ्ज़ से लिया गया है।
अल्लाह पाक क़ुरआन-ए-करीम की तिलावत का सवाब हमे हमारी सोच से भी बढ़ कर देते है। अल्लाह त’आला के कलाम की हर एक हुर्फ की बहुत ज़्यादा फ़ज़ीलत-ओ-सवाब हमे मिलता है। यहाँ→Surah Juma In Hindi | सूरह जुमा हिंदी में देखिए|
क़ुरआन मजीद की तिलावत को अपने रोज़ाना का मामूल बनाना ही हमारी जिंदगी और आखि़रत की बहतरी है।
हदीस का मफहूम
हज़रत उस्मान बिन अफ़फान र.अ. से रिवायत है की, नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“तुम मे सबसे बेहतर वो शख्स है जो क़ुरआन सीखे और सिखाए।”
हदीस का मफहूम
हज़रत उमर बिन खत्ताब र.अ. फरमाते है के नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“कि अल्लाह त’आला बहुत से लोगों को इस क़ुरआन मजीद की बरकत से सरफराज फरमायेगा और बहुत से लोगों को क़ुरआन मजीद की वजह से ज़लील फरमायेगा।”
यहाँ→Fatiha Ka Tarika in Hindi देखिए|
Surah Taubah Ki 2 Ayaat Arabic Mein:
सूरह तौबा की आखरी 2 आयत अरबी में:
لَقَْدْ جَآءَكُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ عَزِيْزٌ عَلَيْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِيْصٌ عَلَيْكُمْ بِلْمُؤْمِنِيْنَ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ
فَاِنْ تَوَلَّوْ ا فَقُلْ حَسْبِىَ اللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلّاَ هُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ
Surah Tauba Ki Akhri 2 Ayat In Hindi
सूरह तौबा की आखिरी 2 आयत हिंदी में:
“लक़द जाअकुम रसूलुम् मिन अनफुसिकुम ‘अज़ीज़ुन ‘अलैहि मा अनित-तुम हरीसुन ‘अलैकुम बिल मु मिनीना र ऊफुर- रहीम।”
“फ इन तवल्लौ फक़ुल हसबियल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुव, ‘अलैहि तवक्कलतु व हुवा रब्बुल अर शिल ‘अज़ीम।”
Surah Tauba Ki Akhri Ayat In English
Laqad jaa- akum Rasoolum min anfusikum ‘azeezun ‘alaihi ma anittum hareesun ‘alaikum bil mu-mineena ra-oofur-raheem .
fa-in-tawallau faqul hasbiyallahu la ilaha illa hua, ‘alaihi tawakkaltu wa-hua rabbul arshil azeem. यहाँ→Azan in Hindi Hadees देखिए|
Surah Taubah Ki Akhiri 2 Ayat Ka Tarjuma:
“सूरह तौबा की आखिरी 2 आयात का तर्जुमा:लोगों तुम ही में से (हमारा) एक रसूल तुम्हारे पास आ चुका (जिसकी शफक़्क़त (मेहरबानी) की ये हालत है कि) उस पर शाक़ (दुख) है कि तुम तकलीफ उठाओ और उसे तुम्हारी बेहूदी का हौका है इमानदारो पर हद दर्जे शफीक़ मेहरबान हैं।”
सूरह अत-तौबह आयत न. 128
“ऐ रसूल अगर इस पर भी ये लोग (तुम्हारे हुक्म से) मुँह फेरें तो तुम कह दो कि मेरे लिए ख़ुदा काफी है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मैने उस पर भरोसा रखा है वही अर्श (ऐसे) बुर्जूग (मख़लूका का) मालिक है।”
सूरह अत-तौबह, आयत न. 29
Surah Tauba Ki Akhri 2 Ayat Ka Wazifa | सूरह तौबा की आखिरी 2 आयत का वज़ीफा
जो लोग हर क़िस्म के रुकावटों से परेशान है। वो जिस भी काम में हाथ डालते है, उसमे उन्हे ना-कामी ही मिलती है।
यहाँ तक के रिज़क की तंगी हो। या घर के मसाइल जैसे घर में लडाई झगड़े होना, या किसी दुनियावि मुसीबत पड़ गए हो।
इस सूरह तौबा की आखिरी दो आयत का वज़ीफा शुरू करें। इंशा अल्लाह कुछ ही दिनों में आपकी जिंदगी खुश हाल हो जायेगी।
सारी मुसीबत, परेशानी, उलझन, लडाई, झगड़े से निजात हासिल होगी। आमीन| यहाँ→Char Qul in Hindi Tarjuma देखिए|
Amal Ka Tarika | अमल का तरीका
- सुबह फजर की नमाज़ और शाम मगरिब की नमाज़ के बाद ये अमल करना।
- अव्वल और आखिर में 11-11 मरतबा दुरूद शरीफ पढ़ें।
- 100-100 मरतबा सूरह तौबा की आखिरी दो आयत पढ़ें।
- फिर अपनी परेशानियों हल अल्लाह त’आला से मांगिये। रो कर गिड़गिड़ा कर दुआ कीजिये।
इंशा अल्लाह, कुछ ही दिनों में आपकी परेशानिया खुशियों में और मुश्किलें असानियों में बदल जायेगी। अमीन
Surah Taubah Ki Akhiri 2 Ayat Fazilat | सूरह तौबा की आखिरी 2 आयत की फज़ीलत
सूरह तौबा की सबसे बड़ी फ़ज़ीलत ये है कि ये हमे अल्लाह के तरफ वापसी का रास्ता दिखाती है। इंसान की फितरत ही है गुनाह करना लेकिन जो तौबा कर के अपने रब के पास वापस लौटे वही है, सच्चा मोमिन।
इस सूरह के ज़रिये अल्लाह पाक हमे तौबा की फ़ज़ीलत को बयाँ कर रहे है।
सूरह तौबा की आखिरी 2 आयत पढ़ने की फ़ज़ीलत ये भी है के, अगर आपका पैसें जिसे अपने किसी को उधर दिया है। वो आपको वापस नही कर रहा है।
- तो आप हर नमाज़ के बाद सूरह तौबा की आखिरी 2 दो आयत को 11-11 मरतबा पढ़ें, और पैसे वापस मिलने की दुआ करें।
- दूसरी फ़ज़ीलत ये है के, अगर आपको नौकरी मिलने में परेशानिया पेश आ रही है। तो चलते-फिरते इन दोनो आयतों का विर्द करें और दिल में अपनी हाजत को याद करें और अल्लाह त’आला से दुआ करें।
इंशा अल्लाह, कुछ ही दिनों में आप एक अच्छी नौकरी कर रहे होंगे।
- रोज़ाना सोने से पहले “बिस्मिल्लाह” के साथ सूरह तौबा की आखिरी 2 आयत पढ़ने वाले को इंशा अल्लाह रसूल अल्लाह ﷺ की ज़ियारत नसीब होती है।
- जो भी इन आयतों को जिस भी मक़सद के लिए पूरे दिल से पढ़े और अल्लाह त’आला से दुआ करे। तो अल्लाह त’आला की बारगाह में उसकी हाजत क़ुबूलियत का शर्फ़ हासिल करेगी। इंशा अल्लाह|
- सूरह तौबा की आखरी 2 आयत तिलावत करने वालें इंशा अल्लाह, अल्लाह अज़्ज़वजल की हिफ्ज़-ओ-आमान में रहतें है।
- अगर आप इन दोनो आयतों बल्कि पूरी सूरत की तिलावत को रोज़ाना का मामूल बना लिया है। तो हर तरह की मुसीबत-ओ-आफत से अल्लाह पाक की हिफ़ाज़त में रहेंगे। इंशा अल्लाह|
- इस आयत की कसरत से तिलावत वालों के लिए अल्लाह त’आला रिज्क के दरवाज़ों को खोल देते है और हर तरह तंगी को दूर फरमाते है। इंशा अल्लाह|
- जो शख्स हर नमाज़ के बाद सूरह तौबा की आखिरी 2 आयत की तिलावत को रोज़ाना का मामूल बना लेता। तो अल्लाह त’आला उसके रिज़क में खूब बरकत फरमाता है।
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