नीचे हम सूरह रहमान हिंदी में (Surah Rahman In Hindi) तर्जुमा के साथ मुकम्मल पढ़ेंगे। सूरह अर-रहमान मदीना मुनव्वरा में नाज़िल हुई है। ये क़ुरआन पाक की 55वी सूरह है। सूरह रहमान 30वे पारा में है। इस में 78 आयतें और 3 रुकुअ है। इस सूरह में 1636 हरूफ़ और 351 कलिमात है।
Surah Rahman In Hindi Translation | सूरह रहमान हिंदी में
इस सूरह में अल्लाह पाक की रहमत को बयाँ किया गया है, इसलिए इस का नाम सूरह रहमान है। । इस बात का इल्म आपको तब होगा जब आप सूरह रहमान हिंदी तजुर्मा (Surah Rahman In Hindi) के साथ पढ़ेंगे। इसकी शुरुआत अल्लाह त’आला के मुबारक और रहमत वाले नाम से हुई है।
इस पोस्ट में सूरह रहमान अरबी (Surah Rahman In Arabic) में भी दी हुई है। ताकी अरबी सीखने वालों को भी मदद हो। यहाँ→ Fatiha Ka Tarika in Hindi देखिए|
Surah Rahman In Hindi Translation | सूरह रहमान का हिंदी में तर्जुमा
أَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰانِ الرَّجِيْمِ
بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
“अ ‘ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम,
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम”
“मैं अल्लाह त’आला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से,
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला है।”
1. الرَّحْمَـٰنُ
1. अर-रहमान
1. वही बेहद महेरबान खुदा है
2. عَلَّمَ الْقُرْآنَ
2. अल लमल क़ुरआन
2. जिसने क़ुरआन की तालीम दी
3. خَلَقَ الْإِنسَانَ
3. ख-लक़ल इंसान
3. उसी ने इंसान को पैदा किया
4. عَلَّمَهُ الْبَيَانَ
4. अल ल-महुल बयान
4. और उसको बोलना सिखाया
5. الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ بِحُسْبَانٍ
5. अश शम्सु वल क़-मरू बिहुस्बान
5. सूरज और चाँद एक ख़ास हिसाब के पाबन्द हैं
6. وَالنَّجْمُ وَالشَّجَرُ يَسْجُدَانِ
6. वन नज्मु वश श-जरू यस्जुदान
6. तारे और दरख़्त ( पेड़ ) सब सजदे में हैं
7. وَالسَّمَاءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ الْمِيزَانَ
7. वस समाअ र-फ़’अहा व वद’अल मीज़ान
7. उसी ने आसमान को बलंद किया और तराज़ू क़ायम की
8. أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ
8. अल्ला ततग़व फिल मीज़ान
8. ताकि तुम तौलने में कमी बेशी न करो
8. وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ
9. व अक़ीमुल वज़ना बिल क़िसति वला तुख़ सिरुल मीज़ान
9. इन्साफ के साथ ठीक ठीक तौलो और तौल में कमी न करो
10. وَالْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ
10. वल अरदा व-द’अहा लिल अनाम
10. और ज़मीन को उसने मख्लूक़ के लिए बनाया है
यहाँ→ Agar Quran Gir Jaye To Kya Karen देखिए|
11. فِيهَا فَاكِهَةٌ وَالنَّخْلُ ذَاتُ الْأَكْمَامِ
11. फ़ीहा फाकि-हतुव वन नख्लु ज़ातुल अक्माम
11. जिसमें मेवे और खजूर के दरख़्त हैं, जिनके खोशों पर गिलाफ़ चढ़े हुए हैं
12. وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ
12. वल हब्बु ज़ुल ‘अस्फि वर रैहान
12. और जिसमें भूसे वाला अनाज और ख़ुशबूदार फूल होता है
13. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
13. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
13. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
14. خَلَقَ الْإِنسَانَ مِن صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ
14. ख़-लक़ल इन्सान मिन सल सालिन कल फख़-खा़र
14. उसने इंसान को ठीकरे जैसी खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा किया
15. وَخَلَقَ الْجَانَّ مِن مَّارِجٍ مِّن نَّارٍ
15. व ख़-लक़ल जान्ना मिम मारिजिम मिन नार
15. और जिन्नात को आग के शोले से पैदा फ़रमाया है
यहाँ→1 to 6 Kalma in Hindi देखिए|
16. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
16. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
16. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
17. رَبُّ الْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ الْمَغْرِبَيْنِ
17. रब्बुल मश रिक़ैनि व रब्बुल मग़रिबैन
17. वही दोनों मशरिकों और दोनों मगरिबों का भी रब है
18. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
18. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
18. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
19. مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ
19. म-रजल बह रैनि यल त क़ियान
19. उसने दो ऐसे समंदर जारी किये, जो आपस में मिलते हैं
20. بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَّا يَبْغِيَانِ
20. बै-नहुमा बर-ज़खुल ला यब ग़ियान
20. लेकिन उन दोनों के दरमियान एक रुकावट है कि दोनों एक दुसरे की तरफ़ बढ़ नहीं सकते
21. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
21. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
21. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
22. يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ
22. यख़ रुजु मिन्हुमल लुअ लूऊ वल मरजान
22. उन दोनों से बड़े बड़े और छोटे छोटे मोती निकलते हैं
यहाँ→ALLAH Ke 99 Naam देखिए|
23. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
23. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
23. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
24. وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنشَآتُ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ
24. व लहुल जवारिल मून शा-तु फिल बहरि कल अ’अलाम
24. और उसी के कब्जे में रवां दवा वो जहाज़ हैं जो समंदर में पहाड़ों की तरह ऊंचे खड़े हैं
25. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
25. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
25. तो ( ए इंसान और जिन्नात! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
26. كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍ
26. कुल्लू मन ‘अलैहा फान
26. जो कुछ भी ज़मीन पर है सब फ़ना होने (मिटने) वाला है
27. وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ
27. व यब्क़ा वज्हु रब्बिका ज़ुल जलालि वल इकराम
27. और सिर्फ़ आप के रब की ज़ात बाक़ी रहेगी जो बड़ी इज्ज़त व करम व करम वाली होगी
28. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
28. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
28. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
29. يَسْأَلُهُ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ
29. यस अलुहू मन फिस समावाति वल अरज़ि कुल्ला यौमिन हुवा फ़ी शअन
29. आसमानों ज़मीन में जो लोग भी हैं, वो सब उसी से मांगते हैं हर रोज़ उस की एक शान है
30. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
30. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
30. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
31. سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ الثَّقَلَانِ
31. सनफ रुग़ु लकुम अय्युहश श-क़लान
31. ए इंसान और जिन्नात ! अनक़रीब हम तुम्हारे हिसाबो किताब के लिए फारिग़ हो जायेंगे
32. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
32. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
32. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
यहाँ→Roza Kholne ki Dua देखिए|
33. يَا مَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْإِنسِ إِنِ اسْتَطَعْتُمْ أَن تَنفُذُوا مِنْ أَقْطَارِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ فَانفُذُوا ۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَانٍ
33. या म’अ शरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त त’अतुम अन तन्फुज़ु मिन अक़ तारिस सामावती वल अरज़ि फनफुजू ला तन्फुज़ूना इल्ला बिसुल तान
33. ए इंसानों और जिन्नातों की जमात ! अगर तुम आसमान और ज़मीन की हदों से निकल भाग सकते हो तो निकल भागो मगर तुम बगैर ज़बरदस्त कुव्वत के नहीं निकल सकते
34. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
34. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान
34. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
35. يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِّن نَّارٍ وَنُحَاسٌ فَلَا تَنتَصِرَانِ
35. युरसलू ‘अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान
35. तुम पर आग के शोले और धुवां छोड़ा जायेगा फिर तुम मुकाबला नहीं कर सकोगे
36. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
36. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
36. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
37. فَإِذَا انشَقَّتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ
37. फ़इज़न शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान
37. फिर जब आसमान फट पड़ेगा और तेल की तिलछट की तरह गुलाबी हो जायेगा
38. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
38. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
38. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
39. فَيَوْمَئِذٍ لَّا يُسْأَلُ عَن ذَنبِهِ إِنسٌ وَلَا جَانٌّ
39. फयौ म इज़िल ला युस अलु ‘अन ज़मबिही इन्सुव वला जान
39. फिर उस दिन न किसी इंसान से उस के गुनाह के बारे में पुछा जायेगा न किसी जिन से
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
40. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
40. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
यहाँ→100 Durood Shareef PDF देखिए|
41. يُعْرَفُ الْمُجْرِمُونَ بِسِيمَاهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِي وَالْأَقْدَامِ
41. यु’अ रफुल मुजरिमूना बिसीमाहुम फ़युअ ख़ज़ु बिन नवासी वल अक़दाम
41. उस दिन गुनाहगार अपने चेहरे से ही पहचान लिए जायेंगे, फिर वो पेशानी के बालों और पांव से पकड़ लिए जायेंगे
42. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
42. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
42. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
43. هَـٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي يُكَذِّبُ بِهَا الْمُجْرِمُونَ
43. हाज़िही जहन्नमुल लती युकज्ज़िबू बिहल मुजरिमून
43. यही वो जहन्नम है जिसको मुजरिम लोग झुटलाया करते थे
44. يَطُوفُونَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيمٍ آنٍ
44. यतूफूना बैनहा व बै न हमीमिन आन
44. वो दोज़ख़ और खौलते हुए पानी के दरमियान चक्कर लगायेंगे
45. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
45. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
45. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
46. وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ جَنَّتَانِ
46. व लिमन खाफ़ा मक़ामा रब्बिही जन नतान
46. और जो अपने रब के सामने खड़े होने से डरता था उसके लिए दो जन्नते हैं
47. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
47. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
47. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
48. ذَوَاتَا أَفْنَانٍ
48. ज़वाता अफ्नान
48. दोनों बाग़ बहुत सी टहनियों वाले (घने) होंगे
यहाँ→ Bidat Kya Hai? देखिए|
49. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
49. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
49. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
50. فِيهِمَا عَيْنَانِ تَجْرِيَانِ
50. फीहिमा ऐ’नानि तजरियान
50. दोनों में दो चश्मे बह रहे होंगे
51. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
51. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
51. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
52. فِيهِمَا مِن كُلِّ فَاكِهَةٍ زَوْجَانِ
52. फीहिमा मिन कुल्लि फा-किहतिन ज़वजान
52. उन बाग़ों में हर मेवे दो दो किस्मों के होंगे
53. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
53. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
54. مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ فُرُشٍ بَطَائِنُهَا مِنْ إِسْتَبْرَقٍ ۚ وَجَنَى الْجَنَّتَيْنِ دَانٍ
54. मुत-तकि ईना ‘अला फुरुशिम बताईनुहा मिन इस्तबरक़ व जनल जन्नतैनी दान
54. (जन्नती लोग) ऐसे बिस्तरों पर आराम से तकिया लगाये होंगे जिन के अस्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों के फ़ल (क़रीब ही) झुके हुए होंगे
55. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
55. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
55. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
56. فِيهِنَّ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ
56. फ़ी हिन्ना क़ासिरातुत तरफि लम यतमिश हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
56. उन में नीची नज़र रखने वाली हूरें होंगी, जिन को उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने
57. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
57. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
57. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
यहाँ→Safar Ki Dua in Hindi Urdu Arabic English-Images देखिए|
58. كَأَنَّهُنَّ الْيَاقُوتُ وَالْمَرْجَانُ
58. क अन्न हुन्नल याक़ूतु वल मरजान
58. वो हूरें ऐसी होंगी जैसे वो याकूत और मोती हों
59. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
59. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
59. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
60. هَلْ جَزَاءُ الْإِحْسَانِ إِلَّا الْإِحْسَانُ
60. हल जज़ा उल इहसानि इल्लल इहसान
60. भला अहसान ( नेक अमल ) का बदला अहसान ( बेहतर अज्र ) के सिवा कुछ और भी हो सकता है
61. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
61. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
61. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
62. وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ
62. वमिन दूनिहिमा जन नतान
62. और उन दो बाग़ों के अलावा दो और बाग़ भी होंगे
63. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
63. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
63. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
64. مُدْهَامَّتَانِ
64. मुद हाम मतान
64. जो दोनों गहरे सब्ज़ रंग के होंगे
65. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
65. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
65. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
66. فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ
66. फीहिमा ‘ऐनानि नज़ज़ा ख़तान
66. उन दोनों बाग़ों में दो उबलते हुए चश्मे भी होंगे
67. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
67. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
67. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
68. فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ
68. फीहिमा फाकि हतुव व नख़लुव वरुम मान
68. उन में मेवे, खजूर, और अनार होंगे
69. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
69. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
69. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
70. فِيهِنَّ خَيْرَاتٌ حِسَانٌ
70. फिहिन्ना खैरातुन हिसान
70. उन में नेक सीरत ख़ूबसूरत औरतें भी होंगी
71. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
71. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
71. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
72. حُورٌ مَّقْصُورَاتٌ فِي الْخِيَامِ
72. हूरुम मक़सूरातुन फिल ख़ियाम
72. खेमों में महफूज़ गोरी रंगत वाली हूरें भी होंगी
73. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
73. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
73. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
74. لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ
74. लम यत मिश हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान
74. उन से पहले न किसी इंसान ने हाथ लगाया होगा न किसी जिन ने
75. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
75. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
75. तो ( ए इंसान और जिन्नात ! ) तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
76. مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ رَفْرَفٍ خُضْرٍ وَعَبْقَرِيٍّ حِسَانٍ
76. मुत तकि ईना ‘अला रफ़-रफिन ख़ुज़ रिव व ‘अब्क़रिय यिन हिसान
76. (जन्नती लोग) सब्ज़ तकियों और खूबसूरत कालीनों पर टेक लगाये होंगें
77. فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
77. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ ज़िबान
77. तो तुम अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
78. تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ
78. तबा रकस्मु रब्बिका ज़िल जलाली वल इकराम
78. आप के परवरदिगार, जो बड़े जलाल व अज़मत वाले हैं, उन का नाम बड़ा ही बा बरकत है
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