Surah Naas in Hindi Translation Aur Tafseer| सूरह नास का हिंदी तर्जुमा और तफसीर
सूरह नास क़ुरान पाक की छोटी सूरतों में से एक सूरह है। नबी करीम ﷺ इस सूरह की तिलावत किया करते थे। इस पोस्ट में सूरह नास (Surah Naas) का हिंदी में तर्जुमा,तफसीर और हदीस में फ़ज़ीलत पढ़ेंगे|
Surah Naas Ke Maane Hindi Me | सूरह नास के माने हिंदी में
सूरह अन-नास (سورة ٱلنَّاس) का उर्दू मतलब है आदमज़ाद या इंसान। इस सूरह में इंसान को इंसान और जिन्न की बुराईयों से अल्लाह त’आला की पनाह लेने की हिदायत दी गयी है। हिदायत और हिफाज़त दोनो ही अल्लाह अज़्ज़वजल की तरफ से ही मिलती है। क्योंकि क़ुरआन मजीद भी अल्लाह करीम की है और ये सारी क़ायनात भी अल्लाह पाक की ही है| यहाँ→ Surah Ikhlas in Hindi देखिए|
इन आयतों के ज़रिये दुनिया की बुरी बलाओं से ही नही बल्कि आसमानी आफ़तों से भी निजात की दुआ की जाती है।
इस सूरत के नाज़िल होने के बाद ऐसा कोई दिन नही था जब हज़रत मुहम्मद ﷺ ने सूरह नास की तिलावत ना की हो।
सूरह नास (Surah An-Naas) क़ुरान मजीद की 114 सूरह है जो 30वे पारा में है। इसमें 6 आयात है। अल्लाह त’आला ने इस सूरह को इंसानों के लिए हिफाज़त बना कर इस दुनिया में नाज़िल फरमाई। ताकि रोज़ाना इसकी तिलावत कर के हर तरह की बुराईयों और आफ़तों से अल्लाह पाक की पनाह ली जा सके।
Surah An Naas Hindi Aur Arbi Me + Tarjuma | सूरह अन नास हिंदी और अरबी में + तर्जुमा
क़ुरान मजीद को अपनी ज़बान में पढ़ कर समझना नेक अमल में शुमार है। लेकिन क़ुरान पाक को अरबी में पढ़ना बहुत ज़रूरी। क्योंकि ये ज़बान अल्लाह पाक की चुनिंदा ज़बान है। तो ज़ाहिर सी बात है अरबी ज़बान यानी भाषा अल्लाह पाक को पसंद है।
इसलिए जो लोग अरबी पढ़ना नही जानते या थोड़ा बहुत जानते है। उनके लिए हमने सूरह अन नास अरबी (Surah An-Naas In Arabic) ज़बान में दिया है।
जो लोगों को अरबी बिल्कुल नही आति उनके लिए सूरह अन-नास (Surah An Naas In Hindi) के हुर्फ़ हिंदी में नक़ल कर के दिया गया है।
और जिन्हे सूरह अन-नास का तर्जुमा जानना है। उनके लिए सूरह नास का हिंदी तर्जुमा (Surah An Naas Ka Hindi Tarjuma) के साथ दिया गया है। ताकि सीखने वालों, पढ़ने वालों और मालूमात इखट्टा करने वालों को आसानी हो। यहाँ→Durood Sharif in Hindi देखिए|
Surah Naas In Hindi With Arabic, Hindi Translation And Transliteration | सूरह नास इन हिंदी अरबी के साथ, हिंदी तर्जुमा और हिंदी नकल के साथ
(سورة ٱلنَّاس)
• عُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰانِ الرَّجِيْمِ
بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
• “अ ‘ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम,
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम”
• “मैं अल्लाह त’आला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से,
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला है।”
1. قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ
1. क़ुल अ’ऊज़ु बि- रब्बिन नास
1. (ऐ नबी) कहो कि मैं इन्सानों के परवरदिगार की पनाह में आता हूँ।
2. مَلِكِ ٱلنَّاسِ
2. म- लिकिन नास
2. जो सारे इन्सानों का मालिक है।
3. إِلَـٰهِ ٱلنَّاسِ
3. इला हिन्नास
3. जो सारे इन्सानों का माबूद है।
4. مِن شَرِّ ٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ
4. मिन शर-रिल वसवा सिल ख़न्नास
4. वस्वसा डालने वाले और छुप जाने वाले के बुराई शर से।
5. ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ
5. अल-लज़ी यु- वस विसु -फी सुदू रिन-नास
5. जो लोगों के दिलों में वस्वसा डालता रहता है।
6. مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ
6. मिनल जिन- नति वन-नास
6. जो जिन्नों में से हो या फिर इंसानों में से।
Surah Naas Ki Fazilat Hadees Me | सूरह नास की फ़ज़ीलत हदीस में
1. सूरह नास क़ुरान पाक की अनमोल सूरह है।
हदीस का मफहूम
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“तुमने ग़ौर किया? आज की रात मुझपर ऐसी आयात नाज़िल हुई के इससे पहले ऐसी आयात नही देखी गयी है, और वो आयात है सूरह फ़लक़ (क़ुल अ’ऊज़ु बि रब्बील फ़लक़ और सूरह नास (क़ुल अ’ऊ रब्बील नास)।”
सहीह मुस्लिम न. 1348
यहाँ→ Sabr Ki Dua in Hindi देखिए|
सूरह फ़लक़ और सूरह नास के नाज़िल होने के बाद आप ﷺ ने इस सूरह की तिलावत हर उस मौके पर किया जब उन्हे किसी दुनयावि और आसमानी आफत का अंदाज़ा हुआ।
2. अल्लाह त’आला की पनाह तलब करने के इरादे से नबी-ए-करीम ﷺ सूरह नास की तिलावत रोज़ाना फरमाते थे।
हदीस का मफहूम
अबु सईद र.अ. कहते है:
“रसूल अल्लाह ﷺ जिन्नात और इंसान की नज़र-ए-बाद से बचने के लिए अल्लाह त’आला की पनाह तलब करने के लिए मुख़तलिफ दुआएं पढ़ा करते थे, लेकिन जब मु’अव्वाज़तैन (सूरह फ़लक़ सूरह नास) नाज़िल हुई, आप ﷺ ने बाकी दुआएं छोड़ दी और ये दोनो सूरतें पढ़ा करते थे।”
जामी अत-तिर्मिज़ी न. 1681
3. सूरह नास ज़ोरदार तूफान या अंधी में पढ़ने की दुआ। इस सूरह की तिलावत कसरत हर उस वक़्त में बढ़ा देनी चाहिए जब कोई भी दुनिया की मुसीबत आये। या आसमानी मुसीबत जैसे रात की अंधेरे से ज़्यादा अंधेरा छा जाए या ज़लज़ला आये।
इसलिए उस ऐसे वक्तों में आप ﷺ सूरह फ़लक़ और सूरह नास की तिलावत में मशगूल हो जाते ।अल्लाह त’आला से इस मुसीबत की घडी को टालने के लिए अल्लाह की पनाह मांगने में लग जाते थे।
हदीस का मफहूम
सहाबी इकराम र.अ. कहते है, जाहफह और अबवाह के दरमियाँ हम रसूल अल्लाह ﷺ के साथ जा रहे थे, अचानक हमे शदीद अंधी और ने तारीकि आ लिया, रसूल अल्लाह ﷺ ने मु’अज़तैन (सूरह फ़लक़ और सूरह नास) के साथ अल्लाह त’आला की पनाह मांगना शुरू कर दिया, और फरमाया:
“ऐ उक़बा इन दो सूरतों के ज़रिये अल्लाह त’आला की पनाह मांगो, किसी पनाह मांगने वाले के लिए इन सूरतों से बेहतर कोई सूरत नही है।”
सुनन अबु दावूद न. 2162
यहाँ→1 to 6 Kalma in Hindi देखिए|
4. सूरह नास और सूरह फ़लक़ उस वक़्त नाज़िल हुई जब रसूल अल्लाह ﷺ पर एक यहूदि ने जादू किया।
हदीस का मफहूम
रसूल अल्लाह ﷺ पर जब जादू किया गया तो जिब्राईल स.स. ने आपको मु’अव्वाज़तैन पढ़ने की हिदायत दी, जिसे पढ़ने के बाद रसूल-ए-अकरम ﷺ को मुकम्मल शिफा हुई।”
तब्रानी न. 2761
5. सूरह नास और सूरह फ़लक़ के नाज़िल होने के बाद नबी करीम ﷺ ने खुद फरमाते है के इन सूरतों जैसी कोई सूरत नही है। यानी ये दोनो सूरह अमूल और नायाब सूरह है।
हदीस का मफहूम
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“तुमने ग़ौर किया? आज की रात मुझपर ऐसी आयात नाज़िल हुई के इससे पहले ऐसी आयात नही देखी गयी है, और वो आयात है सूरह फ़लक़ (क़ुल अ’ऊज़ु बि रब्बील फ़लक़ और सूरह नास (क़ुल अ’ऊ रब्बील नास)।”
सहीह मुस्लिम न. 1348
यहाँ→Dua Mangne Ka Tarika in Hindi देखिए|
6. नबी करीम ﷺ इन दोनो सूरह की तिलावत से अल्लाह पाक की मदद तलब किया करते थे। ये दुआ सूरह फ़लक़ और सूरह नास है सबको पढ़ने और दम करने का मशवरा देते थे।
हदीस का मफहूम
उम्मुल मु’अमिनीन हज़रत आइशा र.अ. कहती है के:
“जब रसूल अल्लाह ﷺ को कुछ तकलीफ होती तो आप ﷺ ने अपने दिल में मु’अव्विधातें (सूरह फ़लक़ और सूरह नास) पढ़ कर फूँक मारते। जब दर्द शदीद होगया तो मैंने (सूरह फलक़ और सूरह नास) तिलावत आप ﷺ पर की और उनके हाथ की बरकत की उम्मीद में आप ﷺ के हाथों से ही उनके चेहरे का मस्सह किया।”
सुनन अबु दावूद न. 3902
बशर्ते इसे अल्लाह त’आला की मदद तलब करने की निय्यत से पूरे यकीन और खुलूस से पढ़ा जाए।
7. नबी करीम ﷺ इस दोनो सूरह की तिलावत फरमाते और हज़रत हसन र.अ. और हज़रत हुसैन र.अ. को नज़रे बद से बचाने के लिए दम करते।
दम यानी फूँक मरने के लिए अल्लाह पाक की पनाह मांगते तो सूरह इखलास, सूरह फ़लक़ और सूरह नास की तिलावत किया करते।
हदीस का मफहूम
रसूल अल्लाह ﷺ अपने नवासों पे नज़र-ए-बद से बचने के लिए मुख्तालिफ दुआ पढ़ा करते थे, लेकिन जब मु’अव्वादात (सूरह फ़लक़ और सूरह नास) नाज़िल हुई, तो आप ﷺ ने बाकी दुआएं छोड़ दी और सूरह फ़लक़ और सूरह नास पढ़ कर दम किया करते थे।
सुनन इब्न माजह न. 3511
यहाँ→Wazu Karne Ka Tarika in Hindi देखिए|
7. मौत की घडी की शदीद तकलीफ के वक़्त भी इन दोनो सूरतों की तिलावत करना अफ़ज़ल है। जो मौत के वक़्त की तकलीफ की शिद्दत की कम करता है।
हदीस का मफहूम
“मर्ज़-उल-मौत में मु’अव्वादात पढ़ने से जागरी की तकलीफ भी कम होती है।”
सहीह बुखारी न. 5061
8. गंदे और बुरे जिन्न या असरात के शर से हिफाज़त पाने की निय्यत से भी सूरह फ़लक़ और सूरह नास की तिलावत करना अफज़ल है।
हदीस का मफहूम
अबु सईद र.अ. कहते है:
“रसूल अल्लाह ﷺ जिन्नात और इंसान की नज़र-ए-बाद से बचने के लिए अल्लाह त’आला की पनाह तलब करने के लिए मुख़तलिफ दुआएं पढ़ा करते थे, लेकिन जब मु’अव्वाज़तैन (सूरह फ़लक़ सूरह नास) नाज़िल हुई, आप ﷺ ने बाकी दुआएं छोड़ दी और ये दोनो सूरतें पढ़ा करते थे।”
जामी अत-तिर्मिज़ी न. 1681
9. नबी पाक ﷺ शुभा उठते वक़्त और रात में सोते वक़्त सूरह फ़लक़, सूरह नास और सूरह इखलास की तिलावत करते और अपने जिस्म हाथ फेर कर दम करते।
हदीस का मफहूम
“रसूल अल्लाह ﷺ सोने से पहले और जागने के बाद मु’अव्वादात (सूरह फलक़ और सूरह नास) को पढ़ा करते थे।”
सुनन अन-निसाइ न. 5434
यहाँ→Surah Muzammil in Hindi देखिए|
हदीस का मफहूम
अब्दुल्लाह बिन खबीर र.अ. ने बयाँ किया के, रसूल अल्लाह ﷺ ने मुझसे फरमाया:
“सूरह अल-इखलास और म’अव्विधातें (सूरह अल-फ़लक़) और सूरह अन-नास तीन (3) मरतबा फजर और शाम में पढ़ो, ये तुम्हारी लिए हर लिहाज़ से काफी है।
अबु दावूद अत-तिर्मिज़ी | रियाज़ अल-सालिहीन न. 1456
10. रसूल अल्लाह ﷺ जब भी रात में सोते तो पहले सूरह इखलास, सूरह फ़लक़ और सूरह नास की तिलावत करते और अपने पूरे बदन पर चेहरे और बाल समेत दम करते।
हदीस का मफहूम
हज़रत ‘आइशा र.अ. ने बयाँ किया के,
“नबी-ए-करीम ﷺ जब भी रात को सोने के लिए जाते तो अपने दोनो हाथ मल कर उसपर सूरह अल इखलास, आ फलक़ और सूरह अन नास पढ़ कर फूंक मारते और फिर अपने जिस्म के जिस हिस्से पर भी हाथ फेरते, अपने सर, चेहरे और जिस्म के सामने से शुरू करते हुए रगड़ने के क़ाबिल, वो तीन बार ऐसा करते थे।
सहीह अल-बुखारी न. 5017
यहाँ→Zina Se Bachne Ki Dua देखिए|
सूरह नास की तिलावत तर्जुमा के साथ करने के बाद मालूम हुआ के रब्बुल ‘आलमीन ही है जिसने तमाम के तमाम इंसानों को बनाया है।
अल्लाह पाक ही हमारा मालिक है। तो हमें अल्लाह अज़्ज़वजल की ही पनाह और मदद मांगनी चाहिए। और वो ही है जिनकी मदद हमारे का आयेगी।
इस सूरह की तिलावत को अगर हम रोज़ का मामूल बना लें। तो इंशा अल्लाह, अल्लाह पाक की आमान यानी पनाह हासिल होगी। बुरे लोग, शैतान और शैतानी वस्वासों, जिन्न और इंसान की बद-नज़रों से भी बच जायेंगे। इंशा अल्लाह|
सूरह नास और सूरह फ़लक़
- दुख,
- दर्द,
- तकलीफ,
- बुखार,
- बेचैनी,
- बिच्छू,
- सांप,
- डायन की नज़र और
हर तरह की आसमानी और दुनियावि परेशानी से निजात दिलाने में कारसाज़ है।
Surah Naas Ki Tafseer In Hindi | सूरह नास की तफसीर हिंदी में
• عُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰانِ الرَّجِيْمِ
بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
• “अ ‘ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम,
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम”
• “मैं अल्लाह त’आला की पनाह में आता हूँ शैतान ने मरदूद से,
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान व रहम वाला है।”
1. قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ
1. क़ुल अ’ऊज़ु बि- रब्बिन नास
1. (ऐ नबी) कहो कि मैं इन्सानों के परवरदिगार की पनाह में आता हूँ।
(Tafseer/तफसीर)
1. पहली आयत में अल्लाह त’आला नबी करीम ﷺ को हिदायत देते हुए हम तमाम इंसानो को हिदायत दे रहे है। ये हिदायत पनाह यानी हिफाज़त मांगने की है। इसके साथ अल्लाह पाक ये भी बता रहे है के वो ही है तमाम इंसानों के खुदा जो सारे इंसानों को पालने वाला है।
2. مَلِكِ ٱلنَّاسِ
2. म- लिकिन नास
2. जो सारे इन्सानों का मालिक है।
(Tafseer/तफसीर)
2. दूसरी आयत में अल्लाह त’आला दुनिया के सारे इंसानों को बता रहे है के वो ही एक अकेले मालिक है इस दुनिया के इंसानों के।
3. إِلَـٰهِ ٱلنَّاسِ
3. इला हिन्नास
3. जो सारे इन्सानों का माबूद है।
(Tafseer/तफसीर)
3. तीसरी आयत में अल्लाह त’आला बता रहे है के अल्लाह अज़्ज़वजल ही है जो इबादत का हक़दार है।
4. مِن شَرِّ ٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ
4. मिन शर-रिल वसवा सिल खन्नास
4. वस्वसा डालने वाले और छुप जाने वाले के बुराई शर से।
(Tafseer/तफसीर)
4. चौथी आयत में बताया जा रहा है के शैतानी वस्वसा डालने वाले जो बुरे खयालात से हावी हो जाता है। उस शैतान के शर से बचने के लिए अल्लाह पाक की पनाह मांगिये। क्योंकि वो अल्लाह पाक के नाम से पीछे हट कर छुप जाता है।
5. ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ
5. अल-लज़ी यु- वस विसु -फी सुदू रिन नास
5. जो लोगों के दिलों में वस्वसा डालता रहता है।
(Tafseer/तफसीर)
5. पंचविं आयत में भी उसी वस्वसा डालने वाले शैतान का ज़िक्र है। जो लोगो के दिलों को बुराई के खयालात डालता है।
6. مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ
6. मिनल जिन- नति वन नास
6. जो जिन्नों में से हो या फिर इंसानों में से।
(Tafseer/तफसीर)
6. छट्टे आयत में अल्लाह त’आला ये भी बता रहे है वो शैतानी वस्वसा यानी बुरी बाते खयालात लोगो के दिलों में सिर्फ शैतानी नही डालता। बल्कि कुछ इंसान भी ऐसा करते है जो बुरे होते है। लोगों को बुराई की तरफ बेहकाते है।
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