Surah Inshiqaq Hindi Translation | सूरह इन्शिक़ाक़ का तर्जुमा और तशरीह

Is post mein aap Surah Inshiqaq Translation Hindi mein parhenge yani tarjuma aur uski har ek ayat ki tafseer aur tashreeh.

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Surah Inshiqaq Hindi Translation

Surah Inshiqaq Hindi Translation

सूरह इन्शिक़ाक़ क़ुरआन-ए-पाक की आयत #84 है जो मक्का में नाज़िल हुई, इसमें कुल 25 आयात है|

Surah Inshiqaq Hindi Translation | सूरह इन्शिक़ाक़ का हिन्दी में तर्जुमा

इज़स समा उन शक्क़त

याद करो उस वक़्त को जब आसमान फट पड़ेगा

व अज़िनत लि रब्बिहा हुक्क़त

और वो अपने परवरदिगार का हुक्म सुन कर मान लेगा और उस पर यही लाज़िम है

व इज़ल अरदु मुद्दत

और जब ज़मीन फैला दी जाएगी

व अल्क़त मा फ़ीहा व तख़ल्लत

और जो कुछ ज़मीन के अन्दर है वो उसे बाहर फेंक देगी और ख़ाली हो जाएगी

व अज़िनत लि रब्बिहा हुक्क़त

और वो अपने परवरदिगार का हुक्म सुन कर मान लेगी और उस पर यही लाज़िम है

या अय्युहल इंसानु इन्नका कादिहुन इला रब्बिका कद हन फ़मुलाक़ीह

ए इन्सान ! तू अपने परवरदिगार के पास पहुँचने तक मुसलसल किसी मेहनत में लगा रहेगा, यहाँ तक कि उस से जा मिलेगा

फ़ अम्मा मन ऊतिया किताबहू बि यमीनिह

फिर जिस शख्स को उस का आमालनामा उस के दायें हाथ में दिया जायेगा

फ़सौफ़ा युहासबु हिसाबै यसीरा

उस से तो आसान हिसाब लिया जायेगा

व यन्क़लिबू इला अहलिही मसरूरा

और वो अपने घर वालों के पास ख़ुशी मनाता हुआ वापस आयेगा

व अम्मा मन ऊतिया किताबहू वराअ ज़हरिह

लेकिन वो शख्स जिस को उस का आमालनामा पीठ के पीछे से मिलेगा

फ़सौफा यद्ऊ सुबूरा

तो वो मौत को पुकारेगा

व यस्ला सईरा

और वो भड़कती हुई आग में दाखिल होगा

इन्नहू कान फ़ी अहलिही मसरूरा

पहले वो अपने घर वालों के दरमियान बहुत ख़ुश रहता था

इन्नहू ज़न्ना अल लैय यहूर

उस ने ये समझ रखा था कि वो कभी पलट कर (अल्लाह के सामने) नहीं जायेगा

बला इन्ना रब्बहू कान बिही बसीरा

क्यूँ नहीं ? उसका परवरदिगार उसको अच्छी तरह देख रहा था

फ़ला उक्सिमु बिश शफ़क़

अब मैं क़सम खाता हूँ शफ़क़ (शाम की सुर्खी) की

वल लैलि वमा वसक़

और रात की, और उन तमाम चीज़ों की जिन्हें वो समेट लेती है

वल क़-मरि इज़त तसक़

और चाँद की जब वो पूरा हो जाता है

लतर कबुन्ना त-बक़न अन तबक़

तुम ज़रूर एक हालत से दूसरी हालत पर पहुंचोगे

फ़मा लहुम ला युअ’मिनून

फिर उन्हें क्या हो गया है कि वो ईमान नहीं लाते हैं ?

वइज़ा कुरि आ अलैहिमुल कुरआनु ला यस्जुदून

और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो वो सज्दा नहीं करते हैं

बलिल लज़ीना कफरू युकज्ज़िबून

बल्कि ये काफ़िर लोग हक़ को झुट्लाते हैं

वल लाहु अअ’लमु बिमा यू ऊन

और जिन बातों को ये झुट्लाते हैं अल्लाह उन से खूब वाकिफ़ है

फ़बश शिरहुम बि अजाबिन अलीम

तो आप उनको एक दर्दनाक अज़ाब की खब़र सुना दीजिये

इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति लहुम अजरुन गैरु मम नून

मगर हाँ ! जो लोग ईमान ले आये और अच्छे अमल करते रहे, उनको ऐसा सवाब मिलेगा जो कभी ख़त्म नहीं होगा

यहाँ देखिए:

अल्लाह को राज़ी करने की दुआ

अस्तग़फार की दुआ

सूरह इन्शिकाक तशरीह | Surah Inshiqaq Tashreeh

तशरीह का माने है अहमियत| सूरह इन्शिक़ाक़ की आयात में ग़फलत में पड़े इन्सान को हक़ीक़त और उसकी आख़िरी मंज़िल आगाह और उसपर चेताया गया है| के किस तरह जिस ज़मीन और जिस आसमान के नीचे वो ज़िन्दगी ऐश-ओ-इशरत से गुज़ार रहा है उनके क्या हालात होंगे|

आगे के हालात उसकी आँखों के सामने बतला दिए गए है| मगर हक़ीक़त से नावाक़िफ़ इन्सान समझता है के मौत और क़ब्र उसकी आख़िरी मंज़िल है, आगे कुछ नहीं| हक़ीक़त तो ये है के क़ब्र तेरी आख़िरी मंज़िल नहीं बल्कि इन्तेज़ार गाह है| आगे एक बड़ा जहां आने वाला है| जिसका मंज़र का उसके आ’अमाल पे दारोमदार है|

इस सूरह में क़यामत के हालात, हिसाब-किताब और नेक व बद की जज़ा व सज़ा का बयान हैं|

इस्मे पहले आसमान के फटने का ज़िक्र है फ़िर ज़मीन का की जो कुछ उसके पेट में है| चाहे वो खज़ाने दफीने हो या इंसानों के मुर्दा जिस्म| वो सब उगल कर निकाल देगी| और  महशर के लिए नयी ज़मीन तैयार होगी जिसमे न कोई ग़ार, पहाड़ होगा न तामीर और दरख़्त|

एक साफ़ बराबर सतह होगी उसको खीँचकर बढ़ा दिया जाएगा ताकि पहले और बाद के तमाम अफराद उस पर जमा हो सके| वो मन्ज़र पेश किया गया है कि जब आसमान और ज़मीन भी अपनी हालत में नहीं रहेंगे|

सूरह इन्शिकाक तफसीर | Surah Inshiqaq Tafseer

आयत न. 1 और  2 : यानि आसमान अल्लाह के हुक्म की फरमाबर्दारी करने वाला है जब उसको जो हुक्म दिया जाएगा तो वो फ़ौरन मानेगा

आयत न. 3 : रिवायात से कुछ इस तरह तफ़सील मालूम होती है कि क़यामत के दिन ज़मीन को रबड़ की तरह खींच कर उस का साइज़ बड़ा कर दिया जायेगा ताकि उस में अगले पिछले लोग समां सके

आयत न. 4 : वो मुर्दे जो क़ब्रों में दफ़न हैं उनको बाहर निकाल दिया जायेगा और वो क़ुदरती चीज़ें भी जो ज़मीन की तहों में अल्लाह तआला रख देते हैं

आयत न. 5 : और ज़मीन भी अल्लाह के हुक्म की फरमंबर्दारी करेगी जब उसको जो हुक्म दिया जाएगा तो वो फ़ौरन मानेगी

आयत न. 6 : इन्सान की पूरी ज़िन्दगी किसी न किसी कोशिश में ख़र्च होती है, जो नेक लोग हैं वो अल्लाह हुक्म पूरा करते हुए दुनिया में मेहनत करते हैं और जो दुनिया परस्त हैं वो सिर्फ़ दुनिया के फ़ायदे हासिल करने के लिए दुनिया में मेहनत करते हैं, यहाँ तक कि हर इन्सान का आख़िरी अंजाम ये होता है कि वो मेहनत करता करता अल्लाह तआला के पास पहुँच जाता है

आयत न. 7 से 10 : दायें हाथ में आमालनामा मिलने का मतलब है कि आमाल अच्छे हैं और पीठ पीछे से आमालनामा मिलने का मतलब आमाल बुरे हैं

आयत न. 11 से 14 : मौत को इसलिए पुकारेगा कि एक दफ़ा मौत की तकलीफ़ हो जाये ठीक है लेकिन कम से कम हमेशा के अज़ाब से तो बच जाएँ

आयत न. 15 : नेकी बदी का हिसाब होना ही था इसलिए अल्लाह तआला उसके आ’अमाल की निगरानी कर रहे थे

आयत न. 16 से 19 : (अरबी ज़ुबान में सूरज डूबने के बाद उसकी रौशनी का जो असर बाक़ी रहता है उसको“शफ़क़”कहते हैं पहले ये रौशनी लाल रहती है उसके बाद सफ़ेद हो जाती है, तो यहाँ पर उस लाल रौशनी की क़सम खायी गयी है)

यानि जिन चीज़ों को रात अपने अंधेरों में समेट लेगी यहाँ शफ़क़, रातऔर चाँदकी क़सम खायी गयी है, ये सारी चीज़ें अल्लाह तआला के हुक्म के मुताबिक़ एक हालत से दूसरी हालत में तब्दील होती रहती हैं इनकी क़सम खाकर ये फ़रमाया गया कि इन्सान भी एक मन्जिल से दूसरी मन्जिल की तरफ़ सफ़र करता रहेगा यहाँ तक कि अल्लाह तआला से जा मिलेगा

आयत 20 से 23 : इसका एक मतलब है कि जो भी आमाल वो कर रहे हैं अल्लाह उन्हें जानता है और एक मतलब ये भी है कि जो बातें उन्होंने दिल में छिपा रखी हैं अल्लाह उन से खूब वाकिफ़ है

आयत न. 24 से 25 : इन दो आयात में ईमान लाने वाले और न लाने वालों का अन्जाम बताया गया है|

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