सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयतें (Surah Baqarah Ki Akhri 2 Ayat) उन तौहफों में शामिल है। जो नबी-ए-करीम ﷺ को अल्लाह त’आला ने शब-ए-मेराज में आता फरमाइ थी। इस पोस्ट में सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात (Surah Baqarah Ki Akhri 2 Ayat In Hindi+Fazilat) हिंदी में जानेंगे। सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात की फ़ज़ीलत बहुत सी हदीस में पाई गई है।
Surah Baqarah Ki Akhri 2 Ayat in Hindi | सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात हिंदी में
सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात क़ुरआन मजीद की वाहिद दो ऐसी आयात है, जिसे अल्लाह त’आला ने बग़ैर जिब्राईल अ.स. के आप ﷺ को शबे मेराज में एक सीधे-सीधे आता फरमाइ।यहाँ→Tahajjud Ki Dua In Hindi देखिए|
यानी शब-ए-मेराज की रात जब नबी करीम ﷺ अल्लाह अज़्ज़वजल से मुलाकात करने गए। तब अल्लाह त’आला ने आप ﷺ को तीन (3) चीजें अता फरमाइ।
उनमें से:
- एक चीज़ पंच (5) वक़्त की नमाज़ थी
- सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात
- तीसरी चीज़ अल्लाह त’आला का नबी-ए-करीम से ये वादा के, जो भी आपकी उम्मत से शिर्क नही किया होगा उन्हें में जन्नत आता कर दूँगा।
हदीस
हज़रत रसूल अल्लाह ﷺ को मेराज में तीन चीजें अता की गयी:
आपको पंच वक़्त की नमाज़ें अता की गयीं, सूरह बक़राह का आखरी हिस्सा और ये वादह की मुहम्मद के उम्मत की तमाम लोगों के गुनाह माफ कर दिये जायेंगे सिवाए उन लोगों के जो अल्लाह के साथ शिर्क करते हुए मर गए। यहाँ→Nabeez Benefits in Hindi देखिए|
सहीह मुस्लिम, इमान – न. 279
Surah Baqarah Ki Akhri 2 Ayat Kab Nazil Huyi? | सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात का नाज़िल हुई?
सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात बहुत ही खास आयात है। इंसानों, जिन्नो, यहाँ तक के पूरी क़ायनात बनाने से दो हज़ार साल (2,000) पहले अल्लाह त’आला ने इस आयात को नाज़िल फरमाया।
हदीस
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“बेशक अल्लाह त’आला ने आसमानों और ज़मीन को पैदा से दो हज़ार (2,000) साल पहले एक किताब (लोह-ए-महफूज़) में लिखा और उसमें से दो आयतें नाज़िल फ़रमाई ताके सूरह बक़राह का इख़तताम हो। अगर किसी घर में तीन रातें पढ़ी जाए तो कोई शैतान उस के क़रीब नही आयेगा।
सुनन तिर्मिज़ी न. 2882
Surah Baqarah Konse Para Mein Hai? | सूरह बक़राह कौनसे पारा में है?
सूरह बक़राह क़ुरआन मजीद के पहले यानी एक (1) पारा से ले कर तीन (3) पारा तक है। ये क़ुरआन मजीद की दूसरी और सबसे बड़ी सूरत है। अल-बक़राह के नाम से लोग जानते है | यहाँ→Surah Juma In Hindi | सूरह जुमा हिंदी में देखिए|
Surah Baqarah Kaha Nazil Huyi Thi? | सूरह बक़राह कहा नाज़िल हुई थी?
सूरह बक़राह मदीना मुनव्वरा मे नाज़िल हुई थी इसलिए ये मदनी सूरह कहलाती है। सूरह बक़राह को अल-बक़राह कहते है।
Surah Baqarah Mein Ketni Ayatein Aur Ketne Ruko Hai? | सूरह बक़राह में कितनी आयतें और केतने रुकू है?
सूरह अल-बक़राह में 286 आयतें है और 40 रुकु’अ है |
Surah Al Baqarah Ki Akhri 2 Ayat In Arabic | सूरह अल बक़राह की 2 आयात अरबी में
1. اٰمَنَ الرَّسُوْلُ بِمَٓا اُنْزِلَ اِلَيْهِ مِنْ رَّبِّهٖ وَالْمُؤْمِنُوْنَ، كُلٌّ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓئِكَتَهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖ
.لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ اَحَدٍ مِّنْ رُّسُلِهٖ، وَقَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعٍنَا، غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَاِلَيْكَ الْمَصِيْرُ(285)
2. لَا يُكَلِّفُ اللّٰهُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا، لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ
،رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ اِنْ نَّسِيْنَا اَوْ اَخْطَاْنَا، رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَا اِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِنَا
.رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لاَ طَاقَةَ لَنَا بِهٖ، وَاعْفُ عَنَّا، وَاغْفِرْ لَنَا، وَارْحَمْنَا، اَنْتَ مَوْلَانَا فَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ(286)
Surah Al Baqarah Ki Akhri 2 Ayat In Hindi | सूरह अल बक़राह की 2 आयात इन हिंदी
1. आ-मनर-रसूलु बिमा उनज़िला इलैहि मिर-रब्बिही वल- मु’अमिनून, कुल्लुन आ-मना बिल्लाहि व मला-इ-कतिही व कुतुबिही व रुसुलिह,
ला नुफर-रिक़ु बैना अ-ह-दिम-मिर-रुसुलिह, व क़ालू समि’अना व अता’अना ग़ुफरा-नका रब्बना व इलैकल-मसीर।(285)
2.ला युकल- लि -फुल्लाहु नफ्सन इल्ला वुस’अहा, लहा मा क-स-बत व ‘अलैहा मक -त- स-बत,
रब्बना ला तुआखिज़ना इन-नसीना औ अख-त’अना, रब्बना वला तहमिल ‘अलैना इसरन कमा हमल-तहू ‘अलल-लज़ीना मिन क़बलिना, रब्बना वला तुहम्मिलना मा ला ता-क़ता लना बिहीे, व’अफु अन्ना, वग़-फिरलना, वर-हमना, अन्ता मौलाना फन-सुरना ‘अलल क़ौमिल काफिरीन।”(286)
Surah Al Baqarah Ki Akhri 2 Ayat Ka Tarjuma In Hindi
1. “हमारे पैग़म्बर (मोहम्मद) जो कुछ उनपर उनके परवरदिगार की तरफ से नाजि़ल किया गया है उस पर ईमान लाए और उनके (साथ) मोमिनीन भी (सबके) सब ख़ुदा और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान लाए (और कहते हैं कि) हम ख़ुदा के पैग़म्बरों में से किसी में तफ़रक़ा नहीं करते और कहने लगे ऐ हमारे परवरदिगार हमने (तेरा इरशाद) सुना”(285)
286. “और मान लिया परवरदिगार हमें तेरी ही मग़फि़रत की (ख़्वाहिश है) और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है ख़ुदा किसी को उसकी ताक़त से ज़्यादा तकलीफ़ नहीं देता उसने अच्छा काम किया तो अपने नफ़े के लिए और बुरा काम किया तो (उसका बवाल) उसी पर पडे़गा ऐ हमारे परवरदिगार अगर हम भूल जाऐं या ग़लती करें तो हमारी गिरफ़्त न कर ऐ हमारे परवरदिगार हम पर वैसा बोझ न डाल जैसा हमसे अगले लोगों पर बोझा डाला था,
और ऐ हमारे परवरदिगार इतना बोझ जिसके उठाने की हमें ताक़त न हो हमसे न उठवा और हमारे कु़सूरों से दरगुज़र कर और हमारे गुनाहों को बख़्श दे और हम पर रहम फ़रमा तू ही हमारा मालिक है तू ही काफि़रों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर” (286)
Surah Al Baqarah Ki Akhri 2 Ayaton Ki Fazilat Kya-Kya Hai? | सूरह अल बक़राह की आखिरी 2 आयतों की फ़ज़ीलत क्या-क्या है?
Fazilat No. 1 | फ़ज़ीलत न. 1
सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात पढ़ने वाले को किसी भी इंसान और हर तरह के जिन्न शर यानी बुराई से हिफाज़त मिलेगी।
हदीस
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद र.अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“सूरह बक़राह की आखिरी दो (2) आयात जो शख्स रात को पढ़ लेता है तो ये दोनों इसके लिए काफी है। काफी होने से मुराद ये है के ये दोनों आयतें हर शर और फ़ितने को इससे दूर करेंगी।
या फिर रात भर और वज़ाइफ़ पढ़ने से काफी होंगी यानि उस शख्स को इसके पढ़ने पर और वज़ाइफ़ के बराबर सवाब मिलेगा। यानी के हर जिन्नात और इंसान के शर बुराई से हिफाजत में रखेंगी।”
मुशकात ऐ शरीफ , बुखारी शरीफ
Fazilat No. 2 | फ़ज़ीलत न. 2
सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात की तिलवत जिस घर में होती है। उस घर में 3 दिनों तक शैतान दाखिल नही हो सकता है। यानी इसकी तिलावत से शैतान के वस्वसे और बुराई से हिफाज़त होगी। इंशा अल्लाह| यहाँ→Lanat Dena In Islam | लानत देना और ताना देना देखिए|
Fazilat No. 3 | फ़ज़ीलत न. 3
“सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात” और सूरह “अल-फातिहा” के एक-हुर्फ़ में अल्लाह अज़्ज़वजल की तरफ से इनाम आता किया जाता है।
तो सोचिये अगर रोज़ाना इन्हे पढ़ने का म’अमूल बना लिया जाए। तो रोज़ाना जिंदगी भर आप केतना सारे इनाम इखट्टा कर लेंगे।
हदीस
इब्न अब्बास र.अ. ने बयान किया के जिब्राईल अ.स. रसूल अल्लाह ﷺ के साथ बैठे हुए थे के आप ﷺ ने अपने उपर एक चींख की आवाज़ सुनी। उसने (जिब्राईल अ.स) अपना सर उठाया और कहा:
“ये आज जन्नत का एक दरवाज़ा है जो पहले कभी नही खुला था।”
फिर जब उस पर एक फरिश्ता उतरा तो उसने (जिब्राईल अ.स) कहा:
“ये वो फरिश्ता है जो ज़मीन पर उतरा है जो पहले कभी नही उतरा।”
आप (फरिश्ते) ने सलाम कहा और फरमाया:
“खुशी मनाओ उन दो नूरों पर जो तुम से पहले किसी नबी को नही दी गयी, “फतेहा अल-किताब” और “सूरह अल-बक़राह” की आखिरी आयात। तुम उनकी तरफ से कोई हुर्फ़ हरगिज़ नही पढ़ोगे जिसका तुम्हें (इनाम) ना दिया जायेगा।”
सहीह मुस्लिम न. 1877
यहाँ→ALLAH Ke 99 Naam देखिए|
यानी सूरह अल-फातिहा और सूरह बक़राह की आखिरी 2 आयात पढ़ने वाले शख्स को अल्लाह त’आला इनाम आता फरमाते।
इस बात पर भी ग़ौर कीजिये के यहाँ केतना और कब इनाम मिलेगा? नही बताया गया। इस बात से अंदाज़ा लगा सकते है, के अगर अल्लाह त’आला किसी को इनाम देंगे। तो वो इनाम भी आला दर्ज़े का होगा। और इसमें कोई शक नही के इनाम इस दुनिया में ही नही आखि़रत में भी मिलेगा। इंशा अल्लाह
Fazilat No. 4 | फ़ज़ीलत न. 4
शब-ए-मेराज में अल्लाह त’आला ने नबी-ए-करीम ﷺ को नायाब ऐसे तौहफों से नवाज़ा जो पहले किसी नबी को नही मिले। इसबात से ही अंदाज़ा लगा सकते है के आप ﷺ केतना मेहबूब थे।
Shab-E-Meraj Mein Kaunse 3 Tauhfein ALLAH Ta’ala Ne Aap ﷺ Ko Ata Farmayi? | शब-ए-मेराज में कौनसे 3 तौहफेन अल्लाह त’आला ने आप ﷺ को ‘अता फरमाई?
हुज़ूर-ए-अकरम ﷺ को जब मेराज पर ले गए। फिर आप ﷺ सिदरतुल मुंतहा यानी सातवे आसमान तक पहुंचें।
जो भी चीज़ नीचे से आसमान तक चड़ती है वो यही तक पहुँच कर रुक जाती है। फिर यही से ले ली जाती है।
जो भी चीज़ ऊपर से उतरती है वो भी यही तक पहुँचती है फिर यहाँ से ले ली जाती है। वहाँ आप ﷺ तीन तौहफें आता हुई। जो उससे पहली किसी नबी को आता नही हुई और ना ही कभी होंगी।
- पहली चीज़: पाँच वक़्त की नमाज़
- दूसरी चीज़: “उम्मत-ए-नबी ﷺ के हर गुनाह बख्श देने का वादा सिवाए उसके जिसने मौत से पहले अल्लाह त’आला के साथ किसी को शरीक किया।”
- तीसरी चीज़: नूर की आयात, सूरह बक़राह की आखरी 2 आयात आता हुई।
हदीस का मफहूम
हुज़ूर-ए-अकरम ﷺ और हज़रत जिब्राइल अ.स. बैठे हुए थे के अचानक आसमान से एक दहशत नाक आवाज़ आई। हज़रत जिब्राइल अ.स. ने ऊपर को आंखे उठाई और कहने लगे के आसमान का एक दरवाज़ा खुला है जो आज से पहले कभी नहीं खुला था।
फिर उससे एक फरिश्ता उतरा जो आज से पहले कभी नही उतरा उसने नबी ﷺ से कहा आप खुश हो जाए क्यूंकि आपको वो दो नूर दिए जाते है, जो आपसे पहले किसी नबी को नहीं दिए गए। वो दो नूर सूरह और सूरह बक़राह की आखिरी दो आयात।
इनमें से एक-एक हुर्फ़ पर नूर दिया जाएगा।
सहीह मुस्लिम
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Fazilat No. 5 | फ़ज़ीलत न. 5
अपनी रातों को इबादत का ज़रिया बनाये। सूरह बक़राह की आखिरी दो आयात पढ़ कर ही सोये। टके आपकी तमाम रात इबादत में गुज़रे।
हदीस
अबू मस’अऊद अल-बुखारी र.अ. से रिवायत है के,
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“रात को सूरह अल-बक़राह की आखिरी दो आयात पढ़ना काफी है।”
सहीह बुखारी न. 4008
जिस शख्स ने इन आयतों को सोने से पहले पढ़ लिया। फिर उसकी मौत आ जाए तो ये आयात उसके लिए काफी होंगी। यानी उसकी मग़फिरत का ज़रिया बनेगी। सुबह अल्लाह
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Masha Allah