Mayyat Ko Ghusl Dene Ka Tarika

Mayyat Ko Ghusl Dene Ka Tarika Hadees

Kisi momin ke inteqal par use kafan dafan se pahle mayyat ko ghusl dene ka tarika hota hai. Ye shariat me maujood hai. Ayiye janaze ko ghusl dene ke isi khas tarteebwar tariqe ko ham aaj jaante hai. Kyonke har ek musalman mard aur aurat ko janaze ko ghusl dene ka sahi tariqa ana bhi bahot zaruri hai.

Mayyat Ko Ghusl Dene Ka Tarika | मय्यत को ग़ुस्ल देने का तरीक़ा

ग़ुस्ल का मतलब क्या?

इस्लाम में ग़ुस्ल का मतलब पाकी इख़्तियार करने से है। जिस तरह इंसान न पाकी हालत से पाक होने के लिए ग़ुस्ल यानी नहाता है।

उसी तरह मय्यत यानी मुर्दे को भी पाक साफ हालत में इस दुनियाँ से रुख़्सत किया जाता है। इस्लाम एक ऐसा मज़्हब है जिसमे पाकी को आधे ईमान का दर्ज दिया गया है। तो ये वाज़ेह है के फौत सदा इंसान को भी पाकी के हालत में दफनाया जायेगा। यहाँ→ अस्तग़फार की दुआ हदीस में देखिये!

मय्यत को ग़ुस्ल देने की फ़ज़ीलत हदीस-ए-मुबारिका में

रसूल अल्लाह ﷺ के आज़ाद करदह ग़ुलाम अबू राफ़े’अ अल-सलीम र. अ. बयान करते है के, आप ﷺ ने फरमाया: “जिस ने किसी मय्यत को ग़ुस्ल दिया और जिस्मानी ऐबों को छिपाया तो उसे चालीस (40) मरतबा बख़्श दिया जायेगा”।

अल-‘हकीम रियाज़ अल-सलिहीन, न. 928

मय्यत को ग़ुस्ल देने का तरीका

किसे मय्यत को ग़ुस्ल देना चाहिये?

ग़ुस्ल देने वाला इंसान क़रीबी रिश्तेदार हो तो बेहतर होगा। क्योंकि जिस तरह ज़िंदा इंसान को हया लगती है वैसे ही मुर्दे की भी इज़्ज़त होती है। कोई ग़ैर जिस्म को देखे-छुये तो सही नही है।

क्या मय्यत को ग़ुस्ल देने वाला इंसान भी पाक साफ होना ज़रूरी है?

ग़ुस्ल देने वाला पाक (औरत हो तो हैज़/माहवारी में ना हो) हो। अगर वज़ू के साथ हो तो बहुत ही बेहतर है।

ग़ुस्ल की जगह और पर्दे का इंतेज़ाम

गुस्ल देने की जगह पर पर्दा कर लीजिये, ताकि कोई बाहर का आदमी ना देख पाए।

मय्यत को नहलाने वाले और जो नेहलने में मदद करने वाले है, उनके सिवा वहाँ कोई और ना रहे। मय्यत को नहाते हुये ना देख पाये। इससे मय्यत बे-हुर्मती से बच जायेगी। यहाँ→ मुसाफिर की दुआ  देखिये!

मुर्दे के ग़ुस्ल के लिए बेर या नीम के पत्ते का इंतेज़ाम

पानी में बेर या नीम के कुछ पत्ते डाल लीजिये। फिर उस हलका गर्म यानी इतना गर्म कीजिये के हाथ डालने पर जले ना। बेर या नीम के पत्ते इसलिए डाले चाते है ताकि मुर्दे के जिस्म से अच्छी ख़ुशबू आये।

और चूंकि बेर और नीम के पत्ते एंटी-सेप्टिक है तो मय्यत के जिस्म को नुकसान से बचायेगी। इंशा अल्लाह

मय्यत को नहलाने के लिए जिस तख्ते या चारपाई का इंतेज़ाम किया हो, बेहतर है मय्यत को उस पर लेटाने से पहले उसको अच्छी तरह पानी से धो लिया जाये।

खुशबू का एहतेमाम (इंतेज़ाम) लाज़मी कीजिये, बेहतर होगा लोहबान जला कर मय्यत के आस पास की जगह को खुशबू से भर दिया जाये।

फिर मय्यत को चारपाई या तख्ते पर लिटा कर उसके जिस्म से कपड़ों को उतार दीजिये।

अगर कपड़े उतारने में दिक्कत हो रही हो तो कपड़ों को कैंची के काट दीजिये। लेकिन ध्यान दीजिये के मय्यत को चोट ना लगने पाये इस बात का खास ख़्याल रखिये।

मय्यत के कपड़े उतरने के बाद क्या करना है?

मर्द है तो नाफ (नाभी) के नीचे से लेकर घुठने तक किसी कपड़े से छुपा दीजिये।औरत है तो सीने से लेकर घुठने तक किसी कपड़े से छुपा दीजिये।

फिर नहलाने वाले अपने हाथों में कपड़ा बांध लीजिये या फिर दस्ताना पहन लीजिये।

फिर मय्यत को अपने हाथों के सहारे से उठाये। फिर मय्यत के सीने के नीचे से नाफ तक उपर से नीचे सेलाये या फिर हल्के हाथ से दबाये।
ताकि अगर पेट के आंतों में पख़ाना वग़ैरा हुआ तो वो भी निकल जाये।

फिर इस्तिंजा कराये यानी इस्तिंजा के दोनो रास्तों को अच्छी तरह से धो लीजिये। साथ ही इस बात का भी ख़्याल रखिये के मय्यत को चोट ना पहुँचे।

खुशबू का इंतेज़ाम भी ऐसा करें के पूरे वक़्त खुशबू होती रहे।

नमाज़ में जैसे वज़ू करते है, वैसे मय्यत को वुज़ू कराइये। यहाँ→ मुर्दे को ख़वाब में देखने का वज़ीफ़ा देखिये!

लेकिन मुर्दे को वज़ू के लिए कोहनी तक हाथ धोना, कुल्ली करना और नाक में पानी डालना ज़रूरी नहीं है।

बल्कि कपड़े या रूई की दंडी (फ़ुरफुरी) बना कर, पानी से भिगो कर दांतो और मसूढ़ो, होंठों और नाक में फेर दीजिये, इतना ही काफी है।

औरत के सर के बालों को और मर्द के सर और दाढ़ी के वालों को अच्छे साबुन या शेमपो से धो लीजिये।

अब मय्यत को बाई करवट लिटा कर सर से लेकर पांव तक बेरी का पानी तीन मरतबा ऐसे बहाइये की पानी टखना तक पहुंच जाये।

फिर मय्यत को दाहिनी करवट लिटा दीजिये और पानी बहाईये। आख़िर में सर से ले कर पैर तक कपूर का पानी बहा दीजिये।

ग़ुस्ल देने वालों का काम खत्म, अब कोई दूसरा पाक आदमी मय्याद को सजायेगा। फिर मुर्दे के बदन को किसी साफ कपड़े से आहिस्ता-आहिस्ता से पूछ दीजिये।

चेहरा, पेशानी और उन सभी जगहों पर जहाँ नमाज़ के निशान हो जाते है, वहाँ कपूर मल देना चाहिये।

मय्यत को कफन देने का तरीका क्या है?

मर्द के लिए तीन (3) कपड़े सुन्नत है। इसी तरह कफन के लिए भी तीन कपड़े इस्तिमाल किये जा सकते है। यहाँ→ मरने के बाद की दुआ देखिये!

  1. कमीज़: जिसको कफनी कहा जाता हैं।
  2. इज़ार: जिसको लुंगी या तहबंद कहते हैं।
  3. लिफ़ाफा: जिसको ऊपर से लपेटा दिया जाता है।

औरत का कफन कितना होता है? औरत के लिए पांच (5) कपड़े सुन्नत हैं।

  1. कमीज़: जिसको कफ़नी कहते है।
  2. इज़ार: मर्द है तो लुंगी कहा जायेगा औरत है तो तहबंद कह सकते है।
  3. लिफ़ाफा: जिसको ऊपर से लपेटा जाता है।
  4. सीना बंद: सीने को ढ़कने के लिए
  5. ओढ़नी: दुपट्टा जिसे कपड़े के उपर से ओढ़ा जाता है।

कफ़न अच्छा होना चाहिये जैसा कपड़ा मुर्दा जुमा या ईद में पहना करता था। कफन के कपड़े में कोई कमी नही आनी चाहिये।

(कफन की मिकदार) औरत का कफन कितना होता है ?

जितनी ज़्यादा बड़ी मय्यत की क़द होगी, उतनी ही बड़ी कफन होनी चाहिये। अगर मय्यत दो गज़ की है तो ढाई गज़ का लिफ़ाफा लाज़मी होना चाहिये। तहबंद दो गज़ का होना चाहिये।

कमीज़ आगे और पीछे गरदन से ले कर घोटनों तक बराबर होना ज़रूरी है।

एक चादर ढाई गज़ की जो मय्यत के ऊपर डाली जाती है, जिसे बाद में मिस्कीन (ग़रीब) को दे दिया जाता है। वो कफ़न से अलग होगा ।

एक गज़ की जा-ए-नमाज़, वो भी कफन के कपड़ो से ही बना होगा। यह भी मय्यत के साथ देना लाज़मी है।

मर्द के लिए पूरे साढ़े दस गज़ का कपड़ा लाज़मी होना चाहिये। यहाँ→ कूंडे की नियाज़ सही है या ग़लत? देखिये!

औरत के लिए दो कपड़े ज़्यादा लगेंगे, एक दुपट्टा (ओढ़नी) डेढ़ गज की और सीनाबंद आधे गज का लगेगा।

मय्यत यानी मुर्दे के नाप (साइज़) के मुताबिक कपडा इस्तिमाल होगा। मय्यत के नाप के मुताबिक कपड़े के अरज को देख लीजिये।

औरत को ग़ुस्ल देने का तरीका

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने अपनी फौत शुदा बेटी को ग़ुस्ल दिलवाते वक़्त फरमाया था के दाहिने तरफ से शुरू करो उन हिस्सो से करो जो वुज़ू में धोये जाते है।

सहीह अल-बुखारी न. 167

कफन पहनाने का तरीका

कफ़न पर पाक मिट्टी गुलाब पानी से भिगो कर कलमा-ए-तय्यबा लिख दीजिये।
और कल्मे की उंगली से पेशानी और सीने पर (बिस्मिल्लाह-हीर र’हमा-निर रहीम) लिख दीजिये।

सबसे पहले लिफ़ाफा यानी बड़ी चादर बिछाए, फिर तहबन्द उसके बाद दुपट्टा।

फिर कफ्नी उसके बाद मय्यत को उस पर लिटा दीजिये। फिर खुशबू लगाइये मर्द हो तो दाढ़ी पर भी लगा दीजिये।

मुर्दे के माथे पर (यानी सजदा करते वक़्त सर का जो हिस्सा ज़मीन पर पड़ता है), गुठनों और उंगलियों पर कपूर लगाइये।

फिर इज़ार पहले बाईं तरफ से फिर दहिनी तरफ से लपेटे को दाहिना ऊपर रहे। और सर और पांव की तरफ बांध दीजिये ताकि उडे नही।

औरत को काफनी पहना कर उसके बलों के दो हिस्से करके कफ्नी के ऊपर सीने पर डाल दीजिये,

फ़िर दुपट्टे को पीठ के नीचे से बिछा कर सर पर ला कर मुंह पर हिजाब के जैसे डाल दीजिये।

इसकी लंबाई आधी पीठ से सीना तक रहना चाहिए और चौड़ाई एक कान कि लौ से दूसरे कान कि लौ तक रहना चाहिए।

सबसे आख़िर में सीना बंद पिस्तान के ऊपर से जांग (रान) तक लाकर बंधे।

फिर मुर्दे के आँखों पर सोरमा लगा दीजिये। ज़रूरी नही के आँख खोल कर ही लगाना है। आप उपर से ही लगा दीजिये, ताकि सुन्नत का एहतेमाम हो पाए।

अगर मय्यत को ग़ुस्ल देना मुमकिन ना हो तो क्या करे?

अगर किसी मजबूरी के तहद मय्यत को ग़ुस्ल देने में मुश्किल आ रही हो।जैसे पानी की कमी या मय्यत का जिस्म ऐसी हालत में है, के उसपर पानी नही डाल सकते।

तो मय्यत को मिट्टी से तय्यामुम भी कराया जा सकते है। तय्यामुम वैसे ही करवाया जायेगा जैसे ज़िंदा इंसान मिट्टी से तय्यामुम् करता है।

यहाँ→ ग़ुस्ल करने की दुआ और निय्यत देखिये!

एक हदीस-ए-मुबारिका का मफ़हूम है, के नबी-ए-अकरम ﷺ फरमाते है:

“जब कोई औरत फौत हो जाये और मर्दों के सिवा इसके साथ कोई औरत ना हो, या मर्द औरतों के साथ था और फौत हो जाये और इसे साथ औरतों के सिवा कोई मर्द न हो, तो इस सूरत में तयामुम करा के इसे दफना दिया जाये।

इस हदीस से यह बात वाज़ेह होती है के अगर औरत ऐसी जगह फौत हुई यानी उसकी मौत ऐसी जगह हुई जहाँ उस ग़ुस्ल देने के लिए मर्दों के सिवा और कोई ना हो।

तो ऐसी सूरत में मर्द हज़रात उस औरत तय्यमुम करा कर दफ़्न कर सकता है।

क्योंकि औरत का जिस ग़ैर मेहराम न छुये इसका एहतमाम ज़रूरी है।

और चूंकि पानी डालने से उस कपड़े को बदलना भी ज़रूरी है, इसलिए पानी न डाल कर सिर्फ तय्यामुम करवा कर दफना दिया जा सकता है।

ऐसी ही सूरत अगर मर्द के फौत के वक़्त आ जाये तो औरतें भी तय्यमुम करवा कर दफना सकती है।

मय्यत को ग़ुस्ल देने वाले को अगर सही तरीका नही मालूम। तो दूसरा आदमी मय्यत को नहलाने वाले को तरीका बता सकता है।

अगर बताने वाला भी कोई मौजूद ना हो, ग़ुस्ल देने वाले को सही तरीका नही मालूम और वक़्त कम हो।

तो मय्यत के उपर से तीन (3), पंच (5), या सात (7) मरतबा पानी डाल दीजिये।

इससे भी मय्यत का ग़ुस्ल हो जायेगा।

ढेरों नेकिया कमाये!

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2 Comments on “Mayyat Ko Ghusl Dene Ka Tarika”

  1. WHAT LANGUAGE IS THIS ? PLEASE TRANSLATE IN ENGLISH

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