Jumma Ki Dua In Hindi

Jumma Ki Dua In Hindi

दिनों में सबसे बहतरीन और अफ़ज़ल दिन जुम्मा है। जुमा की फ़ज़ीलत क्या है? जुमा की दुआ (Jumma ki Dua in Hindi) और हदीस और सुन्नत क्या होती है? जुम्मा के दिन की जितनी भी अज़मतें बरकतें बयाँ की जाए कम ही है। इस दिन अल्लाह त’आला की तरफ से रहमतें बरसती है। तो जुम्मा की दुआ (Jumma Ki Dua In Hindi) हिंदी में पढ़ कर उन आज़मतों को समेट लीजिये।

Jumma Ki Dua In Hindi | जुम्मा की दुआ इन हिंदी

जुम्मा की दुआ के साथ दुरूद शरीफ का भी विर्द करना इस दिन के करने वाले आमाल में शुमार है। जुमा के दिन की दुआ क़ुरआन और हदीस की रौशनी में जानेंगे। यहाँ→Nabeez Benefits in Hindi  देखिए|

Jumma Ke Din Karne Wale Amal (Sunnatein) | जुम्मा के दिन करने वाले अमल (सुन्नतें)

1. जुम्मा के दिन की सुन्नतों में से पहली सुन्नत ग़ुस्ल करना है।

हदीस

अब्दुल्ला बिन उमर र.अ. कहते है के मैंने नबी-ए-करीम ﷺ से सुना के “तुम में से जो जुमु’अह पढ़ने आये तो ग़ुस्ल करले।”

सहीह अल बुखारी न. 894, किताब न. 11, हदीस न. 16

2. खुशबू यानी इत्र (non alcoholic perfume) अगर मुअस्सिर हो तो इसका इसका इस्तेमाल ज़रूर करें।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“मुसलमानों! अल्लाह अज़्ज़वजल ने जुमु’अह के दिन को तुम्हारे लिए ईद का दिन बनाया है। जो शख्स नमाज़-ए-जुमु’अह के लिए आये उसे चाहिए के गुस्ल करले, और हो सके तो खुशबू लगा ले, और मिस्वाक का इस्तेमाल ज़रूर करें।”

सुनन इब्न माजह न. 1089

यहाँ→Surah Rahman In Hindi Translation देखिए|

3. मिस्वाक करें, नबी ए करीम ﷺ को मिस्वाक करना बहुत पसंद था। उनकी सुन्नतों में से एक प्यारी सुन्नत मिस्वाक है।

हदीस

अबू हरैरह र.अ. बयाँ करते है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“अगर मुझे अपनी उम्मत या लोगों की तकलीफ का ख़्याल न होता तो मैं हर नमाज़ के लिए उनको मिस्वाक का हुक्म देता।”

सहीह बुखारी न. 887

4. मुछें कुत्राए यानी मुछें छोटी करलें।

5. नाखून कतें। कई उल्लमा के के बयानात से मालूम हुआ के जुम्मा के दिन नाखून कटने से बिमारियाँ झड़ती है।

6. ज़ेर-ए-नाफ के बाल (शर्मग़ाह के बाल) 40 दिनों बाद साफ करें तो जुम्मा का दिन ही इस अमल को करने की कोशिश करें।

7. बगल (under arms) के बाल भी 40 दिनों में साफ करें तो भी जुम्मा के दिन ही इस अमल को अंजाम देने की कोशिश करें।

8. घर में तेल (oil) हो तो जुम्मा की नमाज़ से पहले लगा लें।

9. मस्जिद में बैठे हुए दो लोगों के बीच रास्ता और जगह ना बनाये। जहाँ जगह मिले बैठ जाएं।

10. पहले पहुँचे तो पहले सफ़ेह पर ही बैठ जाए।

हदीस

सलमान फ़ारसी र.अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जो शख्स जुमु’आ को ग़ुस्ल करे और जिस क़दर पाकी हासिल हो सके करे, (मूछें कत्राये, नाखून कटे, ज़ेर-ए-नाफ के बाल मोनढे और बगलों के बाल दूर करे वग़ैरह) फिर तेल या अपने घर से खुशबू लगाए और जुमु’अह के लिए मस्जिद को जाए। दो आदमियों के दर्मिया रास्ता ना बनाये बल्की जहाँ जगह मिले बैठ जाए फिर अपने मुक़ददर की नमाज़ पढ़े। फिर दौरान खुतबा खामोश रहे तो इसके गुज़िशता जुमु’अह से लेकर इस जुमु’अह तक के गुनाह बख्श दिया जाते है।

अल-बुखारी: अल-जुमा न. 883

यहाँ→Surah Fatiha Hindi Mein | सूरह फ़ातिहा हिंदी में देखिए|

11. दो रकात निफ्लि नमाज़ अदा करें। अगर आप खुतबा के दौरान भी पहुँचे हो तो भी दो रकात नमाज़ अदा करें।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ जुमु’अह का खुतबा इरशाद फरमा रहे थे के एक सहाबी सलीक गतफ़ानी र.अ. मस्जिद में आये और 2 रकतें पढ़े बग़ैर बैठ गए।

नबी-ए-करीम ﷺ ने पूछा:

क्या तुमने 2 रकतें पढ़ी है?

इन्होंने ने अर्ज़ किया:

नही या रसूल अल्लाह ﷺ

आप ﷺ ने हुक्म दिया:

खड़े हो जाओ और 2 रकातें पढ़ कर बैठो,

फिर आप ﷺ ने सारी उम्मत के लिए हुक्म दे दिया के:

“जब तुम में से कोई ऐसे वक़्त मस्जिद में आये के इमाम खुतबा (जुमा) दे रहा हो तो इसे 2 मुख्तसर सी रकातें पढ़ लेनी चाहिए।”

अल-बुखारी, अल जुमा न. 930, न. 1166 | अल-मुस्लिम, अल जुमा न. 875

यहाँ→Surah Kahf in Hindi  देखिए|

12. मस्जिद में किसी अपने मसलन भाई या बेटा या फिर किसी ग़ैर को उठा कर उसकी जगह पर न बैठे, बल्कि जहा जगह मिले बैठ जाए।

हदीस

इब्न उमर र.अ. कहते हैं के “रसूल अल्लाह ﷺ ने मना फरमाया के आदमी अपने भाई को उठा कर इसकी जगह पर बैठे।”

आपसे पूछा गया क्या सिर्फ जुमु’अह में मना है?

फरमाने लगे “जुमु’अह में और इसके अलावा भी।”

अल बुखारी, अल जुमु’अह न. 911,अल मुस्लिम न. 2177

13. खुतबा सुनते हुए अगर उँग आये तो अपनी जगह बदल लीजिये, ताके नींद खत्म हो जाए।

हदीस

अब्दुल्लाह बिन उमर र.अ. से रिवायत है रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जसे जुमु’अह के वक़्त उँघ आये वो अपनी जगह बदल ले।”

अत-तिर्मिज़ी, अल-जुमा न. 526

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13. किसी को किसी तरह की नसीहत मत कीजिये मसलन ठीक से बैठो, चुप रहो। बक्लि खुद ही चुप रह कर खुतबा सुने।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जुमु’अह के खुतबा में जब तो अपने पास बैठने वाले को इज़ारा नसीहत कहे ‘चुप रहो’ तो बिला शुबा तूने भी लागू (बेकार) काम किया।”

अल बुखारी, अल जुमा न. 934, अल मुस्लिम न. 851

14. जुमु’अह के दिन ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह पाक का ज़िक्र करें।

अल्लाह त’आला क़ुरआन मजीद इरशाद फरमाता है:

“आए ईमान वालों जब जुमु’अह के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए तो अल्लाह के ज़िक्र की तरफ जल्दी से जाओ और खरीद व फरोख्त छोड़ दो, तुम्हारे लिए या बात बेहतर है अगर तुम इल्म रखते हो।”

अल-क़ुरआन सूरह अल जुमु’अह आयत न. 9, न. 10

यहाँ→Azan in Hindi Hadees देखिए|

Jumma Ke Din Kya Padhna Chahiye? | जुम्मा के दिन क्या पढ़ना चाहिए?

जुम्मा के दिन की कुछ दुआ और तस्बीह है। जो इस दिन पढ़नी चाहिए।

  • कलिमात का विर्द करें।
  • अल्लाह पाक के नामों का विर्द करें।
  • जुमु’अह के दिन जितना हो सके अस्तगफार करें। अपने अगले पिछले गुनाहों की मुआफ़ी कसरत से मांगे।
  • जुमा की दुआ के साथ नबी-ए-करीम ﷺ पर दुरूद शरीफ भेजना बिल्कुल ना भूले।

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जब कोई मुझपर दुरूद भेजता है तो फरिश्ते उस वक़्त तक उसके लिए रहमत की दुआ करते रेहते है जब तक वो मुझपर दुरूद पढ़ता रहता है, अब बंदे की मर्ज़ी है वो कम पढ़े या ज़्यादा।”

मुसनद-ए-अहमद न. 5715 सहीह

अल्लाह त’आला क़ुरआन मजीद में इरशाद फरमाता है:

“अल्लाह त’आला और इसेउ फरिश्ते नबी ﷺ पर रहमत भेजते हैं, ऐ इमान वालों, तुम भी इन पर दुरूद भेजो और खूब सलाम भेजते रहा करो।”

अल क़ुरआन: सूरह अल-अहज़ाब न. 56

हदीस

अनस बिन मालिक र.अ. से रिवायत है की, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जो शख्स मुझ पर एक मरतबा दुरूद भेजेगा तो अल्लाह त’आला उस पर 10 मरतबा रहमत भेजेगा और 10 गुनाह मुआफ होंगे और 10 दर्जात बुलंद होंगे।”

सुनन अन-नसाइ न. 1300, सहीह

यहाँ→Wazu Karne Ka Tarika in Hindi देखिए|

15. रसूल अल्लाह ﷺ ने जुम्मा के दिन करने वाले अमल में सूरह अल-हुद की तिलावत का फरमान भी दिया है।

हदीस

क’अब र.अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

” जुमु’अह के दिन सूरह हुद (अल-क़ुरआन, सूरह न. 9) पढ़ा करो।”

मिश्कात अल-मसाबिह न. 2174

16. हैसियत के मुताबिक जुम्मा की नमाज़ के लिए एक या दो जुड़े कपड़े अलग रख लीजिये।

हदीस

हज़रत आईशाह र.अ.से रिवायत है के, रसूल अल्लाह ﷺ जुमु’अह के खुतबे में फरमाते है, जब आप ﷺ ने लोगो को ठंड के कपड़े पहने हुए देखा:

“इसमें कोई बुराई नही के तुम में से जो कोई मुहय्या करने के काबिल हो और वो दो जोड़े कपड़े जुमु’अह को पहनने के लिए बना ले, अपने रोज़ के कपड़ो से अलग।”

सुनन इब्न माजह न. 1096

यहाँ→Dua e Masura in Hindi देखिए|

Jumma Ki Dua In Hindi | जुम्मा की दुआ हिंदी में

अपना बिगड़ा मुक़द्दर सवारने के लिए इस अमल को हर जुम्मा करें। आप चाहें तो हर रोज़ इस दुआ यानी इस दुरूद् का विर्द कर सकते है।

जुम्मा के दिन की दुआ को पढ़ने वाले की अल्लाह पाक मग़फिरत फरमायेगा और अस्सी (80) साल की इबादत का सवाब देगा। इंशा अल्लाह

जुम्मा की दुआ यानी जुम्मा के दिन का ख़ास दुरूद शरीफ पढ़ने का तरीका

• असर की नमाज़ के बाद अपनी जगह से उठना नही है।
• फिर नीचे दिये हुए दुरूद् शरीफ को 80 मरतबा पढ़ें।
• फिर अल्लाह पाक से अपनी मग़फिरत की दुआ खुसूसन बड़ी आजज़ी और रो-रो कर करें। फिर अपने दिली हाजत की भी दुआ कर सकते है।
• जुम्मा के दिन असर और मगरिब के दरमियाँ का वक़्त बहुत ही ख़ास और बेश-कीमती होता है।

Jumma Ki Dua (Durood) In Hindi | जुम्मा की दुआ (दुरूद) इन हिंदी

“अलाहुम्मा सल्लि ‘अला मुहम्मदिनिन नबी-यिल उम्मी-यि व ‘आला अलिहि व सल्लिम तस्लीमा”

हदीस

अबु हुरैरह र.अ. रिवायत है के, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

जो शख्स अपनी असर की नमाज़ के बाद अपनी जगह से उठे बग़ैर ये दुरूद 80 मरतबा पढ़ेगा तो अल्लाह पाक उसके अस्सी (80) साल गुनाह बख्श देगा और अस्सी इबादत का सवाब आता फरमायेगा।

तब्रानी दार-अल-कुतनी

यहाँ→Sabr Ki Dua in Hindi देखिए|

Jumma Ke Din Kaun Sa Surah Padhna Chahiye? (Jumma Ki Fazilat) | जुम्मा के दिन कौन सा सूरह पढ़ना चाहिए? (जुम्मा की फज़ीलत)

17. हज़रत मुहम्मद ﷺ ने सूरह अल-कहफ की तिलावत जुम्मा के दिन करने पर तलकीन की, और फरमाया:

अबू स’ईद र.अ. रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“जो शख्स जुमु’अह के दिन सूरह अल- कहफ पढ़ेगा तो उसके लिए अगले जुमु’अह तक नूर चमकेगा।”

(बैहक़्क़ी ने इसकी (किताब) अल-दावूद अल-कबीर में नक़ल किया है)

मिश्कात अल-मसाबिह न. 2175

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया जो मुसलमान जुमु’अह के दिन सूरह अल-कहफ़ की तिलावत करे तो उसके लिए इस जुम्मा से अगले जुम्मा तक एक नूर चमकता रहेगा।”

अल-हाकिम, 2/339, सहीह

जुम्मा के दिन सूरह जुमा पढ़ना चाहिए। जुम्मा के दिन सूरह जुमा की तिलावत भी की जाए तो बहतर है।

हदीस का मफहूम

अब्बास र.अ. ने बयाँ किया,

रसूल अल्लाह ﷺ जुम्मा की नमाज़ के पहले रकात में सूरह अल-जुमा की तिलावत करते थे। और दूसरी रकात में सूरह अल-मुनाफिक़ून की तिलावत करते थे।

अल-मुस्लिम न. 879

यहाँ→Surah Baqarah in Hindi देखिए|

18. नमाज़-ए-जुमु’अह के लिए अज़ान से पहले जाने वालों के लिए खास इनाम की खुश खबरी दी और फरमाया:

अबु हुरैरह र.अ. से रिवायत है के रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया के “जो शख्स जुमु’अह के दिन गुस्ल जनाबत कर के नमाज़ पढ़ने जाए तो गया उसने एक ऊँठ की क़ुरबानी दी (अगर अव्वल वक़्त मस्जिद में पहुँचा) और अगर बाद में गया तो गोया एक गयी की क़ुरबानी दी और जो तीसरी नमाज़ पे गया तो गोया उसने एक सिंघ वाली मेंढकी क़ुरबानी दी। और जो कोई चौथी नमाज़ पर गया तो उसने गोया एक मुर्गी की क़ुरबानी दी और जो कोई पंचविं नमाज़ पर गया उसने गोया अंडा अल्लाह त’आला की राह में दिया। लेकिन जब इमाम खुतबा के लिए बाहर आ जाता है तो फरिश्ते खुतबा सुनने में मशगूल हो जाते है।”

सहीह अल-बुखारी न. 881

हदीस

हज़रत सलमान फ़ारसी र.अ. से रिवायत है रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जो शख्स जुमु’अह ले दिन गुस्ल करे और खूब अच्छी तरह से पाकी हासिल करे और तेल इस्तेमाल करे या घर में जो खुशबू मुअस्सिर हो इस्तिमाल करे फिर नमाज़ के लिए निकले और मस्जिद में पहुँच कर दो आदमियों के दरमियाँ ना घुसे, फिर जितनी हो सके निफ्लि नमाज़ पढ़े और जब इमाम खुतबा शुरू करे तो खामोश सुनता रहे तो उसके उस जुमु’अह से ले कर दूसरे जुमु’अह तक सारे गुनाह मुआफ कर दिया जाते है।”

सहीह अल बुखारी न. 883, किताब न. 11, हदीस न. 8

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हदीस

अबू हुरैरह र.अ. से रिवायत है के, नबी करीम ﷺ ने फरमाया के जब जुमु’अह का दिन आता हो तो फरिश्ते जमा मस्जिद के दरवाज़े के पर आने वालों के नाम लिखते है, सबसे पहले आने वाला ऊँठ की क़ुरबानी देने वाले की तरह लिखा जाता है, उसके बाद आने वाला एक गाई की क़ुरबानी देने वाले की तरह फिर मेंढकी की क़ुरबानी का सवाब रहता है, उसके बाद मुर्गी का, उसके बाद अंडे का, लेकिन जब इमाम (खितबा देने के लिए) बाहर आ जाता है तो ये फरिश्ते अपनी खाते बंद कर देते है और खितबा सुनने में मशगूल हो जाते है।”

सहीह अल बुखारी न. 929, किताब न. 11 हदीस न. 53

19. जुम्मा की नमाज़ गुनाहों का कफ्फारह है | Jumma Ki Namaz Gunahon Ka Kaffarah Hai

हदीस

अबू हुरैरह र.अ. से रिवायत है के, हज़रत मुहम्मद ﷺ फरमाते है:

“पांच वक़्त की नमाज़ और एक जुमु’अह की नमाज़ उनके गुनाहों को धोने के लिए कफ्फारह है, अगरचे कोई बड़े गुनाह को अंजाम दिया हो।”

सहीह अल मुस्लिम न. 233a, किताब न. 2, हदीस न. 17

20. जुमा के दिन क़ुबूल होने का वज़ीफ़ा | Jumma Ke Din Dua Qubool Hone Ka Wazifa

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया ” जुमु’अह में एक घडी ऐसी आती है की जो मुसलमान उस वक़्त खडा नमाज़ पढ़े और अल्लाह पाक से कोई खैर मांगे तो अल्लाह उसको ज़रूर देगा।”

सहीह बुखारी, जिल्द न. 6, हदीस न. 5294

यहाँ→Surah Yaseen in Hindi Tarjuma देखिए|

हदीस

हुज़ूर-ए-अकरम ﷺ ने फरमाया बेशक़ जुमु’अह का दिन तमाम दिनों का सरदार और अल्लाह सुभानहु के नज़दीक सबसे ज़्यादा अज़मत वाला दिन है, इसका दर्जा अल्लाह अज़्ज़वजल के नज़दीक ईद-उल-अदा और ईद-उल-फ़ित्र से भी ज़्यादा है, इसकी पाँच खिसूसियत है, अल्लाह अज़्ज़वजल ने इस दिन आदम अलैहिस सलाम को पैदा फरमाया इसी दिन उनको ज़मीन पर उतारा इसी दिन अल्लाह त’आला ने इनको वफ़ात दी और इस दिन में एक ऐसा वक़्त है के बंदा उसमें जो भी अल्लाह पाक से मांगे अल्लाह तबारक त’आला उसे देगा जब तक के हराम चीज़ का सवाल ना करे और इसी दिन क़यामत आयेगी, जुमु’अह के दिन हर मुक़र्रब फरिश्ते आसमान, ज़मीन, हवाएँ, पहाड़ और समंदर (क़यामत के आने से) डरते रहते हैं।

सही अल-जामे, न. 2279- हसन

21. जुम्मा के दिन का वज़ीफा | Jumma Ke Din Ka Wazifa

आप ﷺ जुम्मा के दिन का वज़ीफा नमाज़-ए-फजर के बाद पढ़ा करते थे।

हदीस

अबू हरैरह से रिवायत है, “हज़रत मुहम्मद ﷺ जुमु’अह के दिन फजर की नमाज़ के बाद “अलिफ, लाम, मिम, तंज़िल” (सूरह सजदह, आयत न. 32) ” और हल-अत-अला-ल-इंसान” (सूरत-अद-दरह आयत न. 76) पढ़ा करते थे।”

सहीह अल-बुखारी न. 891, किताब न. 11 हदीस न. 16

यहाँ→Aqeeqah Karne Ki Dua Aur Tariqa देखिए|

22. Jumma Ke Din Kya Nahi Karna Chahiye | जुम्मा के दिन क्या नही करना चाहिए

आप ﷺ जुम्मा के दिन नमाज़ के बाद खाना खाते और क़ैलुल्ला (आराम) फरमाते।

हदीस

सही बिन सा’द कहते, “हम जुमु’अह की नमाज़ से पहले खाना नही खाते थे और ना ही खाने के बाद क़ैलुल्लाह ( खाने के बाद की नींद) लेते थे।”

सहीह इब्न माजह न. 1099, किताब न. 5 हदीस न. 297

सहीह अल-बुखारी न. 6279,

23. जुम्मा के दिन का खुतबा सुनते हुए घुटनों को पेट से मिला कर बैठने से मना फरमाया।

हदीस

माज़ बी अनस र.अ. से रिवायत है के, आप ﷺ ने इरशाद फरमाया:

“जुमु’अह के दिन जब इमाम खुतबा दे रहा हो तो, घुटनों को पेट के साथ मिला कर बैठने से मना फरमाया।”

अबु दावूद किताबुल सलात, हदीस न. 1110 | अत तिर्मिज़ी किताबुल सलात, न. 514

24. Kya Teen (3) Jumma Nahi Chhutni Chahiye? | क्या तीन जुम्मा नही छुटनी चाहिए

हदीस

अल जाद अल दमरि ने बयाँ किया, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जिस ने सुस्ती की वजह से तीन जुमु’अह मुसलसल (लगातार) नमाज़ छोड़ दी अल्लाह त’आला उसके दिल पर मोहर लगा देगा।”

सुनन इब्न दावूद न. 1052

जुम्मा की नमाज़ छोड़ना यानी नबी-ए-करीम ﷺ को नाराज़ करना है। इसलिए हमें जुम्मा की नमाज़ का ख्याल रखना ज़रूरी है।

हदीस

अब्दुल्लाह र.अ. से रिवायत है के, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जो लोग जुमु’अह में हाज़िर नही होते उनके हक़ में मैं इरादा करता हूँ की एक शख्स को हुक्म करूँ के वो लोगों को नमाज़ पढाये और फिर मैं उन लोगों के घरों को जला दूँ जो जुमु’अह की नमाज़ पढ़ने नही आते हैं।

सहीह अल बुखारी न. 1485

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Jumma Ke Din Ki Khas Batein | जुम्मा के दिन की ख़ास बातें

हदीस

” आप ﷺ की नमाज़ भी औसात दर्जे (मीडियम) और खुतबा भी औसात दर्जे का हुआ करता था।”

मुस्लिम अल जुमा न. 866

हदीस

आप ﷺ ने फरमाया:

“आदमी की लम्बी नमाज़ और मुख्तसर खुतबा इसकी दनाइ की अलामत है, पास नमाज़ तवील करो और खुतबा मुख्तसर करो।”

अल मुस्लिम अल जुमा न. 969

Aap ﷺ Ke Zamane Ke Baad Kya Badla Gaya Jumma Ke Din? | आप ﷺ के ज़माने के बाद क्या बदल गया जुम्मा के दिन?

हदीस

साइब बिन यज़ीर र.अ. से रिवायत है के हज़रत मुहम्मद ﷺ, अबु बक्र र.अ. और हज़रत उमर र.अ. के ज़माने में जुमु’अह की पहली अज़ान उस वक़्त दी जाती थी जब इमाम मिन्बर पर खुतबा के लिए बैठते, लेकिन हज़रत उसमान र.अ. के ज़माने में जब मुसलमान की कसरत हो गयी तो वो मक़ाम ज़ोरह् से एक और अज़ान दिलवाने लगे। अबू अब्दुल्लाह इमाम बुखारी र.अ. फरमाते है के ज़ुरह् मदीने के बाज़ार में एक जगह है।

सहीह अल-बुखारी न. 912, किताब 11 हदीस न. 36

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हदीस

साइब बिन यज़ीर र.अ. से रिवायत है, जुम्मा में तीसरी अज़ान उसमान बिन अफ़ान र.अ. ने पढाई जबकि मदीना में लोग ज़्यादा हो गए थे जबकि नबी करीम ﷺ के एक ही मुईज़िन थे, (आप ﷺ के दौर में) जुमु’अह की अज़ान उस वक़्त दी जाती जब इमाम मिन्बर पर बैठता।

सहीह अल बुखारी न. 913, किताब न. 11 हदीस न. 37

Kya Zawaal Ke Waqt Namaz Nahi Padhna Chahiye? | क्या ज़वाल के वक़्त नमाज़ नही पढ़ना चाहिए?

हदीस

अनस बिन मलिक र.अ. ने बयान किया:

“रसूल अल्लाह ﷺ जुमु’अह की नमाज़ उस वक़्त पढ़ते जब सूरज ढल रहा होता।”

जामी अत-तिर्मिज़ी न. 503

सूरज जब बिल्कुल सर पर हो उस वक़्त नमाज़ नही पढ़ते। जब सूरज ढल रहा हो यानी सूरह बिल्कुल बीच में नही हो, कुछ हद तक ढल चुका हो। इसका मतलब हज़रत मुहम्मद ﷺ ज़वाल के वक़्त नमाज़ नही पढ़ते थे।

यहाँ→Kisi Se Apni Baat Manwane Ki Dua देखिए|

Kya Jumma Ke Din Nifli Roza Nahi Rakhna Chahiye? | क्या जुम्मा के दिन निफ्लि रोज़ा नही रखना चाहिए?

हदीस

अबु हरैरह र.अ. से रिवायत है के:

“रसूल अल्लाह ﷺ जुमु’अह के दिन रोज़ा रखने से मना फरमाया है, सिवाए इसके की उससे एक दिन पहले या परसु को मिलाया जाए।”

सुनन इब्न माजह न. 1723

Barish Mein Jumma Ki Namaz Apne Ghar Mein Ada Karo | बारिश में जुम्मा की नमाज़ अपने घर में अदा करो

जुम्मा के दिन अगर बारिश हो रही हो तो अपनी नमाज़ अपने अपने घरों में पढ़ने की इजाज़त खुद आप ﷺ ने फरमाइ है।

हदीस

इब्न अब्बास र.अ. से रिवायत है के,

रसूल अल्लाह ﷺ ने जुमु’अह के दिन बारिश के दिन फरमाया “अपनी नमाज़ अपने खेमों में अदा करो।”

सुनन इब्न माजह न. 938

यहाँ→Bidat Kya Hai? देखिए|

हदीस

अबु हुरैरह र.अ. रिवायत करते है, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“इस दिन दो तेहवार (ईद और जुमु’अह) एक साथ है, अगर कोई जुमु’अह की नमाज़ नही पढ़ना चाहे तो उसके लिए ईद की नमाज़ नही पढ़ना चाहे तो उसके लिए ईद की नमाज़ ही काफी है, लेकिन हम जुमु’अह की नमाज़ पढ़ेंगे।

(इस रिवायत को उमर र.अ. ने श’अबह र.अ. से रिवायत किया है)

सुनन इब्न दावूद न. 1073

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