Dua Mangne Ka Tarika in Hindi

Dua Mangne Ka Tarika in Hindi

ALLAH Ta’ala se dua mangne ka tarika kya hai? Kya dua mangne ka koyi khas waqt, khas din aur tarika hona chahiye? Is post dua ke mauzon mein tafseel se janenge.

ALLAH Se Dua Mangne Ka Tarika in Hindi

अल्लाह से दुआ माँगने का तरीका क्या है?

दुआ इबादत है, जिससे अल्लाह अज़्जवजल खुश होता है।

दुआ ही वो ज़रिया जिससे अल्लाह पाक को मदद के लिए पुकारा जाता है। जो एक इबादत का भी ज़रिया बन जाता है।

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“दुआ इबादत है।”

अबू दावूद

रियाज़ अस सालिहीन न. 1465

एक हदीस-ए-मुबारिका का मफहूम है: “दुआ मोमिन का हथयार है, ज़मीन-ओ-आसमान के बीच का नूर है।”

यानी दुआ के ज़रिये और अल्लाह पाक की मदद से हम जिंदगी के जंग को आसानी से जीत सकते है।

दुआ वो हथयार है जो आपको मुसीबतों से बचा कर बुलंदी के ताज को आपके सर तक पुहचाता है।

दुआ कैसे मांगनी चाहिए? Dua Kaise Mangni Chahiye?

आपके मन में ये सवाल ज़रूर उठता होगा के दुआ कैसे मांगे?

इस हदीस मुबारिका से साबित होता है के, अल्लाह से उसकी रहमत, बख़्शिश, हिदायत, रिज़क में बरकत, हर नक़सान से हिफाज़त और हर मुश्किल से निजात हर वक़्त मांगनी चाहिए।

हदीस
जब भी कोई आदमी इस्लाम में दाखिल होता तो रसूल अल्लाह ﷺ उसे नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा बताते और फिर उसे ये दुआ करने की हिदायत करते:

“اللّٰہُمَّ أَفْرِ لِیْ وَرَحْمَنِی، وَاحِدِیْ، وَعْفِیْنِ، وَارْزُقِیْنَ”

“अल्लाह मुझे बख्श दे, मुझ पर रहम फरमा, मेरी रहनुमाई फरमा, मुझे नक़सान से बचा और मुझे रिज़्क़ और निजात ‘अता फरमा”

मुस्लिम

रियाज़ अस सालिहीन न. 1469

सब से पहले तो दुआ किसी भी तरह से मांगें अल्लाह पाक अपने नेक और सच्चे बंदों की दुआ हमेशा सुनता है।

और अगर दुआ पूरे अदब और एहतराम से मांगी जाए तो इससे बहतरीन तरीका कोई हो ही नही सकता।

अल्लाह त’आला से दुआ करने से पहले वुज़ू करना बेहतरीन तरीका है। वुज़ू की हालत में दुआ मांगना बेहतर होता है। क्योंकि वुज़ू के ज़रिये आप अल्लाह पाक की खुशनूदि भी पाते है। फरिश्ते भी आपकी दुआ पर अमीन कहते है।

वुज़ू के बाद क्ब़िले (पस्छिम) की तरफ रुख यानी मुंह करके बैठना बहतर होगा। जैसे नमाज़ में बैठा जाता है। क्योंकि पस्छिम की तरफ ही अल्लाह पाक का घर यानी क़ाबा शरीफ है।

जैसे नमाज़ में अत्तहीयात की हालत में बैठा जाता हैं। उसी तरह दुआ के लिए भी क़िब्ले की तरफ मुँह करके बैठना दुरुस्त होगा।

किसी मजबूरी के तेहेद पालथी मारकर भी बैठ सकते है।

दुआ मांगते वक़्त अपना ध्यान अल्लाह पाक की बुलंदी अज़मत-ओ-क़ुदरत पर होनी चाहिए।

सबसे पहले आप दोनों हाथों को दुआ के लिए ऊपर उठा कर दुरूद शरीफ़ पढ़िये। आप चाहें तो एक दफा भी पढ़ सकते है, दो दफा भी पढ़ सकते है।

लेकिन बेहतर या है के दुरूद पाक तीन दफा या सात दफा पढ़ी जाए।

दुआ करने से पहले दुरूद शरीफ़ पढ़ना अफ़ज़ल और अच्छा माना गया है। जैसे हदीस में बताया गया है, कि जो दुआ बग़ैर दुरूद पाक के मांगी जाती हो वो दुआ ज़मीन और आसमान के बीच में लटकती रहती है और कबूल होने के लिए अल्लाह तक नहीं पहुँच पाती है।

दुरूद पढ़ने के बाद दुआ कुबूल होने की दुआ ज़रूर पढ़िये।

यहाँ दुआ क़ुबूल होने की दुआ देखिये

उसके बाद आप अल्लाह सुभानहु त’आला की तारीफ़ बयान कीजिये।

हर इंसान को चाहिए कि दुआ से पहले अल्लाह पाक की तारीफ करे। शरीयत पर अमल करने का नाम तक़्वा है।

इस लिए हर दुआ से पहले अल्लाह पाक की तारीफ कर के रसूल अल्लाह ﷺ की सुन्नत को मज़बूती से पकड़ लीजिये।

तारीफ में अच्छे-अच्छे कलिमात पढ़ सकते है।
अल्लाह की तारीफ में आप सूरह फातिहा, सूरह इखलास या चारो कुल भी पढ़ सकते है। यहाँ देखिये चार कुल हिंदी में

अल्लाह पाक के प्यारे-प्यारे 99 नामों की तस्बीह कर सकते है। यहाँ देखिये अल्लाह के 99 नाम

अब आप अल्लाह पाक बड़ा मेहरबान निहायत रहम करने वाला है कह कर दुआ शुरू करें।

फिर रब्बुल आलमीन के सामने अपनी तमाम जरूरतों, ख्वाहिशों, हाजतों, अरमानों को पेश इस उम्मीद से पेश करें के उसके सिवा आपकी दुआ कोई क़ुबूल कर ही नही सकता।

किस वक़्त दुआ क़ुबूल होती है? Kis Waqt Dua Qubool Hoti Hai?

  • अज़ान के वक़्त,
  • अज़ान के बाद इक़ामत से पहले,

हदीस

अनस बिन मलिक र.अ. रिवायत करते है के, अज़ान और इक़ामत के दरमियाँ की गयी दुआ रद्द नही होती।

सुनन इब्न दावूद न. 521

  • मज़लूम की दुआ
  • फ़र्ज़ नमाज़ के बाद
  • सजदे में
  • मुर्गे के बंग की आवाज़ सुनते वक़्त
  • क़ुरआन पाक की तिलावत के बाद
  • जहाँ मुसलमान ज़्यादा त’अदाद में हो
  • बारिश के वक़्त
  • क़ाबा शरीफ पर नज़र पड़ने पर
  • जुम्मा के दिन, असर और मग़रीब के दरमियाँ
  • रात में जब भी नींद टूटे
  • ज़मज़म का पानी पीने से पहले
  • रमज़ान के महीने में दुआ करना अफ़ज़ल है
  • लै-लतुल-क़द्र की रात
  • तहज्जुद की नमाज़ के बाद
  • बीमार का हाल पूछने के बाद
  • जब किसी ने आपके साथ बहुत बुरा किया
  • मक्का, मदीना में रह कर
  • हज या उमरा के लिए जाने वालों को देख कर,

दुरूद् पाक पढ़ने के बाद अल्लाह पाक से अपने गुनाहों की मु’अफि रो-रो कर मांगे।

जैसे एक बच्चा अपनी माँ से ज़िद करता है वैसे की रो कर गिड़गिड़ा कर ज़िद कीजिये।

हर एक चीज़ जो आपको चाहिए उसका ज़िक्र कीजिये। ऐसे कहिये जैसे वो आपको सुन रहा हो। अगर रोना ना आये तो रोने जैसी शक्ल बना लीजिये।

ऐसा महसूस कीजिये की आपकी दुआ अल्लाह त’आला ज़रूर क़ुबूल फेरोयेगा। मांगते-मांगते आप सजदे में चले जाईये।

ऐसी कैफ़ियत बना लीजिये के अर्श यानी आसमान आपकी दुआओं से गूंज उठे। ऐसा की फरिश्तें भी आपकी दुआ क़ुबूल करवाने के लिए अल्लाह पाक से अर्ज़ करने लगे।

और सारी दुआ मांगने के बाद आख़िर में उतने ही ता’अदद में वही दुरूद शरीफ़ पढ़ें।

दुआ मांगने का सबसे बेहतरीन और अफ़ज़ल तरीका यही है कि, जो भी दुआ मांगे उसे ऐसे कहें के:

“ऐ मेरे अल्लाह, मेरे मालिक तु रहीम है, मुझपर रहम फरमा।

तु करीम है मुझपर करम फरमा अपने हबीब ﷺ के वास्ते, उनके सदक़े मेरी अच्छी दुआ, हर अच्छी ख्वाहिशत अपनी बारग़ाह में कुबूल फरमा।

अमीन, या अर-हमर राहीमीन, अर-हमर राहीमीन, अर-हमर राहीमीन।”

जब पूरी होने के बाद अपने दोनों हाथों को मुंह पर फेर लीजिये। दिल में ये यकीन और इत्मिनान रखिये के आपकी दुआ अल्लाह पाक ज़रूर कुबूल फेरोयेगा।

फिर अगर दुआ को कुबूल होने में देरी पेश आ रही हो या क़ुबूलियात के आसार ना दिख रहे हो तो ग़मगीन ना हुए और सबर रखिये।

हम मुसलमान का अल्लाह पाक के साथ एक ऐसा मज़बूत रिश्ता है के सभी हालातों में हम उसकी (अल्लाह त’आला) की मदद लेते है, और हर मुश्किल परेशानी में दुआ करके मदद मांगते हैं।

यूँ तो दुआ करने के बहुत तरीके हैं। लेकिन हालात के मुताबिक अलग अलग तरह से दुआ की जा सकती है।

उल्लमा का कहना है कि दुआ करने का सबसे अच्छा तरीका इंसान की जरूरतों और सूरत-ए-हाल पर पेश होती है।

कुछ लोग दुआ करते वक़्त एक ही तरीके अपना कर दुआ से मदद लेते है। जबकि बाज़ लोग को अलग-अलग तरीके से दुआ करना।

दुआ करने का कोई ग़लत या सही तरीका नहीं होता है। आप जैसे भी दुआ मांगिये जब तक आप सच्चे दिल से दुआ मंगेगें अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त आपकी दुआ ज़रूर क़ुबूल फरमायेगा। अमीन

किन हालातों में, दुआ सब से ज़्यादा क़ुबूल होती है?

Dua Sabse Zyada Kab Qubool Hoti Hai?

  • वो इंसान जिसके साथ ज़्यात्ति हुई हो
  • मुसाफिर की दुआ
  • माँ-बाप की दुआ अपने बच्चो के लिए

हदीस

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“तीन दुआएं क़ुबूल होती है, जिसके साथ गलत हुआ हो, मुसाफिर की दुआ और अपने बच्चे के लिए वालदेन की दुआ।”

  • वो इंसान जो बहुत बड़ी मुसीबतों से झूझ रहा हो
  • हामिला औरत की दुआ
  • जो इंसान हमेशा सच बोलता है
  • क़ुरआन पाक की तिलावत करने वाले
  • जो इंसान हज या उमराह कर रहा हो
  • जो इंसान दूसरों के लिए दुआ करता है
  • अल्लाह पाक से डर कर उसको याद करने पर।

पूरी दुनियाँ भर के मुसलमान अलग-अलग तरीकों से अपनी-अपनी ज़बान में अल्लाह अज़्ज़वाजल से दुआ करते हैं।

और सभी दुआएं एक ही अल्लाह त’आला की तरफ जाती है। हर मुसलमान जनता है की अल्लाह त’आला एक, सबसे बड़ा है, और उसने ही ये दुनियाँ यहाँ तक की पूरी क़ायनात सब कुछ उसी ने बनाइ है।

दिन में पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ी जाती है:

  1. दिन की पहली नमाज़ सुबह को होती है जिसे फज्र के नाम से जाना जाता है।
  2. दूसरी नमाज़ जो दुपहर में पढ़ी जाती है, जिसे जोहर कहा जाता है।
  3. फिर तीसरी नमाज़ जिसे दिन ढलने से पहले पढ़ी जाती है जिसे असर की नमाज़ कहा जाता है।
  4. फिर चौथी नमाज़ जो दिन ढलने के बाद पढ़ी जाती है जिसको मग़रिब की नमाज़ कहते है।
  5. आखिर में पांचवीं नमाज़ जिसे ईशा की नमाज़ कहते है। जो रात को सोनी से पहले पढ़ी जाती है।

किस मुस्लमान की दुआ क़ुबूल होती है?

  • रोजा रखता है
  • नमाज़ पाबंदी के साथ पढ़ता है
  • क़ुरआन की तिलावत करता है
  • हराम कामों और ग़ैर वाजिब कामों से दूर रहता है
  • और नेक इंसान बनने की हर मुमकिन कोशिश करता है
  • हुज़ूर-ए-अकरम ﷺ के तरीके को अपना कर उसपर अमल करता है।

अगर आप भी इन नेक कामों पर अमल करते है या फिर करने की कोशिश ही करते है। तो इंशा अल्लाह आपकी दुआ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ज़रूर क़ुबूल फरमायेगा। अमीन

अल्लाह त’आला पर कभी न टूटने वाला भरोसा करें और दुआ मांगते रहे।

इस बात को हमेशा अपने ध्यान में रखें कि अगर आपकी की हुई दुआ क़ुबूल नही हो रही है। तो अभी आपकी दुआओं की क़ुबूलियत की घड़ी नही आई है। दुआ क़ुबूल न होने पर भी इसमें अपकी भलाई ही होगी।

जिसका सिला यानी बदला आपको आख़िरत में बहुत बडे सवाब की तरह मिलेगा।

आखिर में याद रखिएगा कि अल्लाह त’आला ही हमें सब कुछ देने वाला है। उसके सिवा हमें कोई भी कुछ भी नहीं दे सकता है। इंसान ज़रिया ज़रूर बन सकता है।

दुआ मांगते रहिये!

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6 Comments

  1. ASSALAM ALAIKUM
    Mujhe kaafi bar esa mehsus hua hai ki mein jab bhi koi dua allah se mangti hu uska ulta hi hota hai. Kya aap mujhe bata sakhte ho esa q hota hai ya fir ye sirf ek mera wehem hai

    1. Ap jo bhi mangte hai uske badle ALLAH kuch aur dekar us shakhs ki nekiyon me likh deta hai lekin jo wo mangta hai wo nahi deta.

      1. Jazakallah Khair!
        Mera ek aur bhi sawal hai. Meri shadi love marriage hui hai vo bhi bohot mushkilat ka samna karne k baad qki mere ghar wale razi nahi the. Hamara relationship pichle 10 saalo se tha. Ab meri shadi ko pure 2 saal hone aye hai lekin in 2 saalon mein meine kafi pareshani jheli hai, ek sukun nai hai, jese ki meri zindagi mein mera devar ka ana or haram relation banna, mere or meri saas k relation kharab hogaye, mere shohar ka sahise job na karna, mere shohar bohot gusse wale hai unki zaban bohot kharab hai unke or unke maa baap k relation kharab hogaye, sarpe karz ka bojh, Hame alag hona pada. Pls mujhe bataye mein kya karu kuch samajhme nai araha hai

  2. Assalam aleikum. Please add in English also the full text

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