Azan in Hindi aur uske bad ki dua aur iski tamam Hadees par ham is post mein roshni dalenge.
अज़ान का मतलब हिन्दी में (इमेज)
Azan in Hindi Hadees | अज़ान हिन्दी में हदीस के साथ
दुनियाँ के हर मस्जिद में हर रोज़ पाँच वक़्त की नमाज़ यानी इबादत की जाती है।जिसके लिए अज़ान दे कर सबको बुलाया जाता। इस पोस्ट में अज़ान इन हिंदी में हदीस की रौशनी में समझेंगे।
अज़ान का क्या मतलब है?
पंच वक़्त की नमाज़ों को एक साथ पढ़ने के लिए उची अवाज़ में कुछ अल्फाज़ कह कर सबको बुलाया जाता है, उसे अज़ान कहते है।
औरतों को भी इत्तला दी जाती है के नमाज़ का वक़्त होगया है। तो औरतें भी अज़ान सुनकर अपने-अपने घर पर ही नमाज़ अदा यानी पढ़ लेती है।
हर मुसलमान का ये फ़र्ज़ है कि वह सारी नमाज़ के लिए मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आये। यहाँ देखिये→ वजू का तरीका हिन्दी में
एक साथ मिल कर अल्लाह त’आला जो हम सबका मालिक-ओ-खालिक़ है, उसकी इबादत करते है।
इस दुनियाँ में हम मुसलमानों को उसकी यानी अल्लाह सुभानहु त’आला की इबादत लिए ही भेजा गया है।
इसी वजह से मुसलमानों के बीच नज़दीकि रिश्ता बनता है। इससे मुसलमान एक साथ मिल जूल कर रहते है एक दूसरे को जानते पेहचानते है।
दीनी और दुनियावी मसले को समझते सुलझाते है। इस्लामी मज़हब को एक दूसरे के साथ मिलकर निभाते है।
इन्हीं नमाज़ों के लिए लोगों को दावत देने के लिए मस्जिदों की मीनारों से अज़ान पुकारी जाती है।
कुछ ग़ैर मुसलमान भाई-बहन अज़ान को ही नमाज़ समझते हैं। कुछ लोग समझते हैं कि मुसलमानों की नमाज़ लाउड-स्पीकर पर पढ़ी जाती है।
जबकि अज़ान को नमाज़ियों को दावत और बतलाने के लिए दी जाती है के नमाज़ का वक़्त हो गया है।
अज़ान में अकबर का नाम क्यों लेते है?
कुछ लोग यह समझते है की अज़ान में अकबर कह कर मुग़ल बादशाह अकबर की तारीफ की जाती है या उसे पुकारा जाता है।
जबकि ऐसा बिल्कुल नही है। अज़ान अरबी ज़बान में पुकारी जाती है। और अरबी के लफ्ज़ अकबर का मतलब होता है महान या बहुत बड़ा। तो “अल्लाहु अकबर” का मतलब हुआ “अल्लाह सबसे बड़ा” है। यहाँ देखिये→अस्तग़फार की दुआ
अज़ान में जब अज़ान देने वाला ‘अल्लाहु अकबर’ कहते है तो वहाँ वो अल्लाह को मुखातिब करता है ना की मुग़ल बादशाह अकबर को।
अजान की शुरुआत कैसे हुई?
इस्लाम के आखरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ ने अज़ान के अल्फ़ाज़ों को मुनफ़रिद् किया यानी खुबसुरती से निखरते हुए बनाया।
उस वक़्त अलग-अलग तरह के घंटियों और शंखों के बजाने से अलग हटके एक अलग पुकारने की रस्म अपनायी गयी थी जिसे अज़ान कहते है ।
इसलिए उसी दिन से अज़ान की बेहद खूबसूरत तरीका क़ायम हुआ। इस तरह हज़रत बिलाल र. अ. इस्लाम के पहले अज़ान देने वाले बने।
सबसे पहले अज़ान देने या पुकारने का मशवरा किसने दिया था? यहाँ देखिये→ मिस्वाक के 70 फ़ायदे
हज़रत उमर र. अ. ने सबसे पहले अजान पुकारने का मशवरा दिया।
हदीस
जब मुसलमान मदीने पहुँचते थे तो नमाज़ के लिए जमा होते थे और वक़्त का अंदाज़ा लगाते थे, उन दोनो नमाज़ के लिए अज़ान का रिवाज अभी तक राइज नही हुआ।
एक मरतबा उन्होंने अज़ान के सिलसिले मे इस मसले पर गुफ़्तुगो कि।
कुछ लोगों ने ईसाइयों की तरह घंटी की इस्तिमाल का मशवरा दिया, बाज़ ने यहूदियों के संघ की तरह शोर की तजवीर पेश की।
लेकिन उमर र. अ. ने सब से पहले मशवरा दिया के आदमी (लोगों को) नमाज़ के लिए बुलाये।
चूनान्चे रसूल अल्लाह ﷺ ने बिलाल र. अ. को हुक्म दिया के उठ कर नमाज़ के लिए अज़ान दे।
सहीह अल-बुखारी, न. 603, न. 604, न. 605
ये एक तरीक़ा है अल्लाह की याद दिलाने की, के अब उठ जाओ बंदगी और इबादत करो इसकी (अल्लाह पाक की) जिसने अपने बन्दों को हर सहुलत से नवाज़ा।
उनकी इबादत के लिए, अपने पूरे दिलो दिमाग जिस्म और अपनी रूह के साथ से जगाने के लिए यह इंतेज़ाम किया गया है।
ताकि अल्लाह ज़ुल्जलाल वल इकराम को याद किया जा सके।
यहाँ देखिये→ अल्लाह के 99 नाम
ताकि बंदा यानी दिल से अल्लाह को जानने वाला अपने लिए नेकियाँ लिखवा कर अपने जिंदगी के असली फ़र्ज़, नमाज़ की ओर लौटें ।
अगर आप सुबह में जगाने का काम करते है तो अपनी जिंदगी का सबसे बहतरीन काम करते है। यहाँ देखिये→ मय्यत को ग़ुस्ल देने का तरीका
जो आपको ना की सिर्फ इस दुनियाँ में काम देगा बल्कि मरने के बाद आपकी आखि़रत यानी फैसले के दिन को भी सवार देगा।
अज़ान की आवाज के ज़रिये यह पुकार अल्लाह की तारीफ करती रहती है और लोगों को उनकी भलाई की तरफ बुलाती रहती है।
दुनिया में सबसे ज्यादा गूंजने वाली आवाज कौन सी है?
अज़ान एक ऐसी आवाज़ है जो पूरी दुनियाँ में हर वक़्त गूंजती है। दुनियाँ में हर वक़्त गूंजने वाली आवाज़ अजान की है।
चौबीस घंटों में एक सेकेंड् ऐसा नही है जिसमे अजान ना हो रही हो।
दुनिया का वक़्त घूमता है। साथ ही चौबीस घंटों में कहीं ना कहीं अज़ान हो ही रही होती है।
ये एक पुकार जो अल्लाह की महानता की ऐलान करती है (अल्लाहु अकबर)।
ईमान का ऐलान करती है (मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद ﷺ अल्लाह के पैगम्बर हैं),
और नमाज के लिए दावत दे कर दुनिया और आसमानी दुनिया में सफलता की पुकार लगभग पंद्र (15) सदियों से दुनियाँ में जहाँ भी मुसलमान रहते हैं, हर जगह से गूँजती है।
अज़ान में बोले जाने वाले लफ़्ज़ों के मतलब को जानना भी बहुत ज़रूरी है।
तब ही अज़ान की अहमियत-ओ-अज़मत को दिल से जान पाएंगे।
अज़ान का अर्थ या मतलब क्या होता है?
पढ़ते है अज़ान का तर्जुमा और इसे देने का तरीका
- “अल्लाहु अकबर” (4 बार),
“अल्लाह सबसे बड़ा है”
- अश-हदु अन् ला इलाहा इल्लल्लाह (2बार),
“मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई दूसरा इबादत के काबिल नहीं”
- अश-हदू अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह (2 बार),
“मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद ﷺ अल्लाह के रसूल हैं”
- ह़य्य ‘अलस्सलाह (2 बार),
“आओ नमाज़ की ओर”
- ह़य्य ‘अलल फ़लाह (2 बार),
“आओ कामयाबी की ओर”
- अल्लाहु अकबर (2 बार),
“अल्लाह सब से महान है”
- ला-इलाहा इल्लल्लाह
“अल्लाह के सिवा कोई इबादत के काबिल नहीं।”
फजर की अज़ान में ह़य्या ‘अलल्फलाह के बाद दूसरे दो अल्फाज़ों जोड़ दिए जाते हैं।
वह अल्फ़ाज़ ये हैं:
‘अस्सलातु खैरूं मिनन नउम’, (2 बार)
“नमाज़ नींद से बेहतर है।”
हदीस
अबू हुरेरा ने कहा,
मैंने रसूल अल्लाह ﷺ को उठाने के लिए अज़ान दिया था और फ़जर की पहली अज़ान में कहा था:
“حَىَّ عَلَى الْفَلاَحِ الصَّلاَةُ خَيْرٌ مِنَ النَّوْمِ الصَّلاَةُ خَيْرٌ مِنَ النَّوْمِ اللَّهُ أَكْبَرُ اللَّهُ أَكْبَرُ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ”
“खुशी की तरफ आओ, नमाज़ नींद से बेहतर है, नमाज़ नींद से बेहतर है, अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नही”
सुनन अन-निसाइ न. 647
अज़ान के मुताल्लिक़ कुछ सवाल और उनके ज़वाब
अज़ान सुन के क्या करना चाहिए?
अज़ान सुनकर अज़ान दुहराना चाहिए। फिर अज़ान सुनने की दुआ पढ़ लीजिये।
यहाँ देखिये अज़ान के बाद की दुआ
हदीस
“अबू स’ईद ख़ुद्री र. अ. रिवायत करते है के, रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया जब तुम अज़ान सुनो तो वही कहो जो मुज़्ज़िन कह रहा है।”
सहीह अल-बुखारी न. 611
जहाँ अज़ान ना सुनाई दे तो क्या करें?
अजान का वक़्त हो जाए और ऐसी जगह हो जहाँ अज़ान न सुनाई दे तो खुद ही अज़ान दे दिया करें। और इक़ामत दे कर नामज पढ़ लीजिये।
हदीस
आप ﷺ ने (दो आदमी से) फरमाया के जब नमाज़ का वक़्त हो जाए तो तुम अज़ान दो फिर इक़ामत दो और तुम में से बड़ा आदमी इमामत् करे।
सहीह अल-बुखारी न. 658
सबसे पहले अजान किसने दी थी?
रसूल अल्लाह ﷺ के कहने पर हज़रत बिलाल र. अ. ने सबसे पहले अज़ान दी थी।
इक़ामत का अर्थ यानी मतलब क्या है?
इक़ामत उस वक़्त को कहा जाता है जब लोग नमाज़ के लिए तैयार खड़े हो। यहाँ चार क़ुल हिन्दी में देखिये
अज़ान किसने सिखाई?
हमारे नबी हज़रत मुहम्मद ﷺ ने अज़ान सिखाई।
हदीस
अनस र. अ. ने बयान किया के लोगो ने आग और घंटी का ज़िक्र किया (उन्होंने नमाज़ शुरू करने के लिए इशारा के तौर पर तजवीर किया) और उससे यहूदियों और ईसाइयों का ज़िक्र किया, फिर बिलाल र. अ. को हुक्म दिया गया के नमाज़ के लिए अज़ान के अल्फ़ाज़ दो मरतबा कहें और इक़ामत के लिए एक मरतबा अज़ान कहें (इक़ामत उस वक़्त कही जाती है जब लोग नमाज़ के लिए तैयार हो)।”
सहीह अल-बुखारी न. 603
तक्बीर किसे कहते है?
नमाज़ शुरू करने से ठीक पहले एक आदमी ज़ोर से वही अल्फाज़ दुहराता है जो अज़ान में कहे जाते हैं बस इसमें “क़द क़ा मतिस्सलाह” और जोड़ कर बोला जाता है जिसका तर्जुमा होता है “नमाज़ शुरू हो रही है”। इसे तकबीर और इक़ामत कहते हैं।
तकबीर में क्या कहा जाता है?
तकबीर में “हय्य ‘अलल्फलाह” के बाद “कद-कामतिस्सलाह” दो बार कहा जाता है, और अज़ान के कलिमों ज़्यादा कहे जाते हैं।
तक्बीर कहने वाले को क्या कहते है?
तक्बीर कहने वाले को मुकब्बिर कहते हैं।
मस्जिद में लोगों को नमाज़ पढ़ाने वाले को क्या कहते है?
अज़ान देने वाले को क़यामत के दिन क्या इनाम मिलेगा?
क़यामत के दिन मुज़्जिम की गर्दन उची करदी जायेगी। और अज़ान सुनने वाले उसके गवाह रहेंगे।
हदीस
अबू स’ईद ख़ुद्रि र. अ. ने मेरे वालिद से कहा के मैं आपको भेड़ बकरियों और बयाबानों को पसंद करता हूँ, लिहाज़ा जब भी आप अपनी बकरियों के साथ या बयाबान में हों और आप नमाज़ के लिएर अज़ान देना चाहें तो अपनी आवाज़ बुलंद करें।
अज़ान सुनता है, चाहे इंसान हो, जिन हो या कोई और मख़लूक़, क़यामत के दिन तुम्हारी लिए गवाह होगा।
अबू स’ईद ने मज़ीद कहा के मैंने ये (रिवायत) रसूल अल्लाह ﷺ से सुनी।
सहीह अल-बुखारी न. 609
हदीस
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया के:
“क़यामत के दिन मुज़्जिन की गर्दनें सब से लम्बी होगी।”
सहीह मुस्लिम न. 387
मस्जिद में लोगों को नमाज़ पढ़ाने वाले को इमाम कहते है।
लोग मस्जिद में एक साथ मिलकर नमाज़ पढ़ते है उस क्या खाते है?
ज़्यादा लोग एक साथ मिलकर नमाज़ पढ़ते हैं उसे जमा’अत कहते हैं। और इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वालों को मुक़्तदी कहते है।
हदीस
अबू स’ईद ख़ुद्रि र. अ. ने मेरे वालिद से कहा के मैं आपको भेड़ बकरियों और बयाबानों को पसंद करता हूँ, लिहाज़ा जब भी आप अपनी बकरियों के साथ या बयाबान में हों और आप नमाज़ के लिएर अज़ान देना चाहें तो अपनी आवाज़ बुलंद करें।
अज़ान सुनता है, चाहे इंसान हो, जिन हो या कोई और मख़लूक़, क़यामत के दिन तुम्हारी लिए गवाह होगा।
अबू स’ईद ने मज़ीद कहा के मैंने ये (रिवायत) रसूल अल्लाह ﷺ से सुनी।
सहीह अल-बुखारी न. 609
हदीस
रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया के:
“क़यामत के दिन मुज़्जिन की गर्दनें सब से लम्बी होगी।”
सहीह मुस्लिम न. 387
मस्जिद में लोगों को नमाज़ पढ़ाने वाले को इमाम कहते है।
लोग मस्जिद में एक साथ मिलकर नमाज़ पढ़ते है उस क्या खाते है? ब
ज़्यादा लोग एक साथ मिलकर नमाज़ पढ़ते हैं उसे जमा’अत कहते हैं। और इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वालों को मुक़्तदी कहते है।
अकेले नमाज़ पढ़ने वालों को क्या कहा जाता है?
अकेले नमाज़ पढ़ने वाले को “मुनफ़रिद” कहते हैं।
अज़ान देने वाले को क्या कहते है?
अज़ान सुना कर लोगों को मस्ज़िद की तरफ नमाज़ के लिए बुलाने वाले को मुअज़्ज़िन कहते हैं।
अज़ान सुने और सुनाएँ!
नेकियाँ कमाए, पोस्ट शेयर करें अज़ान के बारे में अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी बताएं।
Agar apko post pasand aye to apno se share zarur kijiyega.
अपने प्यारों से शेयर कर सवाब-ए-जारिया ज़रूर कमायें|
Join ya ALLAH Community!
FaceBook→ yaALLAHyaRasul
Subscribe to YouTube Channel→ yaALLAH Website Official
Instagram par Follow Kijiye→ instagram.com/yaALLAH.in